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उद्धव ठाकरे का जोरदार हमला … चुनाव आयोग बर्खास्त करो!

SG

आज की परिस्थिति उन्होंने शिवसेना पर थोपी है, वे कल देश की किसी भी पार्टी पर यह परिस्थिति ला सकते हैं। अगर हम अभी इसका मुकाबला नहीं करते हैं तो २०२४ का लोकसभा चुनाव देश का आखिरी चुनाव होगा। क्योंकि उसके बाद देश में तानाशाही का नंगा नाच शुरू होगा, ऐसी चेतावनी देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि हिंदुत्व का बुर्का पहनकर कोई देश को निगलने चला है तो हिंदू के रूप में सभी को इसके विरोध में लड़ाई के लिए खड़े हो जाना चाहिए।

 मुंबई

‘मिंधे’ गुट के विधायकों की अयोग्यता के नतीजे आने से पहले चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न उस गुट को देने के लिए जल्दबाजी क्यों की? पार्टी के नाम और चिह्न की चोरी करना यह पूर्व नियोजित साजिश है, ऐसा जोरदार हमला करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि जेब में रखे दस्तावेजों को देखे बगैर सिर्फ कवरिंग लेटर देखकर ही अपना पैâसला सुनाने वाले मौजूदा चुनाव आयोग को बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति न करते हुए चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से ही आयुक्त की नियुक्ति की जाए। शिवसेना पार्टी का नाम और धनुष-बाण देने के फैसले से पूरे राज्य में चुनाव आयोग के खिलाफ गुस्से की लहर दौड़ गई है। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी पृष्ठभूमि में पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कल शिवसेना भवन में जिलाप्रमुखों के साथ बैठक की। इस बैठक के बाद पत्रकारों से उद्धव ठाकरे बातचीत कर रहे थे।

‘ठाकरे’ का नाम नहीं चुरा सकते
पार्टी का नाम और चिह्न चोरी करना एक पूर्व नियोजित साजिश है, ऐसा कहते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि भले ही वे शिवसेना का नाम चोरी कर लें, लेकिन ठाकरे नाम चोरी नहीं कर सकते। मेरा जन्म बालासाहेब और मां के पेट से हुआ, यह मेरा सौभाग्य है। यह सौभाग्य उन्हें नहीं मिला है और दिल्ली वाले उन्हें कुछ नहीं दे सकते, ऐसा तंज उद्धव ठाकरे ने कसा।

चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न ‘मिंधे’ गुट को दिए जाने के बाद शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने केंद्र की भाजपा सरकार पर जोरदार प्रहार किया। उन्होंने उसकी जोरदार आलोचना करते हुए कहा कि अमित शाह आए और चले गए। उन्होंने कहा कि शिवसेना और भाजपा का गठबंधन है, लेकिन याद रखिए यह ‘वो’ गठबंधन नहीं है। यह चोरी का धनुष-बाण है। उद्धव ठाकरे ने यह भी चेतावनी दी कि जो शिव धनुष रावण को नहीं मिला, वह ‘मिंधे’ को क्या मिलेगा… लेकिन शिवसेना नाम और चिह्न ‘मिंधे’ गुट को दिए जाने का जो प्रयास किया गया है, याद रखिए अगर शिवसेना को खत्म करने की दिल्ली वालों की कोई योजना है तो वह सफल नहीं होगी।
जल्दबाजी करने की क्या आवश्यकता थी?
उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग की निर्णय प्रक्रिया के संदर्भ में शंका व्यक्त करते हुए कहा कि आयोग का निर्णय अयोग्य है। कारण संविधान के अनुसार निर्णय होना अपेक्षित है। हमने ‘मिंधे’ गुट के १६ विधायकों की अयोग्यता की मांग की है। उसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज मंगलवार से शुरू हो रही है। जब तक यह फैसला नहीं आ जाता है, तब तक आयोग निर्णय न ले, ऐसी हमारी मांग थी। परंतु जिस पद्धति से आयोग ने निर्णय दिया है, वह अयोग्य है। अर्थात उसको हमने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। परंतु जो दो-तिहाई विधायक फूटे हैं, वे इकट्ठे गए हैं क्या? पहली बार १६ बाद में २३ विधायक गए। दो- तिहाई विधायक गए, फिर भी उन्हें किसी भी पार्टी में विलीन होना पड़ता है, ऐसा संविधान विशेषज्ञों का कहना है। परंतु सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही आयोग को निर्णय देने की जल्दबाजी करने की क्या आवश्यकता थी, ऐसा सवाल भी उद्धव ठाकरे ने किया।
लोकतंत्र खतरे में आ रहा है
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर उद्धव ठाकरे ने भाजपा सरकार पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि प्रशांत भूषण कोर्ट में गए और उन्होंने आयुक्तों की विवादित नियुक्ति पर सवाल उठाया है। आयुक्तों की जल्दबाजी में नियुक्ति वैâसे की गई? यह सीधा सवाल है। आपको पार्टी के अंतर्गत लोकतंत्र चाहिए, पार्टी के अंदर चुनाव चाहिए, देश में चुनाव चाहिए, सभी विषय यदि चुनाव से ही होने हैं तो…सिर्फ चुनाव आयुक्त की नियुक्ति क्यों? इससे लोकतंत्र सीधे खतरे में दिख रहा है, ऐसा उद्धव ठाकरे ने कहा।
उनकी मनमानी पर कोर्ट ने लगाई रोक
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति के संदर्भ में होनेवाली नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सरकार ने आपत्ति जताई है। कानून मंत्री रिजिजू और सभापति ने आपत्ति जताई है। लेकिन न्यायाधीश दृढ़ता से खड़े रहे, जिसके चलते सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। मतलब, क्या चुनाव आयुक्त हम नियुक्त करेंगे? न्यायालय पर भी हम ही हुकूमत करेंगे? लेकिन केंद्र सरकार की इस मनमानी पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाई है। इसका हमें संतोष है, ऐसा उद्धव ठाकरे ने कहा।

