ऐश्वर्या नहीं चाहतीं तलाक:काउंसलिंग के बाद भी पति को नहीं रहना पत्नी के साथ, तो समझिए कैसे ले सकते हैं एकतरफा तलाक, काम की खबर जरूर पढ़े
प्रशांत बख़्शी
लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय के तलाक का मामला कोर्ट में है। रिश्ते को बचाने के लिए काउंसलिंग हो रही है। पटना हाईकोर्ट ने दोनों की आखिरी काउंसलिंग की तारीख 28 जून तय की थी। इस दाैरान ऐश्वर्या ने पति के साथ रहने की इच्छा जताई, लेकिन तेजप्रताप तलाक चाहते हैं।
कोर्ट ने ऐश्वर्या के वकील पीएन. शाही और तेजप्रताप के वकील जगन्नाथ सिंह की कमेटी बनाई है। कोर्ट ने कहा है कि 4 जुलाई को पटना जू के गेस्ट हाउस में दोनों के परिवार आपस में बात करें और बताएं कि वे क्या चाहते हैं।
अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि मैरिज काउंसलिग क्या है? यह कैसे और क्यों होती है? अगर पति तलाक चाहता है और पत्नी नहीं तो ऐसे में क्या कर सकते हैं? तो चलिए आज जरूरत की खबर में हम ऐसे तमाम सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं…
हमारे एक्सपर्ट हैं कोकिलाबेन हॉस्पिटल मुंबई के साइकेट्रिस्ट शौनिक अजिंक्य और पटियाला हाउस कोर्ट की एडवोकेट सीमा जोशी
सवाल- सबसे पहले जानते हैं कि मैरिज काउंसलिंग क्या होती है?
जवाब- यह मैरिड कपल पर की जाने वाली एक तरह की साइकोथेरेपी है। इसके जरिए एक्सपर्ट्स उनके रिश्तों में आने वाली समस्याओं को दूर करने की कोशिश करते हैं।
इसे ऐसे समझें
पंडित की तरह काउंसलर भी आपकी कुंडली ही बनाते हैं। अंतर बस यह है कि वह मन और रिलेशनशिप की कुंडली बनाते हैं। वह compatibility देखते हैं। हर व्यक्ति में कुछ कमी तो कुछ अच्छाई होती ही है। कौन सी अच्छाई को बढ़ाना है और किस कमी को कम करना है। यह काउंसलर बताते हैं।
इस दौरान काउंसलर 3 पहलू को तलाशता है
सिचुएशन (हालात)
मानसिकता
मानसिक बीमारी
सवाल- मैरिज काउंसलिंग करने वाले एक्सपर्ट कौन होते हैं?
जवाब- ये प्रोफेशनल साइकोलॉजिस्ट होते हैं, जिन्हें बोलचाल की भाषा में काउंसलर कहते हैं। इनका काम रिश्ते सुधारने की दिशा में तलाक चाहने वाले पति-पत्नी की मदद करना है।
सवाल- काउंसलर के पास सिर्फ तलाक के केस वाले ही जा सकते हैं?
