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कुल्लू। अटल टनल रोहतांग के पश्चात दशकों से मनाली की पहचान रहा रोहतांग पास लगभग अपना आकर्षण खोता जा रहा है। सारा आकर्षण लाहुल घाटी की ओर शिफ्ट होता दिख रहा है। शुरुआत में अटल टनल रोहतांग का नाम पहले रोहतांग टनल और फिर अटल टनल रोहतांग रखा गया। इसमें रोहतांग का नाम इसकी ख्याति अनुसार व स्थानीय लोगों के सुझाव पर जोड़ा गया, ताकि रोहतांग का नाम हमेशा रहे, जिससे लाहुल-स्पीति के लोगों का सदियों से चला आ रहा संघर्ष याद दिलाता रहे। दूसरी ओर सुरंग का आकर्षण रोहतांग के नाम के कारण बना रहे।
विडंबना देखिए, आज सुरंग अटल टनल के नाम से लोगों के सिर चढ़ कर बोल रही है और रोहतांग इसके साथ जोड़े जाने के बावजूद लोग नाम लगभग न के बराबर लेते हैं। शायद यह कलांतर में एक अलग कहानी न बन जाए, इसके लिए प्रशासन रोहतांग को मेहमानों के लिए सर्दियों में अधिक से अधिक खोले रखने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर लाहुल के विशाल भौगोलिक स्थिति से अंजान मेहमान टनल के नज़दीकी स्थलों में मस्ती लेकर लौट आते हैं। ऐसे में संपूर्ण लाहुल घाटी को किस तरह आकर्षण का केंद्र बनाया जाए, इस पर लगभग हर और चर्चा होती है, किंतु धरातल पर कुछ होता अभी तक नहीं दिख रहा है। घाटी के कृषक एवं पर्यटन व्यवसायी, चौखंग निवासी प्रेम ठाकुर कहते हैं कि प्रशासन के पास हमेशा सीमित संसाधन होते हैं, जबकि स्थानीय लोागें के पास इसकी सीमाएं अगर समझो, तो असीमित हैं।