नए महीने से बढ़ेंगी मुसीबतें, ‘अच्छे दिन’ का अप्रैल फूल! महंगाई देगी झटके पर झटका, ९०० जरूरी दवाओं के बढ़ेंगे दाम, घर चलाने में लोग हो रहे हैं परेशान
SG मुंबई दुनिया के कई हिस्सों में हर साल १ अप्रैल का दिन मूर्ख बनाने के दिन के रूप में मनाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इसे ‘अप्रैल फूल डे’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बेवकूफ बनाकर उनके साथ मजाक करते हैं और उन पर हंसते हैं। लगता है केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी इस साल देश की जनता के साथ ‘अप्रैल फूल डे’ मनाने के मूड में है। क्योंकि महंगाई और बेरोजगारी से परेशान हिंदुस्थानी जनता को केंद्र सरकार ने इस साल १ अप्रैल से नए झटके देने की तैयारी जो की है। आशंका जताई जा रही है कि एक अप्रैल के बाद यूपीआई से पेमेंट करने पर देशवासियों की जेब कटेगी तो वहीं रसोई गैस, दवाइयों के साथ-साथ यूपीआई पेमेंट और टोल टैक्स तक महंगा होगा।
टोल का बढ़ेगा टेंशन! मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर आना-जाना अब महंगा हो जाएगा। देश के इस पहले एक्सेस-कंट्रोल रोड पर सरपट दौड़ने के लिए एक अप्रैल से अधिक टोल देना होगा। महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन (एमएसआरडीसी) के अधिकारियों ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। टोल में १८ फीसदी की बढ़ोतरी का पैâसला किया गया है। एमएसआरडीसी के सीनियर अधिकारी के मुताबिक, हर साल टोल में ६ फीसदी बढ़ोतरी का नियम है लेकिन लागू तीन साल में किया जाता है यानी कि हर साल ६ फीसदी की बढ़ोतरी के हिसाब से हर तीन साल में इसे १८ फीसदी बढ़ाया जाता है। यह ९ अगस्त २००४ की एक सरकारी अधिसूचना के हिसाब से है। एक अप्रैल से टोल टैक्स में होने वाले इजाफे के चलते कार और जीप जैसे चार-पहिया वाहनों के लिए मौजूदा २७० रुपए की बजाय ३२० रुपए देने होंगे, वहीं मिनी बस और टेंपो जैसे वाहनों के लिए मौजूदा ४२० रुपए की बजाय ४९५ रुपए होगा। दो-एक्सल ट्रकों के लिए टोल मौजूदा ५८५ रुपए से बढ़कर ६८५ रुपए हो जाएगा। बसों के लिए यह ७९७ रुपए से बढ़कर ९४० रुपए हो जाएगा।
१ अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष में आम जनता को महंगाई का जोरदार झटका बीते आठ वर्षों में देश में महंगाई और बेरोजगारी लगातार बढ़ी है। आम जनता इससे बेहाल हो रही है। कोरोना काल, रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक मंदी ने कोढ़ में खाज की तरह समस्या को बढ़ाया है। अमेरिका और यूक्रेन के बैंकों के दिवालिया होने तथा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए के पतन की मार और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी महंगाई की आग को लगातार भड़का रही है। उस पर देश के अर्थशास्त्रियों ने आरबीआई को रेपो रेट में २५ आधार अंकों की आवश्यक वृद्धि का सुझाव दिया है। नतीजतन, ऐसी आशंका जताई जा रही है कि १ अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष में आम जनता को महंगाई का जोरदार झटका लगेगा।
केंद्र सरकार द्वारा बजट में प्रस्तावित सभी तरह के टैक्स १ अप्रैल से लागू हो जाएंगे। इससे किचन की चिमनी, आयातित साइकिल और खिलौने, पूर्ण रूप से आयातित कारें और इलेक्ट्रिक वाहन, एक्स-रे मशीन और आयात होने वाले चांदी के सामान, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, कंपाउंडेड रबड़ और अनप्रोसेस्ड चांदी-सिल्वर डोर, सिगरेट आदि के दाम बढ़ जाएंगे। इसके अलावा जो चीज लोगों को सर्वाधिक प्रभावित करेगी वो है यूपीआई से लेनदेन, जो कि महंगा हो जाएगा। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने यूपीआई से मर्चेंट ट्रांजेक्शंस पर प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) फीस लागू करने को कहा है। इसके सर्कुलर के मुताबिक २,००० रुपए से अधिक की राशि के यूपीआई ट्रांजेक्शन पर चार्ज लगेगा।
बता दें कि भारत में यूपीआई के जरिए होने वाली कुल पेमेंट का ७० फीसदी हिस्सा २,००० रुपए से अधिक का होता है, ऐसे में अगर अतिरिक्त चार्ज लगेगा तो आम आदमी को हर ट्रांजेक्शन पर १० से २२ रुपए तक एक्स्ट्रा चार्ज देना होगा। मौजूदा समय में यूपीआई से पेमेंट करना पूरी तरह से है पीपीआई चार्ज वॉलेट या किसी कार्ड के जरिए ट्रांजेक्शन करने पर ही लगता है और इसे लेन-देन को स्वीकार करने के साथ लागत को कवर करने के लिए लागू किया जाता है। एनपीसीआई ने सर्कुलर में साफ किया है कि एक अप्रैल को नियम लागू करने के बाद ३० सितंबर २०२३ को पहली बार इसका रिव्यू किया जाएगा। रिपोर्टों के मुताबिक, प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) के जरिए यूपीआई पेमेंट पर १.१ज्ञ् की इंटरचेंज फीस लगेगी। हालांकि, यूपीआई चार्ज को लेकर एनपीसीआई ने खुलासा किया है कि यूपीआई, बैंक अकाउंट या वॉलेट से लेन-देन पर कस्टमर को कोई शुल्क नहीं देना होगा। एनपीसीआई के सर्वुलर के मुताबिक गूगल-पे, पेटीएम, फोन-पे या दूसरे ऐप के जरिए किए जाने भुगतान पर १.१ फीसदी तक इंटरचेंज चार्ज देना होगा। पेटीएम ने भी इसे लेकर सफाई दी है।