Saturday, November 23, 2024

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राहुल गांधी बिना किसी तैयारी के देते हैं भाषण

SG

एक पुरानी कहानी कही जाती है कि किसी ने एक व्यक्ति से कहा कि उसका कान कौआ ले गया…वो बिना अपने कान की जांच किए आंख बंद कर कौए के पीछे भागने लगा…कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की हालत भी कुछ इसी तरह की है। उनके ‘चतुर सलाहकार’ बस उन्हें पौदीने के झाड़ पर चढ़ा देते हैं कि लोकसभा में इस मुद्दे पर बोलिए…राहुल गांधी बिना यह जांच-पड़ताल किए कि उस मुद्दे में दम है नहीं…उस मुद्दे में सच्चाई है या नहीं…मुद्दे के तथ्य सही है या नहीं…जो आरोप लगाएंगे, वो साबित भी हो पाएंगे या नहीं…यह सब सोचे-समझे बिना बस कौए की ओर दौड़ लगा देते हैं। अपनी यात्रा के थके-हारे राहुल गांधी 7 फरवरी को भी लोकसभा में बिना तैयारी के पहुंच गए। उनके मिथ्या आरोपों की ऐसी फजीहत हुई की बीजेपी सांसदों ने उनकी बोलती बंद कर दी। लेकिन जनमानस भी जानना चाहता है कि राजनीति में आने से पूर्व राहुल गाँधी और उनकी माताश्री सोनिया गाँधी की कितनी पूंजी थी और आज कितनी है?

 

लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सात फरवरी को कई मुद्दे उठाए। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने अग्निवीर योजना से लेकर अडानी मामले पर अपना पक्ष रखा। इस दौरान सदन में एक पोस्टर लहराने पर स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा कि माननीय सदस्य, सदन में इस तरह पोस्टर दिखाना ठीक नहीं। आप पोस्टरबाजी करेंगे, तो इधर राजस्थान के मुख्यमंत्री का पोस्टर लगाएंगे। इसके बाद भी राहुल गांधी अडानी मामले को लेकर सरकार पर बिना तथ्यों के आरोप लगाते रहे। इस दौरान उन्होंने पांच ऐसे झूठ बोल गए जिसको लेकर उनकी काफी किरकिरी हो रही है।

गौरतलब यह है कि हिंडनबर्ग ने अपनी रपट में Disclaimer, We think, We believe आदि शब्दों का प्रयोग किया है, जो भारतीय कोर्ट में तो दंडनीय हो सकते हैं लेकिन अमेरिका कोर्ट में नहीं। यही कारण है कि वह किसी भी मुकदमे को अमेरिका में करने को कह रहा है, जहाँ इन तीन शब्दों के कारण उसे कुछ नहीं होगा, और अपने षड्यंत्र में सफल हो जायेगा। गौतम अडानी को किसी तरह भारतीय कोर्ट में मुकदमा दर्ज कर सबक सिखाना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई उद्योगपति इसके षड्यंत्र का शिकार न हो सके। समाचारों के अनुसार, हिंडनबर्ग अब तक 20 उद्योगपतियों को नुकसान पहुंचा चूका है, लेकिन अमेरिका कोर्ट ने इन्ही तीन शब्दों के कारण निर्दोष करार दिया था, लेकिन इसे चोट मारी 2 उद्योगपतियों ने, एक चीन के और एक भारतीय (Eros International) उद्योगपति ने। इनके भी शेयर औंधे मुंह गिर गए थे, लेकिन इन्हे भी संभलने में समय लगा था।   

 

इसी तरह नागरवाला घोटाले में इंदिरा गांधी और मूंदड़ा घोटाले में जवाहरलाल नेहरू का नाम आया था। नागरवाला कांड में तो फोन पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की आवाज़ में स्टेट बैंक, पार्लियामेंट स्ट्रीट से 60,000 रूपए का भुगतान किया गया था। 

