गौरी का सिर फोड़ा, हॉस्टल का मग तोड़ा:गुस्से पर कंट्रोल नहीं, लिखकर 13 साल की बच्ची ने की सुसाइड; इससे बच्चे को कैसे बचाएं
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मेरे गुस्से के आगे दुनिया में कुछ भी नहीं है। मैंने खुद को बहुत कंट्रोल किया मगर अब लगता है कि खुद के गुस्से पर काबू कर पाना मेरे बस की बात नहीं है। मेरे गुस्से और जिद के बारे में मेरे अलावा दूसरा कोई नहीं जान सकता है। मैंने गुस्से में हॉस्टल का मग तोड़ दिया था, मौसी को काफी कुछ बोला और मम्मी से भी लड़ाई की। गुस्से में गौरी का सिर फोड़ दिया था। क्लास की लड़की की पिटाई की थी और आज यूनिफॉर्म फेंका। इसके बाद भी गुस्से पर कंट्रोल नहीं कर पाई। इसलिए अब बस हो गया।’
ये सुसाइड नोट लखनऊ की रहने वाली 13 साल की एक बच्ची का है। नोट के नीचे बच्ची ने ‘Thankyou’ भी लिखा और फिर पेन की निब तोड़ दी। 20 जनवरी को हॉस्टल के कमरे में बच्ची की डेड बॉडी मिली थी।
आज जरूरत की खबर में बात बच्चों में बढ़ते इसी गुस्से की करेंगे। इसके पीछे क्या वजह है, ज्यादा गुस्सा करने से क्या नुकसान हो सकता है और गुस्सैल बच्चे को काबू कैसे करें।
आज के हमारे एक्सपर्ट हैं डॉ. वैभव चतुर्वेदी, एमडी, साइकेट्रिस्ट, कोकिलाबेन धीरूभाई हॉस्पिटल, इंदौर और डॉ. प्रीतेश गौतम, साइकेट्रिस्ट, भोपाल।
सवाल: क्या बच्चों को गुस्सा आना नॉर्मल है?
जवाब: यह बिल्कुल नॉर्मल है। बड़ों की तरह बच्चा अपनी बातें भावनाओं के जरिए बताता है। जब बच्चे को ऐसा लगता है कि कोई चीज उसके अनुसार नहीं हो रही है तो वह गुस्से के जरिए अपनी फीलिंग्स जाहिर करता है।
लेकिन हाइपर गुस्सा नॉर्मल नहीं है। कोरोना के बाद बच्चे मोबाइल फोन में ज्यादा इनवॉल्व रहने लगे हैं। इससे बच्चे इमोशन्स एक्सप्रेस नहीं कर पाते है। इस वजह से उनमें गुस्सा बढ़ गया है। वॉयलेंस वाले वीडियो गेम्स भी बच्चों को गुस्सा करने के लिए ट्रिगर करते हैं।
ऊपर दिए क्रिएटिव को अब डिटेल में समझें…
गलत पैरेंटिंग: पेरेंट्स बच्चे के सामने ही एक दूसरे के साथ फिजिकल या वर्बल हिंसा करते हैं। जब बच्चा यह देखता है तो उसे यह सब नॉर्मल लगता है। इसी व्यवहार को वो कॉपी करता है। बड़े होने पर यही आदत डेवलप हो जाती है।
दोनों बच्चों की तुलना: पेरेंट्स एक बच्चे की तुलना अक्सर अपने दूसरे बच्चे से करते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चे को सुधारने के लिए कंपेरिजन जरूरी है। इसी चक्कर में एक बच्चे को ज्यादा महत्व देते हैं और दूसरे को कम। यह बात बच्चे के दिल में बैठ जाती है और इसका विद्रोह गुस्से से वो जाहिर करता है।
ऑनलाइन गेमिंग: ये वायलेंस को बढ़ावा देने का काम करते हैं। ब्लू व्हेल गेम याद है न जिसे देखकर बच्चे आत्महत्या कर रहे थे। इसे एक साइकोपैथ ने बनाया था। इसी तरह कई गेम है जो बच्चे ऑनलाइन खेलते हैं और अपने व्यवहार में शामिल करते हैं।
अकेलापन: कोरोना के बाद बच्चे घर के अंदर रहना पसंद करने लगे थे। वे आउटडोर खेलते नहीं हैं तो दोस्त नहीं बनते। इससे अकेलापन बढ़ जाता है। इस वजह से वे अपनी फीलिंग्स भी शेयर नहीं कर पाते हैं। गुस्सा भी अंदर दबा देते हैं या फिर चीखते-चिल्लाते हैं।
इमोशंस शेयर न करना: इमोशन्स शेयर करने के लिए घर का माहौल सही होना चाहिए। बच्चे को लगना चाहिए अगर कोई बात वो बताएगा तो पेरेंट्स सुनेंगे, उसे डांटेंगे नहीं। उसके इमोशंस की कद्र होगी। जब ऐसा नहीं हो पाता तो वह उसे गुस्से से जाहिर करता है।
सवाल: साइक्रेटिक इलनेस बच्चों में हैं इसे कैसे पता कर सकते हैं?