गुत्थी उलझाने के लिए जल्दबाजी
हमारे मामले में सर्वोच्च न्यायालय में आज से सुनवाई शुरू हो रही है और मामले का निर्णय क्या आएगा, यह अनुमान कानून विशेषज्ञों ने जाहिर भी किया है। लेकिन कहीं यह गुत्थी उलझाने के लिए चुनाव आयोग ने इस तरह जल्दबाजी में तो यह निर्णय नहीं लिया है? ऐसी शंका हो रही है। ऐसा बोलते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि किसी पार्टी में यदि विवाद निर्माण हुआ तो चिह्न और नाम जप्त किया जाता है। अंधेरी उपचुनाव के दौरान भी यह जप्त किया गया था। मुझे मुखौटा डालने की जरूरत नहीं है। हम शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नाम से अंधेरी में चुनाव लड़े और जीते भी, लेकिन जिन लोगों ने नाम और चिह्न जब्त कराया था उनका क्या हुआ? अब यह कहते हैं कि अमित शाह उनके पिता के समान हैं। कितने लोग अपने पिता के समान दिख रहे हैं। उसके बाद भी चुनाव लड़ने की हिम्मत ये लोग नहीं जुटा पाए हैं। ऐसी जोरदार टिप्पणी उद्धव ठाकरे ने की।
चुनाव आयोग के कामकाज में खामियां
उद्धव ठाकरे ने इस मौके पर चुनाव आयोग के कामकाज की खबर ली, उन्होंने कहा कि आयोग ने हमें शपथ पत्र, सदस्य संख्या देने के लिए कहा। कुछ महीने पहले आयोग के दिए गए फॉर्मेट में हमने शपथ पत्र दिया, कागजातों की फाइलें और गट्ठे तेज बरसात में भी हम ट्रेन के जरिए आयोग तक ले गए। हमारे घर पर रद्दी बढ़ गई थी इसलिए हम वहां लेकर नहीं, बल्कि आयोग ने कहा था इसलिए लेकर गए थे और अब इन सबको पेश करने के बाद अगर अचानक आयोग कहने लगे कि यह नहीं चलेगा, तुम्हारे चुने गए सदस्यों की संख्या के अनुसार ही पार्टी किसकी है, निर्णय लिया जाएगा। इस विषय पर हमें कुछ कहना नहीं है लेकिन वे पात्र हैं या अपात्र हैं, इसका पैâसला तो पहले हो जाने दीजिए, ऐसा उद्धव ठाकरे ने कहा।
कवरिंग लेटर और लिफाफा
अगर आप विधायकों की संख्या को ही मापदंड बनाना चाहते थे तो शपथ पत्र, सदस्यों की संख्या पर आपने हमसे मेहनत क्यों करवाई? शिवसैनिकों को फेरबदल करने के लिए क्यों कहा गया? ऐसा सवाल करते हुए उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग के ‘अंधाधुंध’ कामकाज को प्रमुखता से उठाया। आयोग का कहना है कि हमारी कार्यकारिणी, प्रतिनिधि सभा का ब्योरा नहीं दिया गया है। इसके अलावा आयोग का कहना है कि हमने इसे कवरिंग लेटर में नहीं दिया है। अरे, आप कवरिंग लेटर को देखकर निर्णय करते हैं? आपके पॉकेट में क्या है, यह देखते हैं या नहीं? इसकी जांच की है क्या? इन सबको ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग को बर्खास्त करना चाहिए, ऐसी मांग उद्धव ठाकरे ने की।

