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देश और दुनिया धीरे-धीरे कोरोना वायरस के प्रभावों से मुक्ति की ओर बढ़ रही है। हिंदुस्थान में कोरोना वायरस अब न्यून हो चुका है, लेकिन इन सबके बीच इन्फ्लुएंजा के एच३एन२ वायरस के संक्रमण ने चिंता बढ़ा दी है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, २००९ के एच१एन१ महामारी वायरस से मैट्रिक्स (एम) जीन के साथ इन्फ्लुएंजा ए एच३एन२ वैरिएंट वायरस पहली बार जुलाई २०११ में लोगों में पाया गया था।
पिछले दिनों हिंदुस्थान में इस वायरस से प्रभावित कर्नाटक में एक व्यक्ति की मौत ने चिंता बढ़ाई है। उम्रदराज यह व्यक्ति पहले ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह समेत कई रोगों से पीड़ित बताया जाता है। हालांकि, ऐसी बात हरियाणा में एक व्यक्ति को लेकर कही जा रही है लेकिन सरकारी स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बारे में सावधानी बरतने की बार-बार चेतावनी दे रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एवियन, स्वाइन और दूसरे जूनॉटिक इन्फ्लुएंजा संक्रमण मनुष्यों में ऊपरी श्वसन में हल्के से लेकर गंभीर संक्रमण पैदा कर सकते हैं। इसमें हल्के सर्दी, बुखार से लेकर गंभीर निमोनिया, एक्यूट रेस्पीरेटरी डिसट्रेस सिंड्रोम, शॉक और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। इस वायरस के संक्रमण की चिंता के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की है।
इन्फ्लुएंजा के एच३एन२ वायरस के प्रभाव की वजह मौसम का अचानक सर्द व गर्म होना कहा जा रहा है। इसी क्रम में देश के विभिन्न भागों में इन्फ्लुएंजा की दस्तक चिंता बढ़ाने वाली है। जिसमें खांसी, बुखार, गले में जलन, ब्रॉन्काइटिस जैसी फेफड़ों से जुड़ी तकलीफें लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही हैं। चिंता इसलिए भी है कि इसके लक्षण कोविड वायरस जैसे ही हैं। वैसे तो यह वायरस दो-तीन दिन में ठीक हो सकता है लेकिन यदि इसका कई सप्ताह तक प्रभाव रहता है तो कारगर इलाज की जरूरत महसूस की जाती है। यही कारण है कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है, जिसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग सावधानी रखने की बात कह रहा है। कहा जा रहा है कि हिंदुस्थान की बड़ी आबादी को प्रतिरोध टीके लगे होने की वजह से स्थिति नियंत्रण में ही रहेगी क्योंकि अधिकांश लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। इसके बावजूद वायरस के प्रसार के चलते सावधानी बरतना व्यक्ति के हित में रहता है।
यही वजह है कि सामान्य खांसी, जुकाम, बुखार के लक्षण दिखने पर साफ-सफाई, भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचने व मास्क के प्रयोग की सलाह भी दी जा रही है। यानी लोगों को कोरोनोचित व्यवहार को इस संक्रमण में लाभदायक बताया जा रहा है। हालांकि, हिंदुस्थान जैसे सघन आबादी वाले देश में इसके प्रसार का जोखिम लगातार बना रहता है, जिसमें सावधानी ही कारगर उपाय कहा जा सकता है। वहीं, दूसरी ओर चिकित्सा विशेषज्ञ इन्फ्लुएंजा के विषाणु को ज्यादा घातक नहीं मान रहे हैं लेकिन स्वच्छता के उपाय तथा खानपान की सजगता को मददगार मान रहे हैं, जिससे शरीर में इसके विषाणु प्रवेश न कर सकें तथा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बने। बहरहाल, लोगों में भय-असुरक्षा फैलने से रोकने के लिए समय रहते बचाव की तैयार होनी चाहिए। दरअसल, इन्फ्लुएंजा-ए वायरस के एच३एन२ सब-टाइप के लगातार बढ़ते मामलों ने इसलिए चिंता बढ़ाई है क्योंकि इसके अधिकांश लक्षण कोविड-१९ जैसे हैं, जो वायु-प्रदूषण से तेजी से फैल सकता है। एक रोगी में कफ, बुखार, उल्टी, गले व शरीर में दर्द, थकान व आंतों में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
आईसीएमआर के अनुसार, कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए यह एक चुनौती है। पश्चिम बंगाल में पहले इसने बड़ी संख्या में बच्चों को निशाने पर लिया है। लेकिन यदि बुखार लंबे समय तक कम न हो और सांस लेने में परेशानी हो तो डॉक्टर की सलाह लेने से परहेज नहीं करना चाहिए, वहीं ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल ९५ से कम होने पर चिकित्सीय सलाह की बात कही जा रही है। आईएमए ने एंटीबायटिक दवाओं से परहेज की बात कही है। दरअसल, आईसीएमआर ने संक्रमण रोकने के लिए वही उपाय बताए हैं जो कोरोना से बचाव के दौरान निर्धारित किए गए थे। विशेषज्ञों के अनुसार, विशेष रूप से बुजुर्गों और उन लोगों को सावधान रहना चाहिए, जो सांस संबंधी पुरानी बीमारियों, हृदय की समस्याएं, किडनी के रोग जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्हें भीड़-भाड़ वाली जगह पर नहीं जाना चाहिए।