जवाब: इसे आप इन बीमारियों के लक्षण को जानकर समझ सकते हैं…
OCD यानी ऑब्सेसिव कंप्लसिव डिसऑर्डर
- खराब विचार को मन से हटा न पाना।
- एक ही चीज को लगातार देखते रहना।
- बार-बार हाथ धोना, लॉक चेक करने की आदत हो जाती है।
- नींद न आना, डिप्रेशन और एंग्जाइटी की प्रॉब्लम हो जाती है।
- इसके एक्सट्रीम केस में सामने वाले को मारने का ख्याल आता है।
- बच्चे डर जाते हैं और खुद को ही मारने के बारे में सोचने लगते हैं।
डिप्रेशन
- सुबह उठते ही उदास रहना
- छोटी-छोटी बातों में चिड़ जाना।
- अकेले बैठे हुए रोने लगते हैं, उदास रहते हैं।
- थकावट और कमजोरी रहना।
- पढ़ाई और खेल दोनों में मन नहीं लगना।
ADHD यानी अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर
- कल्पना और ख्यालों में रहना।
- काफी बार चीजों को भूल जाना।
- बहुत अधिक बोलना या कम बोलना।
- दूसरों से मिलने में परेशानी होना।
- अक्सर लापरवाही और गलतियां करना।
सवाल: गुस्सा जाहिर करना कितना जरूरी है?
जवाब: गुस्सा सही तरीके से जाहिर करना बहुत जरूरी है वर्ना ये फ्रस्टेशन का कारण बन सकता है। गुस्सा जाहिर न कर पाने से इंसोम्निया, एंग्जायटी और डिप्रेशन भी हो सकता है। जो लोग लंबे समय तक अपने गुस्से को दबाए रखते हैं वो नशीले पदार्थों का इस्तेमाल, बिंज इटिंग डिसऑर्डर या उनका व्यवहार ज्यादा खर्चीला हो जाता है।
सवाल: गुस्सा व्यक्त करने का सही तरीका क्या है और यह बच्चों को कैसे सिखाएं?
जवाब: बच्चे को गुस्सा जाहिर करने का सही तरीका सिखाएं। बच्चे को कहे कि जब भी गुस्सा आए तो…
- कुछ भी बोलने या रिएक्ट करने से पहले सोचें कि आप जो करने जा रहे हैं उसका क्या असर होगा।
- अपने किसी दोस्त या भाई-बहन से मन की सारी बात कह दें।
- म्यूजिक सुनें या दूसरे तरीकों से खुद को डिस्ट्रैक्ट करें।
- बहस न करें बल्कि अपनी बात सामने वाले को समझाने की कोशिश करें।
सवाल: आखिर कोई गुस्से में आत्महत्या कैसे कर सकता है?
