Climate Change: हिमाचल की राजधानी शिमला में भिनभिनाने लगीं घरेलू मक्खियां, विशेषज्ञों ने बताई ये वजह

प्रशांत बख्शी
Climate Change: हिमाचल की राजधानी शिमला में भिनभिनाने लगीं घरेलू मक्खियां, विशेषज्ञों ने बताई ये वजह
,प्रदेश की राजधानी शिमला में इस साल घरेलू मक्खियां बढ़ गई हैं। तापमान बढ़ने से जलवायु परिवर्तन की संकेतकर बनकर ये यहां-वहां भिनभिनाकार बीमारियां फैला रही हैं। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में इस साल घरेलू मक्खियां बढ़ गई हैं। तापमान बढ़ने से जलवायु परिवर्तन की संकेतकर बनकर ये यहां-वहां भिनभिनाकार बीमारियां फैला रही हैं। ठंडे मौसम के लिए मशहूर शिमला में तापमान सामान्य से दो-तीन डिग्री सेल्सियस ज्यादा ही चलता रहा है तो इसी से ये अजीबोगरीब हालात पैदा हो रहे हैं। सरकारी कार्यालय हों या घर हों, ये घरेलू मक्खियां यहां-वहां बैठी नजर आती हैं। शिमला में चाहे ढाबे या होटल हों या फिर सरकारी या निजी कार्यालय हों। ये यहां-वहां भिनभिनाती रहती हैं। शिमला का तापमान इस बार 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा है। यह मक्खियों के पनपने के लिए अनुकूल जलवायु बनाता है। 33 डिग्री सेल्सियस तक तापमान मक्खियों को पनपने के लिए सहायक
केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के पर्यावरण एवं रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर दीपक पंत और डॉ. भावना मिश्रा ने मक्खियों पर संयुक्त रूप से अपने अध्ययन में पाया है कि मक्खियां हिमाचल के ठंडे क्षेत्रों के मौसम को पसंद कर रही हैं, जो इनके लिए पहले प्रतिबंधित माने जाते थे। 38 डिग्री सेल्सियस से ऊपर उनकी गतिविधि धीमी होती है। यदि तापमान 47 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ जाता है तो यह भी उनके लिए घातक होता है। यदि तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक भी गिर जाता है तो एक सामान्य घरेलू मक्खी उड़ने में असमर्थ होगी और 7 डिग्री सेल्सियस से नीचे का तापमान आमतौर पर उन भिनभिनाने वाले कीटों के लिए घातक साबित होता है, जिनकी औसत उम्र 20 से 30 दिनों के बीच होती है। शिमला समेत हिमाचल के अन्य क्षेत्रों में बढ़ते तापमान में मक्खियों की आबादी में वृद्धि हुई है। 33 डिग्री सेल्सियस तक जहां तापमान है, वहां इन्हें पनपने में अनुकूल वातावरण मिल रहा है। गंदगी वाले क्षेत्रों में भी ये ज्यादा पाई जा रही हैं। मक्खियों के लिए अनुकूल जलवायु परिवर्तन चिंता का कारण हैं। डायरिया, टायफायड, पीलिया के कीटाणु उठाकर भोजन पर रख देती है मक्खी
आईजीएमसी शिमला से मेडिसिन विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. राजीव रैणा ने कहा कि पिछले कुछ समय से शिमला में घरेलू मक्खियां बहुत ज्यादा देखी गई हैं। इसका कारण तापमान का बढ़ना ही। इस साल तो गर्मियां यूं भी ज्यादा रही हैं। शिमला में सीवरेज और ड्रेनेज की ठीक से निकासी की व्यवस्था का न होना भी कारण है। उन्होंने कहा कि मक्खियां गंदगी पर बैठती हैं, वहां से डायरिया, टायफायड, पीलिया आदि के कीटाणु आदि उठाकर भोजन पर डाल देती हैं, जिससे ये रोग फैलते हैं। ,1968 से शिमला में रह रहे, तब नाममात्र की थीं मक्खियां
वरिष्ठ नागरिक बलवान कश्यप 77 साल के हैं। वह शिमला में एवरसन्नी क्षेत्र में रहते हैं। उन्होंने कहा कि वह 1968 से लेकर शिमला मेें रह रहे हैं। उस समय यहां मक्खियां नाममात्र ही होती थीं। तब सफाई भी रहती थी और शिमला का मौसम भी ज्यादा गरम न था। अब जलवायु बदलने के साथ यहां-वहां मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं। यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।