जवाब- नहीं। हमारे देश में ज्यादातर लोग काउंसिलिंग को लेकर सोचते हैं कि जो कपल तलाक लेने या अलग होने वाले हैं, उन्हें ही काउंसलिंग की जरूरत होती है। हकीकत में सभी शादियां एक वक्त के बाद उतार-चढ़ाव झेल रही होती हैं। ऐसे लोगों के लिए भी ये एक्सपर्ट मददगार होते हैं।मैरिज काउंसलिंग के लिए साइकोलॉजिस्ट और दूसरे एक्सपर्ट के लिए नियम पहले से तय किए गए हैं, इसकी जानकारी दोनों पार्टनर को पहले दे दी जाती है।
इन नियमों को जानने के लिए नीचे लगे क्रिएटिव को पढ़ें…ऐश्वर्या नहीं चाहतीं तलाक:काउंसलिंग के बाद भी पति को नहीं रहना पत्नी के साथ, तो समझिए कैसे ले सकते हैं एकतरफा तलाक
एक घंटा पहले
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लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय के तलाक का मामला कोर्ट में है। रिश्ते को बचाने के लिए काउंसलिंग हो रही है। पटना हाईकोर्ट ने दोनों की आखिरी काउंसलिंग की तारीख 28 जून तय की थी। इस दाैरान ऐश्वर्या ने पति के साथ रहने की इच्छा जताई, लेकिन तेजप्रताप तलाक चाहते हैं।
कोर्ट ने ऐश्वर्या के वकील पीएन. शाही और तेजप्रताप के वकील जगन्नाथ सिंह की कमेटी बनाई है। कोर्ट ने कहा है कि 4 जुलाई को पटना जू के गेस्ट हाउस में दोनों के परिवार आपस में बात करें और बताएं कि वे क्या चाहते हैं।
अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि मैरिज काउंसलिग क्या है? यह कैसे और क्यों होती है? अगर पति तलाक चाहता है और पत्नी नहीं तो ऐसे में क्या कर सकते हैं? तो चलिए आज जरूरत की खबर में हम ऐसे तमाम सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं…
हमारे एक्सपर्ट हैं कोकिलाबेन हॉस्पिटल मुंबई के साइकेट्रिस्ट शौनिक अजिंक्य और पटियाला हाउस कोर्ट की एडवोकेट सीमा जोशी
सवाल- सबसे पहले जानते हैं कि मैरिज काउंसलिंग क्या होती है?
जवाब- यह मैरिड कपल पर की जाने वाली एक तरह की साइकोथेरेपी है। इसके जरिए एक्सपर्ट्स उनके रिश्तों में आने वाली समस्याओं को दूर करने की कोशिश करते हैं।
इसे ऐसे समझें
पंडित की तरह काउंसलर भी आपकी कुंडली ही बनाते हैं। अंतर बस यह है कि वह मन और रिलेशनशिप की कुंडली बनाते हैं। वह compatibility देखते हैं। हर व्यक्ति में कुछ कमी तो कुछ अच्छाई होती ही है। कौन सी अच्छाई को बढ़ाना है और किस कमी को कम करना है। यह काउंसलर बताते हैं।
इस दौरान काउंसलर 3 पहलू को तलाशता है
सिचुएशन (हालात)
मानसिकता
मानसिक बीमारी
सवाल- मैरिज काउंसलिंग करने वाले एक्सपर्ट कौन होते हैं?
जवाब- ये प्रोफेशनल साइकोलॉजिस्ट होते हैं, जिन्हें बोलचाल की भाषा में काउंसलर कहते हैं। इनका काम रिश्ते सुधारने की दिशा में तलाक चाहने वाले पति-पत्नी की मदद करना है।
सवाल- काउंसलर के पास सिर्फ तलाक के केस वाले ही जा सकते हैं?
जवाब- नहीं। हमारे देश में ज्यादातर लोग काउंसिलिंग को लेकर सोचते हैं कि जो कपल तलाक लेने या अलग होने वाले हैं, उन्हें ही काउंसलिंग की जरूरत होती है। हकीकत में सभी शादियां एक वक्त के बाद उतार-चढ़ाव झेल रही होती हैं। ऐसे लोगों के लिए भी ये एक्सपर्ट मददगार होते हैं।