दूध का दूध हो जाएगा
चुनाव आयोग के पैâसले के बाद ‘दूध का दूध हो गया’ यह कहनेवाले अमित शाह पर उद्धव ठाकरे ने जोरदार तंज कसते हुए कहा कि हमारी अंतिम आशा सर्वोच्च न्यायालय से है। आयोग के पैâसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में गया हूं। कल इस पर सुनवाई की जाए, इसलिए आग्रह किया गया है। मुझे विश्वास है कि इस बार दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, ऐसा उद्धव ठाकरे ने कहा।
हमारे विधायक अयोग्य साबित नहीं होंगे
‘मिंधे’ गुट द्वारा व्हिप लाए जाने के सवाल पर बोलते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि जिस समय दो गुटों को मान्यता दी गई, तब दोनों गुट हैं, ये मान्य किया गया था। इसलिए दोनों को ही स्वतंत्र पक्ष नाम और चिह्न दिया गया। सवाल इतना था मूल नाम और चिह्न किसका है? यह आयोग द्वारा नहीं दिया जाना चाहिए था। वे दे नहीं सकते थे। लेकिन उस गुट को उन्होंने नाम और चिह्न दिया है। हमारे गुट का उनसे कोई संबंध नहीं है। उद्धव ठाकरे ने दृढ़ता के साथ कहा कि हमारे विधायकों को बिल्कुल भी अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।
‘पक्ष निधि’ को लेकर बात न करे आयोग
एक सवाल के जवाब में उद्धव ठाकरे ने कहा कि आयोग को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि पक्ष निधि पर किसका दावा है। उद्धव ठाकरे ने चेतावनी दी कि आयोग अगर ऐसा कुछ कहने की कोशिश भी करता है तो उन पर मुकदमा चलाएंगे। किसी भी पार्टी की निधि पर डाका डालने का अधिकार आयोग को नहीं, यह बोलते हुए उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि केवल और केवल पार्टी के नाम और चिह्न को तय करने का अधिकार आयोग को है। देश में चुनाव कराना और यह देखना है कि पार्टी के भीतर लोकतंत्र जिंदा है या नहीं ये है इनका काम। आयोग मतलब कोई सुल्तान नहीं, ऐसे शब्दों में उद्धव ठाकरे ने फटकार लगाई।
देशभर के राजनीतिक नेताओं के फोन
चुनाव आयोग के फैसले के बाद देशभर के राजनीतिक नेताओं के फोन आने की बात कहते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि शरद पवार और ममता बनर्जी ने फोन किया था। नीतिश कुमार का भी फोन आया, लेकिन उनसे किसी कारणवश बात नहीं हो सकी।
ये मामला देशभर में पकड़ेगा तूल
ये मामला देशभर में तूल पकड़ेगा, ऐसा बोलते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि आज ऐसा करने के बाद कल दूसरी पार्टियों को भी इसी तरह वे खत्म कर देंगे, ऐसा डर जनता के मन में बैठ गया है।
कोश्यारी, शाह पर तंज
भगतसिंह कोश्यारी ने अपना मन खाली कर लिया है, ऐसा उल्लेख एक पत्रकार के करते ही ‘उन्हें ‘मन’ है?’ इस तरह का प्रति सवाल उद्धव ठाकर ने किया। अतीत के बारे में बुरा मत बोलो। वे अपने घर चले गए। उन्हें अपने जीवन का आनंद लेने दें, ऐसा उद्धव ठाकरे ने कहा। अमित शाह के ‘४८’ सीटें जीतने के सवाल पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्हें मेरी शुभकामनाएं, लेकिन लोकतंत्र का वस्त्रहरण करनेवालों को जनता खड़ा नहीं करेगी, इसे याद रखें!
२५ तारीख से राज्यभर में ‘संवाद’
आयोग के इस फैसले से न सिर्फ शिवसैनिकों, बल्कि प्रदेश भर के शिवसेना प्रेमियों और लोगों में भारी रोष का माहौल है। उद्धव ठाकरे ने इस अवसर पर यह भी घोषणा की कि हमने उनकी भावनाओं को जानने और संवाद साधने के लिए अलग-अलग टीमों की नियुक्ति की है और २५ तारीख से उनका राज्य भर में दौरा शुरू होगा। इस पत्रकार परिषद में शिवसेना नेता, सांसद संजय राऊत, अरविंद सावंत आदि उपस्थित थे।

फटकारे
• २०२४ के चुनावों के बाद देश में केवल तानाशाही का नंगा नाच ही शुरू रह सकता है।
• हम घर पर ही हैं। घर के बाहर वे गिर पड़े। दगा उन्होंने दिया और जनता उन्हें सबक सिखाएगी।
• जिन्हें अपना माना, उन्होंने ही राजनीतिक मां की हत्या की। हत्यारा घर में ही निकला, इसका दुख है। उसे ही हत्या की सुपारी दी गई।
•तुम्हें चुनौती है, अपने-अपने पिता का नाम लगाकर शिवसेना को चलाकर दिखाओ।