न्यायालय के निर्णय का स्वागत … मनमानी रोकें नहीं तो बढ़ जाएगी तानाशाही!-उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर साधा निशाना
SG
मुंबई
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसले का शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने स्वागत किया। देश में निरंकुशता रोकने की जरूरत है। इसे रोका नहीं गया तो तानाशाही बढ़ जाएगी, ऐसी ‘ठाकरे’ शैली में उद्धव ठाकरे ने भाजपा और मोदी सरकार पर निशाना साधा है। सर्वोच्च न्यायालय का पैâसला और कसबा में भाजपा की हार पर उद्धव ठाकरे ने कल पत्रकारों से संवाद साधा। उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘मैंने पहले ही मांग की थी कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति न करते हुए उसके लिए चुनाव कराओ। उन्होंने आगे कहा कि आज के हालात में चुनाव आयोग पर कितना विश्वास किया जाए, ऐसे में न्यायालय के इस पैâसले से बदलाव की शुरुआत हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर दिया फैसला … यह चुनाव आयोग नहीं चुनाव अयोग्य है! -उद्धव ठाकरे
‘मैंने पहले ही मांग की थी कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति न करते हुए उसके लिए चुनाव कराओ। अब न्यायालय के इस पैâसले से बदलाव की शुरुआत हो रही है। इसका हमें स्वागत करना चाहिए। चुनाव आयोग ने शिवसेना को लेकर जो पैâसला किया, उसे न्याय नहीं कहा जा सकता। हम उसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में गए ही हैं। इसलिए न्यायालय में जब सुनवाई शुरू होगी तब सर्वोच्च न्यायालय के इस पैâसले का निश्चित तौर पर असर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के संदर्भ में दिए गए पैâसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने ये बातें कहीं। यह चुनाव आयोग नहीं, बल्कि उसका चुनाव अयोग्य हो गया है, ऐसा तंज कसते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि पार्टी किसकी, ये तय करने का अधिकार यदि निर्वाचित सदस्यों को देना है तो पार्टी में फूट पड़ गई है, ऐसा कहा जाएगा।
कसबा भ्रम से बाहर निकला, देश भी बाहर निकलेगा
कसबा उपचुनाव में महाविकास आघाड़ी के विजय पर आनंद व्यक्त करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि इतने सालों के भ्रम से कसबा बाहर निकल रहा है, तो देश भी निश्चित रूप से अब भ्रम से बाहर निकलेगा। उन्होंने कहा कि मतदाता जागरूक हो रहे हैं और महाविकास आघाड़ी को अब एकजुट होने और कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।
इस्तेमाल करो और फेंक दो ये भाजपा की नीति
इस्तेमाल करो और फेंक दो ये भाजपा की नीति है। इस नीति का इस्तेमाल वे हर जगह कर रहे हैं। शिवसेना के साथ भी उन्होंने यही किया। जब तक शिवसेना की जरूरत थी तब तक उन्होंने इस्तेमाल किया। अकाली दल, समता पार्टी, ममता बनर्जी और जयललिता के बारे में भी वही किया। कसबा में तो तिलक के घराने का इस्तेमाल कर उन्हें दरकिनार कर दिया गया था। वही गुस्सा वहां के लोगों के मन में था, ऐसा उद्धव ठाकरे ने कहा।
सहानुभूति चाहिए, वह भी सिलेक्टिव!
भाजपा ने गिरीश बापट को ऑक्सीजन की नली लगाकर प्रचार में उतारा। सहानुभूति चाहिए, लेकिन वह भी सिलेक्टिव चाहिए, यह मतदाता कभी स्वीकार नहीं करता, ऐसा कहते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि गोवा में भी मनोहर पर्रीकर के साथ वही किया गया। पर्रीकर के जाने के बाद उनके बेटे को भाजपा ने बगल कर दिया। यह भाजपा का नजरिया है।
मतों को विभाजित न होने दें!
चिंचवड में बहुत बड़े अंतर से महाविकास आघाड़ी के प्रत्याशी को पराजय नहीं मिली है। मतलब भाजपा विरोधी मतदान बढ़ने लगा है। अब उन मतों को एक साथ करना चाहिए। नाना काटे और बागी कलाटे के मतों को जोड़ दिया जाए तो नतीजा भी भाजपा के खिलाफ ही है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम सबका काम एक साथ रहना और मतों को जोड़ने के साथ ही मतों में कोई बंटवारा नहीं होने देना है।
मुख्यमंत्री ने देशद्रोहियों को चाय पार्टी के लिए बुलाए था क्या?
अजीत पवार या अंबादास दानवे को देशद्रोही नहीं कहा, बल्कि नवाब मलिक के बारे में बोला था, ऐसा स्पष्टीकरण मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कल विधान परिषद में दिया। इस बारे में पत्रकारों के पूछे जाने पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुख्यमंत्री ने किसे देशद्रोही कहा? मुख्यमंत्री की चाय पार्टी किसके साथ थी? क्या उन्होंने देशद्रोहियों को चाय पार्टी के लिए बुलाया? समझो अगर वे आते तो क्या चाय पार्टी की होती? ऐसा सवाल भी उद्धव ठाकरे ने किया।
आंबेडकर के साथ बैठक दिन-दहाड़े शुरू
वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर के साथ उद्धव ठाकरे ने बैठक की। उस मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर उद्धव ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रकाश आंबेडकर और हमारी मुलाकातें दिन-दहाड़े शुरू हैं। हम कोई हुडी पहनकर रात-बेरात किसी से नहीं मिलते। उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि आंबेडकर और हमारी युति है। आगे वैâसे बढ़ना है, अब इस पर चर्चा चल रही है।