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झुंझुनू
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जयपुर में भाजपा नेताओं को बड़ा संदेश दिया है। नड्डा ने कहा कि हर किसी की विधायक और सांसद बनने की चाहत है, मगर मेरा मानना है कि सभी को नेता बनना चाहिए पद अपने आप मिल जाएगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं को हवा में उड़ने की बजाय धरातल पर रहकर काम करने की नसीहत भी दी। नड्डा ने कहा कि चुनाव जीतने के लिए गुजरात की तरह कार्य करना है। पन्ना समिति को मजबूत करें। अब डोर-टू-डोर नहीं, बल्कि हाउस-टू-हाउस जाएं। दरवाजे पर जाने की बजाय घर में जाएं। विधानसभा चुनाव में ३०० दिन मानें तो घर-घर तक ९-१० बार पहुंचा जा सकता है। वहां जाकर उन लोगों की समस्याएं सुनें। खुद कम बोलें और जनता की ज्यादा सुनें। नड्डा ने कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर चुनाव की तैयारी में जुटने को कहा। उन्होंने कहा कि राजस्थान में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं, पेपर लीक हो रहे हैं, मगर सरकार में किसी की सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में भाजपा कार्यकर्ता जनता के बीच जाएं और जन विरोधी नीतियों को लेकर सरकार के खिलाफ माहौल बनाएं, ताकि आनेवाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को दो तिहाई बहुमत से जीत मिले।
गहलोत का छक्का
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों भीलवाड़ा जिले के मालासेरी डूंगरी का दौरा किया था। मालासेरी डूंगरी गुर्जर समाज के भगवान देवनारायणजी की प्रकट स्थली है। यहां पहुंचकर प्रधानमंत्री मोदी ने यज्ञस्थल पर यज्ञ में आहुति दी व जमीन पर बैठकर देवनारायणजी की पूजा-अर्चना भी की तथा बाद में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। मोदी की यात्रा का मुख्य उद्देश्य राजस्थान के गुर्जर वोटों को साधना था। राजस्थान में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। यहां पर करीबन आठ फीसदी गुर्जर मतदाता हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के सभी आठों गुर्जर प्रत्याशी चुनाव हार गए थे। ऐसे में भाजपा अभी से गुर्जर मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए प्रयास कर रही है। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने मालासेरी डूंगरी में कॉरीडोर बनाने की घोषणा नहीं की, जिसको लेकर गुर्जर समाज में बहुत उत्सुकता थी। मोदी के मालासेरी डूंगरी आने से एक दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भगवान देवनारायण जयंती के अवसर पर राजस्थान में सार्वजनिक अवकाश घोषित कर मोदी के चौके पर छक्का जड़ दिया था। हालांकि, मुख्यमंत्री गहलोत प्रधानमंत्री के साथ कार्यक्रम में नहीं गए थे, मगर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर गहलोत ने गुर्जर समाज को मोह लिया है।
विधायकों को मिलेगा नोटिस
राजस्थान में कांग्रेस विधायक और बड़े नेता कांग्रेस के `हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान को तवज्जो नहीं दे रहे हैं। राहुल गांधी का यह अभियान प्रदेश में रस्म अदायगी बनकर रह गया है। जयपुर में २९ जनवरी और अजमेर में २७ जनवरी को कांग्रेस के संभाग सम्मेलन हुए। इन दोनों सम्मेलनों में पार्टी के कई बड़े नेता शामिल नहीं हुए। दोनों जगहों पर राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा द्वारा दी गई नसीहतों का कोई असर होता नहीं दिख रहा। अब आगे पांच सम्मेलन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र जोधपुर सहित उदयपुर, बीकानेर, कोटा व भरतपुर संभाग में भी होनेवाले हैं। जयपुर संभाग में ३५ विधायक आते हैं लेकिन सम्मेलन में केवल १५ विधायक ही शामिल हुए। २० विधायक गैर हाजिर रहे। अजमेर संभाग में हुए सम्मेलन में भी लगभग आधे विधायक शामिल हुए। इस संभाग में सचिन पायलट और रघु शर्मा विधायक हैं लेकिन वे दोनों सम्मेलन में नहीं आए। बड़ी बात ये है कि २७ और २९ जनवरी को जब कांग्रेस सम्मेलन हुआ, तब सचिन पायलट और रघु शर्मा राजस्थान में ही थे, उस वक्त विधानसभा भी नहीं चल रही थी। रंधावा का कहना है कि कोई नेता खुद को संगठन से बड़ा न समझे।
बनेंगे नए मतदाता
निर्वाचन विभाग ने इस साल चुनाव को देखते हुए तैयारियां शुरू कर दी हैं। करीब ४ लाख १९ हजार ऐसे युवाओं का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है, जिनकी आयु अभी १८ वर्ष से कम और १७ वर्ष से ज्यादा है। रजिस्ट्रेशन करवाने वाले जो युवा १ अक्टूबर, २०२३ तक १८ वर्ष के हो जाएंगे, उन सभी को वोटर आईडी कार्ड जारी हो जाएंगे। वो अगले विधानसभा चुनावों में वोट डाल सकेंगे। राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता का कहना है कि राजस्थान में ऐसे युवाओं का बतौर मतदाता एडवांस रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है, जो अभी १८ वर्ष के नहीं हुए हैं। जब वे १८ वर्ष के हो जाएंगे तो उन्हें उनका मतदाता पहचान पत्र जारी कर दिया जाएगा। अब तक ४.१९ हजार युवा मतदाताओं ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। अक्टूबर, २०२३ तक यह संख्या करीब १० लाख तक पहुंच जाएगी। निर्वाचन विभाग यह कवायद भी कर रहा है कि नए युवा मतदाताओं के साथ ही पुराने रजिस्टर्ड मतदाताओं के मोबाइल नंबर भी सिस्टम से जु़ड़ेंगे। १७ साल के युवाओं का रजिस्ट्रेशन करने में राजस्थान देश में अव्वल है। राजस्थान में ४ लाख १९ हजार युवा रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं, वहीं देश भर में यह आंकड़ा मात्र ७ लाख ही है।