– Dainik Bhaskar
मैरिज काउंसलिंग के लिए साइकोलॉजिस्ट और दूसरे एक्सपर्ट के लिए नियम पहले से तय किए गए हैं, इसकी जानकारी दोनों पार्टनर को पहले दे दी जाती है।
इन नियमों को जानने के लिए नीचे लगे क्रिएटिव को पढ़ें…
– Dainik Bhaskar
मैरिज काउंसलिंग के ये 2 स्टेप्स होते हैं
सिस्टमेटिक थेरेपी- इस थेरेपी में एक्सपर्ट, कपल से उनकी फैमिली बैकग्राउंड, सोशल बैकग्राउंड जानने की कोशिश करता है। उसका मकसद समस्या की जड़ तक पहुंचना होता है, ताकि उसे जल्द से जल्द सुलझाया जा सके। इसे एक उदाहरण से समझते हैं– अगर पत्नी ऐसे परिवार से हो, जहां उनके पेरेंट्स अपने काम में बिजी थे और वह अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी रही थी। पेरेंट्स ने कभी उसकी जिंदगी में दखल भी नहीं दिया। वहीं पति ऐसे परिवार से हैं, जहां जॉइंट फैमिली है। बच्चे और पेरेंट्स के बीच बॉन्डिंग स्ट्रॉन्ग रही। ऐसे में दोनों की परवरिश और स्वभाव में अंतर होगा।
बिहेवियरल थेरेपी- इसमें दोनों के
ऐश्वर्या नहीं चाहतीं तलाक:काउंसलिंग के बाद भी पति को नहीं रहना पत्नी के साथ, तो समझिए कैसे ले सकते हैं एकतरफा तलाक
एक घंटा पहले
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कोर्ट ने ऐश्वर्या के वकील पीएन. शाही और तेजप्रताप के वकील जगन्नाथ सिंह की कमेटी बनाई है। कोर्ट ने कहा है कि 4 जुलाई को पटना जू के गेस्ट हाउस में दोनों के परिवार आपस में बात करें और बताएं कि वे क्या चाहते हैं।
अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि मैरिज काउंसलिग क्या है? यह कैसे और क्यों होती है? अगर पति तलाक चाहता है और पत्नी नहीं तो ऐसे में क्या कर सकते हैं? तो चलिए आज जरूरत की खबर में हम ऐसे तमाम सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं…
हमारे एक्सपर्ट हैं कोकिलाबेन हॉस्पिटल मुंबई के साइकेट्रिस्ट शौनिक अजिंक्य और पटियाला हाउस कोर्ट की एडवोकेट सीमा जोशी
सवाल- सबसे पहले जानते हैं कि मैरिज काउंसलिंग क्या होती है?
जवाब- यह मैरिड कपल पर की जाने वाली एक तरह की साइकोथेरेपी है। इसके जरिए एक्सपर्ट्स उनके रिश्तों में आने वाली समस्याओं को दूर करने की कोशिश करते हैं।
इसे ऐसे समझें
पंडित की तरह काउंसलर भी आपकी कुंडली ही बनाते हैं। अंतर बस यह है कि वह मन और रिलेशनशिप की कुंडली बनाते हैं। वह compatibility देखते हैं। हर व्यक्ति में कुछ कमी तो कुछ अच्छाई होती ही है। कौन सी अच्छाई को बढ़ाना है और किस कमी को कम करना है। यह काउंसलर बताते हैं।
इस दौरान काउंसलर 3 पहलू को तलाशता है
सिचुएशन (हालात)
मानसिकता
मानसिक बीमारी
सवाल- मैरिज काउंसलिंग करने वाले एक्सपर्ट कौन होते हैं?
जवाब- ये प्रोफेशनल साइकोलॉजिस्ट होते हैं, जिन्हें बोलचाल की भाषा में काउंसलर कहते हैं। इनका काम रिश्ते सुधारने की दिशा में तलाक चाहने वाले पति-पत्नी की मदद करना है।
सवाल- काउंसलर के पास सिर्फ तलाक के केस वाले ही जा सकते हैं?