आखिर देश कब तक घोटालों की चोटें सहन करता रहता। अब आप समझ सकते हैं कि भ्रष्टाचार, कालेधन और घोटाले पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो अभियान चला रहे हैं, उससे कांग्रेस में किस तरह की बौखलाहट है।

राहुल, सीनियर एमपी हो गए हैं, बगैर तर्क के नहीं, अब तो गंभीर चर्चा करिए- रिजिजू
राहुल गांधी के इन मनगढ़ंत आरोपनुमा भाषण के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू को उन्हें टोकना ही पड़ा। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति के उद्बोधन को लेकर यहां एक गंभीर चर्चा हो रही है। जो भी सदस्य कुछ भी बात करे वह पूरी जिम्मेदारी के साथ करे। आप बिना तर्क के ऐसे वाइल्ड एलीगेशन लगा रहे हैं। इसका कोई मतलब नहीं है। इन्हें तर्क देना पड़ेगा, पूरा डॉक्यूमेंट प्रूफ यहां देना होगा।’ उन्होंने आखिर में कहा कि, ‘यहां की गंभीरता को समझिए।’ इसके बाद राहुल गांधी इतना ही बोल पाए कि वह ‘सबूत भी दे देंगे।’ रिजिजू ने राहुल गांधी को बीच में ही रोकते हुए बोले, ‘राहुल, अभी आप सीनियर एमपी हो गए हैं, आपसे उम्मीद करते हैं कि जो भी बातें करेंगे गंभीरता से करेंगे।’

आरोप- भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कन्याकुमारी से कश्मीर तक जहां भी गया अडानी, अडानी और अडानी।
सच्चाई : अडानी पर बेसिर-पैर के आरोप लगाते हुए राहुल गांधी भूल गए कि उन्हीं अडानी के लिए न सिर्फ आज उन्हीं की कांग्रेस सरकार पलक-पांवड़े बिछा रही है। बल्कि अडानी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सबसे पहले उन्हें बड़ा बिजनैस बनाने के लिए राजीव गांधी ने किया था। राजस्थान में कांग्रेस सरकार के सीएम अशोक गहलोत ने तो इंवेस्टर्स समिट में ‘‘गौतम भाई’’ की तारीफ में खूब कसीदे पढ़े थे। वह मंच पर गहलोत ने केवल अडानी के बगल में बैठे, बल्कि गहलोत ने अडाणी की दूरदर्शिता की प्रशंसा की थी। निवेश समिट के दौरान अडाणी ने राजस्थान में अगले 5 से 7 वर्षों में 10,000 मेगावाट तक सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने, सीमेंट संयंत्र का विस्तार करने और जयपुर हवाई अड्डे के उन्नयन के लिए 65,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की।

