Saturday, November 23, 2024

राष्ट्रीय

केंद्रीय तेल मंत्री ने किया कबूल…मोदी राज में ३३ % पेट्रोल हुआ महंगा!

SG      ७० डॉलर पर आया कच्चे तेल का भाव

          १५ दिनों में १६ डॉलर घटी क्रूड ऑयल की कीमत

          पर उपभोक्ताओं को राहत मिलने का कोई संकेत नहीं

 नई दिल्ली
ढेर सारे वादों के साथ अच्छे दिनों का सपना दिखाकर केंद्र की सत्ता में आई मोदी सरकार के शासनकाल में जनता महंगाई से बेहाल हो गई है। केंद्र सरकार के तमाम आश्वासनों के बावजूद भी महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही है। महंगा ईंधन इसकी एक प्रमुख वजह साबित हुआ है। वैश्विक बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें कम होने के बाद भी देश में पेट्रोल-डीजल के भाव कम नहीं हुए हैं। मोदी सरकार के पिछले ९ वर्षों के शासन काल में पेट्रोल करीब ३४ फीसदी तो वहीं डीजल ६१.५१ फीसदी तक महंगा हुआ है। ये बात तो केंद्र सरकार के संबंधित मंत्री भी अब खुलकर स्वीकार करने लगे हैं। बता दें कि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री एचएस पुरी ने स्वीकार किया है कि मोदी सरकार के साढ़े ८ वर्षों के कार्यकाल में यानी मई २०१४ से दिसंबर २०२२ के बीच पेट्रोल ३३.८५ फीसदी तो वहीं डीजल ६१.५१ फीसदी तक महंगा हुआ है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पेट्रोलियम मंत्री पुरी द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए डाटा के आधार पर पूर्ववर्ती यूपीए सरकार व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के वर्ष २००४ से २०१४ के कार्यकाल की तुलना की जाए तो देश में पेट्रोल के खुदरा दामों में ६६.०८ फीसदी तथा डीजल के खुदरा दामों में ८२.११ फीसदी तक वृद्धि होने की बात सामने आती है।
केंद्र की हुई अच्छी कमाई
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि से जनता की कमर भले ही टूटी है लेकिन इससे बेसिक एक्साइज ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी, रोड एंड इंप्रâास्ट्रक्चर सेस (उपकर), एग्रीकल्चर और इंफ्रास्ट्रक्चर  डेवलपमेंट सेस और पेट्रोलियम उत्पादों पर अन्य सेस व सरचार्ज के जरिए सरकार की अच्छी कमाई हुई है। कुछ समय पहले केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के आधार पर मीडिया में आई रिपोर्टों की मानें तो केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम कंपनियों से अकेले वर्ष २०२१-२२ में ७.७४ लाख करोड़ की कमाई की थी। जबकि वित्त वर्ष २०२०-२१ में ६.७२ लाख करोड़ और २०१९-२० में ५.५५ लाख करोड़ सरकारी खजानों में आए थे। चालू वित्त वर्ष (२०२२-२३) के पहले ९ माह में (अप्रैल-दिसंबर) में सरकार ५.४५ लाख करोड़ रुपए की कमाई कर चुकी है। इनमें ३.०८ लाख करोड़ रुपए केंद्र सरकार के खजाने में और २.३७ लाख करोड़ रुपए राज्य सरकारों के खजाने में आए।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट जारी
बता दें कि देश में पेट्रोल-डीजल पर महंगाई बरकार रहने के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में बड़ी गिरावट आई है। इस दौरान इंडियन बास्केट क्रूड के दाम भी ७९ डॉलर प्रति बैरल के नीचे जा पहुंचे हैं। बता दें कि कच्चे तेल की कीमत एक सप्ताह पहले के ८०.६ डॉलर प्रति बैरल से १० प्रतिशत घटकर १५ महीने के निचले लेवल ७५ डॉलर प्रति बैरल के नीचे जा पहुंची है। ब्रेंट क्रूड के दाम ७४ डॉलर प्रति के नीचे ७३.६९ के लेवल पर जा गिरा है। तो डब्ल्यूटीआई क्रूड के दाम तो ७० डॉलर प्रति बैरल के नीचे ६७.६१ डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंचे हैं।