जवाब: डिप्रेशन की वजह से आने वाले इन ख्यालों की वजह से लोग आत्महत्या करते हैं I तीन तरह की फीलिंग होती है…
वर्थलेस: बच्चे को लगता है कि उनकी कोई वैल्यू नहीं हैं। कोई उससे प्यार नहीं करता और वो किसी काम का नहीं है।
होपलेस: बच्चे को लगता है कि जिस सिचुएशन से वो गुजर रहा है उसे कोई भी ठीक नहीं कर सकता। सुधार की कोई उम्मीद उसे नहीं लगती।
हेल्पलेस: बच्चा ऐसा फील करता है कि अब उसके हाथ में कुछ नहीं है। उसकी मदद कोई नहीं कर सकता। इस वजह से उन्हें लगता है कि सुसाइड के अलावा उनके पास कोई ऑप्शन नहीं है।
सवाल: कैसे पहचानें कि बच्चा गुस्सैल हो गया है?
जवाब: आपको बच्चे की हरकतों पर नजर रखनी होगी। बच्चा नीचे लिखी चीजों को बार-बार दोहराएं तो समझ जाएं कि वह गुस्सैल हो चुका है। आपको इसे हल्के में नहीं लेना है। डॉक्टर से संपर्क कर इसका समाधान फौरन ढूंढें।
जिद्दी: वो हरदम अपनी बात मनवाना चाहता है। उसकी बात नहीं मानी जाती है तो घर की चीजें जैसे कुशन, खिलौने वगैरह फेंकना शुरू कर देता है।
बात नहीं सुनता: बच्चा घर में किसी की भी बात नहीं सुनता है। वह हमेशा सिर्फ अपनी मन की चीजें करना चाहता है।
हाइपर एक्टिविटी: बच्चा हरदम चिड़चिड़ा रहता है और एक जगह स्थिर बैठना उसके लिए मुश्किल होता है।
सेल्फ हार्म: बच्चा खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश करता है।
सवाल: ज्यादा गुस्सा करने से बच्चों पर क्या असर पड़ता है?
जवाब: ज्यादा गुस्सा करने से बच्चों पर ऐसा होता है असर….
- बच्चों की लर्निंग पर गलत असर पड़ता है। वो कोई नई चीज नहीं सीख पाते।
- बच्चों का बिहेवियर हमेशा के लिए गुस्सैल और चिड़चिड़ा हो सकता है।
- ज्यादा गुस्से से बच्चों को पर्सनैलिटी डिसऑर्डर भी हो सकता है।
- गुस्सा करने वाले बच्चों के दोस्त नहीं बनेंगे। इससे वो अकेलापन और निगलेक्टेड फील करेंगे।
- जिन बच्चों को आसानी से गुस्सा आता है उन्हें स्कूल में दूसरे बच्चे ज्यादा बुली या परेशान करते हैं।
यह भी जान लें
अगर बचपन में गुस्सा करने की आदत पड़ जाए तो बड़े होने पर हो सकती हैं ये समस्याएं…
फिजिकल इम्पैक्ट
- गुस्से में दिमाग को सिग्नल जाता है कि शरीर लड़ाई करने के लिए तैयार है। इसकी वजह से मसल्स में ज्यादा ब्लड फ्लो होने लगता है। इससे हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और शरीर का टेम्प्रेचर बढ़ जाता है। कभी-कभी ऐसा होता है तो कोई परेशानी नहीं होगी, बार-बार गुस्सा करने से कई हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।
- गुस्से में इंटेस्टाइन और पेट तक ब्लड ठीक से नहीं पहुंच पाता इसलिए पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
- ज्यादा गुस्सा करने से सिरदर्द की परेशानी हो सकती है।
- कई लोगों को एग्जिमा भी हो सकता है। एग्जिमा त्वचा पर होने वाली एक एलर्जी जैसी होती है। इसमें स्किन पर रैश हो जाते हैं।
- कई लोगों को रात में सोने में समस्या होने लगती है। इसे इंसोम्निया कहते हैं।
- हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
- इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।
- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में पाया गया कि ज्यादा गुस्सा करने वाले लोगों के लंग्स कमजोर हो जाते हैं।
मेंटल इम्पैक्ट
- ज्यादा गुस्सा करने वाले लोग अक्सर चिड़चिड़े और स्ट्रेस में रहते हैं।
- डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्या भी हो सकती है।
- गुस्से में इंसान ठीक से सोच नहीं पाता और फैसले ले लेता है। इस तरह के फैसलों पर बाद में पछतावा होता है।
- गुस्से में कही गई बातों से और लिए गए फैसलों से करीबियों को दुख हो सकता है। ऐसे में ज्यादा गुस्सा करने वालों से लोग दूरी बना लेते हैं।
सवाल: क्या ज्यादा गुस्सा आने के पीछे जेनेटिक्स भी एक वजह है?