झूठ- एयरपोर्ट को मोदी सरकार ने निजी हाथों में दे दिया
सच – 2006 में जब कांग्रेस सरकार थी तब पहली बार मुंबई और दिल्ली एयरपोर्ट को निजी हाथों में सौंपा गया था  एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कुल 137 हवाई अड्डों का प्रबंधन करता है। राहुल गांधी के गणित के हिसाब से इनमें से करीब 40 एयरपोर्ट अडानी समूह के पास होने चाहिए। ऐसा लगता है कि राहुल गांधी गणित में फेल ही हुए होंगे, क्योंकि राहुल ने 30 प्रतिशत मार्केट शेयर की तुलना में अडानी समूह केवल करीब पांच फीसदी यानी सिर्फ सात एयरपोर्ट का ही संचालन करता है। दिलचस्प तथ्य यह है कि इनमें से एक एयरपोर्ट जयपुर भी है। यदि अडानी का प्रबंधन गलत है तो राहुल गांधी की राजस्थान की कांग्रेस सरकार जयपुर एयरपोर्ट संचालन में क्यों सपोर्ट कर रही है?
मनमोहन सरकार ने दो अनुभवहीन कंपनियों को मुंबई-दिल्ली एयरपोर्ट का दिया ठेका
इसके अलावा एक बड़ा सवाल यह भी है कि राहुल गांधी जिस अनुभव की बात कर रहे हैं, वो यह भूल रहे हैं कि उन्हीं की कांग्रेस सरकार ने 2006 में दो कंपनियों को बगैर किसी अनुभव के मुंबई और दिल्ली एयरपोर्ट का काम दिया था। मनमोहन सरकार के इस फैसले का हवाई अड्डे के कर्मचारियों ने विरोध भी किया था। इसके बावजूद दक्षिण भारत की कंपनी जीएमआर ग्रुप को दिल्ली हवाई अड्डे का का ठेका दिया गया। इस कंपनी को कोई अनुभव न होने के कारण जीएमआर को भी जर्मनी की कंपनी फ्रापोर्ट के साथ अनुबंध करना पड़ा। तब मुंबई एयरपोर्ट का ठेका जीवीके को आंख बंद कर सौंप दिया गया। जीवीके भी अनुभव न होने के कारण दक्षिण अफ्रीकी कंपनी एयरपोर्ट्स कंपनी ऑफ साउथ अफ्रीका के साथ मिली।
झूठ – मोदी जी ऑस्ट्रेलिया जाते है और अडानी को लोन मिल जाता है। 
सच- 2010 और 2013 में कांग्रेस सरकार के समय अडानी को ऑस्ट्रेलिया में ठेका मिला था
राहुल गांधी का यह दावा अपने-आप में ही बिल्कुल खोखला है। पीएम मोदी अपने पहले कार्यकाल में 5 जुलाई 2017 को इजराइल दौरे पर गए थे। जबकि अडानी समूह की अडाणी डिफेंस सिस्टम एंड टेक्नोलॉजी ने जनरल एयरोनॉटिक्स नाम की ड्रोन बनाने वाली कंपनी में 50% हिस्सेदारी खरीदने के लिए डील 2022 में की है। राहुल जिस एलबिट कंपनी की बात कर रहे हैं, उसके साथ ही 2020 के डिफेंस एस्सपो में पहली बार पूर्ण सैन्य ड्रोन बनाकर विदेश भेजने का करार हुआ था। राहुल गांधी अपने हवा-हवाई आरोपों में पीएम के इजराइल दौरे को अडानी की डील से जोड़ने की असफल कोशिश कर रहे हैं।
पहले ये जानिए कि इजराइल के नाम पर ही राहुल गांधी के पेट में दर्द क्यों हो रहा है? दरअसल, हकीकत ये है कि कांग्रेस शुरू से ही इजरायल के गठन के विचार के ही खिलाफ थी। पहले देश में ज्यादातर वक्त कांग्रेस सत्ता में रही और कांग्रेस को हमेशा लगा कि इजरायल से संबंध बढ़ाने का मतलब अरब देशों को खफा करना होगा। यह कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति को भी सूट नहीं करता। कांग्रेस को लगता था कि इजरायल से संबंध बढ़ाने का कदम भारत में रह रहे मुसलमानों को भी पार्टी से दूर करेगा यानी राजनयिक संबंधों की डोर का एक सिरा घरेलू राजनीति के वोट बैंक से जुड़ गया। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इजरायल बनने के 69 साल बाद पहली बार भारत का कोई प्रधानमंत्री इजरायल गया। पिछले 69 सालों में देश ने एक के बाद 15 पीएम देखे लेकिन कोई प्रधानमंत्री इजरायल जाने का साहस नहीं दिखा पाया। वह हिम्मत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिखाई। यही वजह है कि राहुल के पेट में इजराइल के नाम से दर्द होने लगता है।
झूठ- अग्निवीर योजना RSS और बीजेपी लेकर आई है। 
सच-1989 से अग्निवीर योजना लाने पर विचार चल रहा था
झूठ- पीएम मोदी ने अडानी को आगे बढ़ाया
सच – अडानी ने खुद कहा “पहला ब्रेक मुझे राजीव गांधी सरकार के समय मिला”