जवाब- नहीं। हमारे देश में ज्यादातर लोग काउंसिलिंग को लेकर सोचते हैं कि जो कपल तलाक लेने या अलग होने वाले हैं, उन्हें ही काउंसलिंग की जरूरत होती है। हकीकत में सभी शादियां एक वक्त के बाद उतार-चढ़ाव झेल रही होती हैं। ऐसे लोगों के लिए भी ये एक्सपर्ट मददगार होते हैं।
– Dainik Bhaskar
मैरिज काउंसलिंग के लिए साइकोलॉजिस्ट और दूसरे एक्सपर्ट के लिए नियम पहले से तय किए गए हैं, इसकी जानकारी दोनों पार्टनर को पहले दे दी जाती है।
इन नियमों को जानने के लिए नीचे लगे क्रिएटिव को पढ़ें…
– Dainik Bhaskar
मैरिज काउंसलिंग के ये 2 स्टेप्स होते हैं
सिस्टमेटिक थेरेपी- इस थेरेपी में एक्सपर्ट, कपल से उनकी फैमिली बैकग्राउंड, सोशल बैकग्राउंड जानने की कोशिश करता है। उसका मकसद समस्या की जड़ तक पहुंचना होता है, ताकि उसे जल्द से जल्द सुलझाया जा सके। इसे एक उदाहरण से समझते हैं– अगर पत्नी ऐसे परिवार से हो, जहां उनके पेरेंट्स अपने काम में बिजी थे और वह अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी रही थी। पेरेंट्स ने कभी उसकी जिंदगी में दखल भी नहीं दिया। वहीं पति ऐसे परिवार से हैं, जहां जॉइंट फैमिली है। बच्चे और पेरेंट्स के बीच बॉन्डिंग स्ट्रॉन्ग रही। ऐसे में दोनों की परवरिश और स्वभाव में अंतर होगा।
बिहेवियरल थेरेपी- इसमें दोनों के स्वभाव और बर्ताव को जानने की कोशिश की जाती है। काउंसलर लड़ाई या मनमुटाव की वजह को तलाशता है और उन्हें समझाता है।
कई बार क्विक स्टेप्स के तौर पर सिस्टमेटिक थेरेपी को इग्नोर कर सीधे बिहेवियरल थेरेपी पर काउंसलर आ जाते हैं। यह गलत है।
सवाल- अगर मामला तलाक का चल रहा और कपल की काउंसलिंग की जा रही हैं, ऐसे में क्या रिपोर्ट कोर्ट और पुलिस को सौंपनी पड़ती ?
जवाब- हां, लेकिन अगर जज उसकी मांग करे तब। पुलिस को अगर रिपोर्ट चाहिए तो उसे भी काउंसलर से रिक्वेस्ट करनी पड़ती है।
सवाल- क्या कांउसलर के फैसले के आधार पर कोर्ट अपना फैसला सुनाता है?
जवाब- नहीं, काउंसलिंग के बाद कोर्ट और पुलिस को काउंसलर अपनी राय दे सकता है। इस रिपोर्ट के आधार पर फैसला सुनाने के लिए जज मजूबर नहीं होता है।
अब जानते हैं कि अगर पति तलाक चाहता है और पत्नी नहीं तो ऐसे में क्या कर सकते हैं?
पटियाला हाउस कोर्ट की एडवोकेट सीमा जोशी कहती हैं कि ऐसे में पति को contested divorce (विवादित तलाक) मिल सकता है। इसे एकतरफा तलाक भी कहते हैं। इसमें काेर्ट पति से सबूत मांग सकता है कि उसे क्यों तलाक चाहिए। हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 13 में contested divorce के आधार के बारे में साफ तौर से लिखा गया है। जो इस तरह है…
एडल्ट्री- यह क्राइम है, जिसके अनुसार, पति या पत्नी में से कोई भी शादी से बाहर किसी के साथ फिजिकल रिलेशन रखता है।
क्रूरता- इसे एक जानबूझकर किए गए काम के तौर पर डिफाइन किया गया है, जिसमें शरीर, बॉडी के किसी पर्टिकुलर पार्ट, लाइफ या मेंटल हेल्थ के लिए खतरा हो सकता है। इसमें दर्द पैदा करना, गाली देना, मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शामिल हो सकता है।
धर्म परिवर्तन- हिंदू विवाह में, अगर पति या पत्नी एक दूसरे को बिना बताए या सहमति के दूसरा धर्म अपना लेता/लेती है तो इसे तलाक का आधार माना जा सकता है।
मेंटल डिसऑर्डर- मेंटल डिसऑर्डर में मन की स्थिति, मानसिक बीमारी या प्रॉब्लम शामिल है, जो व्यक्ति को असामान्य रूप से आक्रामक बना देता है।
कुष्ठ रोग- कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो स्किन और नर्व को डैमेज करती है।
पार्टनर के बीच बातचीत नहीं- अगर पति या पत्नी में से किसी एक की बात सात साल से ज्यादा समय तक नहीं हुई है तो इसे तलाक का आधार माना जा सकता है।
संन्यास- हिंदू कानून के तहत, संसार का त्याग तलाक के लिए एक आधार है, अगर पति या पत्नी में से किसी एक ने संन्यास ले लिया है तो उसे तलाक मिल जाता है।
ऊपर लिखी बात को सरल तरह से दोबारा क्रिएटिव में लिखा जा रहा, इसे पढ़ें और जानकारी को शेयर करें…