जवाब: हां। पिता या मां कोई गुस्से वाला है तो बच्चे में भी गुस्सा आ सकता है। इसके अलावा बच्चे माता-पिता को इमिटेट करते हैं। तो सबसे पहले माता-पिता को अपना व्यवहार सुधारने की जरूरत है। तभी बच्चों के व्यवहार में बदलाव ला सकेंगे।
सवाल: स्कूल में माता-पिता तो होते नहीं हैं। ऐसे में टीचर्स इन बच्चों के साथ किस तरह से डील कर सकती हैं?
जवाब: स्कूल में या माता-पिता के न होने पर गुस्सैल बच्चों के ऐसे करें हैंडल…
- बच्चे के माता-पिता से उसकी एंगर हिस्ट्री पर बात करें। पता करें कि क्या फैमिली में कोई ऐसा बिहेव करता है।
- स्कूल में बच्चों और माता-पिता के लिए सायकेट्रिक कैंप लगवाए जा सकते हैं।
- खराब व्यवहार करने पर ऐसे बच्चों को फिजिकल पनिशमेंट न दें। क्लास में पीछे बिठा दें या दोस्तों से अलग बिठा सकते हैं।
- अच्छा व्यवहार करें तो मनपसंद जगह पर बिठा दें। अच्छे व्यवहार के बाद बच्चे को रिवॉर्ड करने से वो बार-बार अच्छा व्यवहार करना चाहेंगे।
- बच्चे गुस्सा करें तो आप भी उनपर गुस्से न करने लगें। उनके साथ पेशेंस के साथ डील करें।
सवाल: बच्चों की जिद नहीं मानी तो वो गुस्सा करते हैं और घर सिर पर उठा लेते हैं। क्या करें?
जवाब: अगर बच्चा जिद्दी हो गया है तो ऐसे करें हैंडल…
- बच्चा अगर किसी चीज की मांग करता है तो पहले उनसे बात करें कि वह चीज उन्हें क्यों चाहिए।
- सबक सिखाने के लिए उसे अकेला छोड़ने की गलती न करें। इससे वो जिद्दी बन सकता है।
- बच्चे को बैठाकर उसे मेडिटेशन की ट्रिक्स सिखाएं। इससे उनका मन शांत होगा।
- बच्चे के अंदर काफी एनर्जी होती है जिसके यूज न होने पर बच्चा नेगेटिव चीजें जैसे जिद और गुस्सा करता है। इसलिए उसे ढेर सारी एक्टीविटीज करवाएं।
चलते-चलते
इंसानों में गुस्से की भावना क्यों विकसित हुई?
लाखों सालों के एवेल्यूशन के बाद इंसानों में इन 3 कारणों से गुस्से की भावना पैदा हुई-
- खतरे से निपटने के लिए
- जरूरी चीजों के लिए कॉम्पिटिशन
- सामाजिक नियमों को लागू कराने के लिए
गुस्सा आने के लिए साइंस किस तरह है जिम्मेदार,
ऐसे समझें
- जब भी कुछ ऐसा होता है, जिसकी हमें उम्मीद नहीं होती, तो हमारे दिमाग को सिग्नल जाता है।
- यह सिग्नल अमिगडाला नाम की ब्रेन सेल में जाते हैं, जिसके बाद स्ट्रेस हार्मोन एड्रिनलीन और टेस्टोस्टेरोन रिलीज होते हैं।
- यह हार्मोन शरीर को गुस्से के लिए तैयार करते हैं।
- गुस्से में इंसान कैसी प्रतिक्रिया देता है, उसका फैसला दिमाग के बाहरी हिस्से में होता है, जिसे प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स कहते हैं।
- इस हिस्से में लिए गए फैसले की वजह से, कभी कोई गुस्से में किसी को पीट देता है या कभी सिर्फ चिल्ला लेता है।