अडानी पर बेसिर-पैर के आरोप लगाते हुए राहुल गांधी भूल गए कि उन्हीं अडानी के लिए न सिर्फ आज उन्हीं की कांग्रेस सरकार पलक-पांवड़े बिछा रही है। बल्कि अडानी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सबसे पहले उन्हें बड़ा बिजनैस बनाने के लिए राजीव गांधी ने किया था। राजस्थान में कांग्रेस सरकार के सीएम अशोक गहलोत ने तो इंवेस्टर्स समिट में ‘‘गौतम भाई’’ की तारीफ में खूब कसीदे पढ़े थे। वह मंच पर गहलोत ने केवल अडानी के बगल में बैठे, बल्कि गहलोत ने अडाणी की दूरदर्शिता की प्रशंसा की थी। निवेश समिट के दौरान अडाणी ने राजस्थान में अगले 5 से 7 वर्षों में 10,000 मेगावाट तक सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने, सीमेंट संयंत्र का विस्तार करने और जयपुर हवाई अड्डे के उन्नयन के लिए 65,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की।
गहलोत की अदानी संग तस्वीर…कांग्रेस आलाकमान के चेहरे पर एक करारा तमाचा
तब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने 47 सेकंड का वीडियो क्लिप साझा किया, जिसमें राहुल गांधी अडानी पर हमला करते नजर आ रहे हैं। वहीं, एक वीडियो फुटेज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का है, जिसमें वह संसद में कहती हैं कि राहुल गांधी सरकार पर अडानी और अंबानी का पक्ष लेने का आरोप लगाते हैं, लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अडाणी और अंबानी का पक्ष लेते हैं। उन्होंने क्लिप के साथ ट्वीट में कहा, ‘‘कल तक जो था विरोधी, आज बना मनमीत, धन की जगी उम्मीद तो बदली अपनी रीत।’’ पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने अडानी के साथ बैठे गहलोत की एक तस्वीर साझा करते हुए कहा कि यह कांग्रेस आलाकमान के चेहरे पर एक करारा तमाचा है।
झूठ- पीएम ने अडानी को एक प्रोजेक्ट देने के लिए श्रीलंका पर दबाव डाला
सच- श्रीलंका के जिस झूठे बयान की बात राहुल गांधी कह रहे है वो व्यक्ति खुद माफ़ी मांगते हुए अपने बयान से मुकर चूका है
2022 में अडानी घोषणा करते हैं कि वो 50 बिलियन डॉलर ग्रीन हाइड्रोजन इको सिस्टम बनाने के लिए निवेश करेंगे। इस बजट में वित्त मंत्री कहती हैं कि हम ग्रीन हाइड्रोजन के लिए 19 हजार 700 करोड़ देंगे। मतलब अडानी जी को देंगे।
सच्चाई : असलियत यही है कि लोकसभा में किसी भी मुद्दे पर बोलने से पहले राहुल गांधी अपना होमवर्क करके ही नहीं आते। इसलिए उन्हें पता नहीं होता कि किस सवाल पर क्या जवाब देना है या यूं कहें कि किस मुद्दे को किस तरह पेश करना है। राहुल गांधी ने आरोप का सिरा पकड़ा कि 2022 में अडानी पहली बार ग्रीन हाइड्रोजन के लिए 50 बिलियन डालर निवेश करने की बात करते हैं तो उन्हीं के लिए सरकार ने इतना कुछ किया है। जबकि सच्चाई यह है कि नवंबर 2020 में तीसरी रिन्‍यूएबल एनर्जी इन्‍वेस्‍टर्स मीट में ही पीएम नरेंद्र मोदी ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का खाका सामने रख दिया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2021 को बजट भाषण में इसका रोडमैप दिखाया। प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त 2021 को स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण के दौरान नेशनल हाइड्रोजन मिशन का ऐलान किया था।
पहले भी राहुल गांधी ने उस समय सनसनी फैला दी थी, जब उन्होंने आरोप लगाया कि वो प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार के निजी आरोप लगाएंगे और इसी वजह से उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है। 
राहुल गांधी के इस बयान के बाद तब देश भर के मीडिया ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ ले लिया, लेकिन किसी ने भी सच्चाई दिखाने की कोशिश नहीं की। दरअसल नरेंद्र मोदी का राजनीतिक करियर कई दशक का है। लेकिन आज तक विपक्ष भी उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा पाया। ऐसे में नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाने वाले राहुल गांधी और उनके परिवार का रिपोर्ट कार्ड बनाना जरूरी है। खास बात ये है कि कांग्रेस पर कई दर्जन घोटाले के संगीन आरोप लगे, लेकिन इसमें से कई घोटाले में सीधे-सीधे इनके परिवार का नाम सामने आया है। आइए आपको बताते हैं उन घोटालों के बारे में जिनमें सीधे गांधी परिवार के लोगों पर आरोप लगे हैं-

अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला- 2013

ताजा मामला अगस्टा वेस्टलैंड घोटाले का है। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम सामने आने के बाद से ही कांग्रेस पर चारों ओर से हमले हो रहे हैं। पार्टी की थू-थू हो रही है।
*भारत ने फरवरी 2010 में अगस्ता वेस्टलैंड के साथ 12 हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए 36 अरब रुपए के सौदे पर दस्तखत किए।
*इतालवी कोर्ट ने माना कि भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दिए गए।
*सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर कमीशन लेने के आरोप लगे।

*इतालवी कोर्ट ने एक नोट में इशारा किया था कि सोनिया सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं। कोर्ट ने 225 पेज के फैसले में चार बार सोनिया गांधी का जिक्र किया।

रॉबर्ट वाड्रा- डीएलएफ घोटाला-2012
*2012 में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ घोटाले का आरोप लगा। उनपर शिकोहपुर गांव में कम दाम पर जमीन खरीद भारी मुनाफे में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बेचने का आरोप लगा।
*उनपर डीएलएफ से 65 करोड़ का ब्याजमुक्त लोन लेने का भी आरोप लगा. उनपर ये आरोप लगे कि इसके पीछे कंपनी को राजनीतिक फायदा पहुँचाना था।
*वाड्रा पर यह भी कहा गया कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते उन्होंने कई जगह बेहद कम दाम पर जमीन खरीदने का काम किया।

नेशनल हेराल्ड केस-2011

*गांधी परिवार पर अवैध रूप से नेशनल हेराल्ड की मूल कंपनी की संपत्ति हड़पने का आरोप लगा।
*1938 में कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई थी। यह कंपनी नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज नाम से तीन अखबार चलाती थी। एक अप्रैल 2008 को ये अखबार बंद हो गए।
मार्च 2011 में सोनिया और राहुल गांधी ने यंग इंडिया लिमिटेड नाम की कंपनी खोली।
*एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को एक रियल एस्टेट फर्म में तब्दील कर दिया गया।
*गांधी परिवार पर अवैध रूप से इस संपत्ति को अधिग्रहण करने के लिए पार्टी फंड का इस्तेमाल करने का आरोप लगा।
*इस मामले में सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया और राहुल के खिलाफ अदालत में संपत्ति के बेजा इस्तेमाल का केस दर्ज कराया।

बोफोर्स घोटाला

बोफोर्स घोटाले राजीव गांधी की छवि को गहरा धक्का पहुँचा।
*उस समय आरोप लगा था कि भारतीय सेना को 155 एमएम हॉविट्जर तोप बेचने के लिए स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफोर्स ने राजीव गांधी समेत कई कांग्रेस नेताओं को बतौर कमीशन 64 करोड़ रुपए दिए थे।
*इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।

मारुति घोटाला- 1973

*मारुति कार कंपनी बनाने का लाइसेंस जब संजय गांधी को मिला था तब इंदिरा गांधी का नाम इस घोटाले में आया था।
*सोनिया गांधी को 1973 में मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड का एमडी बनाया गया, हालांकि उनके पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी। लेकिन एक भी कार नहीं बना सकने के कारण 1977 में कंपनी बंद कर दी गई।