Saturday, October 19, 2024

राज्य

यूपी सरकार का गंगा टैक्स

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अग्रवाल स्वीट्स के साथ कुछ प्रतिष्ठानों पर नजर डालेंगे

यमी छोला भटूरा अग्रवाल स्वीट्स का

  अग्रवाल स्वीट्स्स का यम्मी पिज़्ज़ा

Agrwaal sweets and confectionery में आइए एक बार सेवा का मौका देकर हमें अपने आप को साबित करने का एक मौका दीजिए, हमारे यहां सारी तरह की मिठाइयां मिलती है रसगुल्ला काला, रसगुल्ला सफेद,, काजू कतली, मिल्क केक अपने हाथ से तैयार हुई शुद्ध देसी घी से निर्मित मिठाइयों का सेवन कीजिए hundred percent Shuddh se Nirmit🌹🌹🌹8171703720 proprietor कार्तिक अग्रवाल

पढ़िए पूरी खबर

दुनिया में हिंदुओं का सबसे प्रमुख तीर्थस्थल है काशी। अब इसे लोग इसके नए नाम वाराणसी से भी जानते हैं। हर हिंदू के मन में यह ख्वाहिश जरूर रहती है कि काश, एक बार वह काशी जा पाता। यहां देवों के देव महादेव यानी काशी विश्वनाथ विराजते हैं। मान्यता है कि यहां अंतिम संस्कार होने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। काशी की पहचान घाटों से है। हर दिन काशी के घाटों पर पूजा-पाठ, अनुष्ठान के साथ गंगा आरती और अन्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। इस शहर का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। मगर मोदी की काशी में अब जजिया कर लग गया है।

यूपी सरकार ने यहां गंगा टैक्स लगा दिया है। इसके तहत अब श्रद्धालुओं को गंगा किनारे पूजा-पाठ करने पर टैक्स देना होगा। सरकार के इस पैâसले से हिंदुओं के तमाम संत व पुरोहितों ने नाराजगी प्रकट भी की है।

मिली जानकारी के अनुसार गंगा किनारे होनेवाले पूजा-पाठ व तमाम धार्मिक अनुष्ठानों पर अब नगर निगम टैक्स वसूलेगा। गंगा आरती से लेकर घाट पर पूजा अनुष्ठान करानेवाले पंडों को अब टैक्स देना पड़ेगा। वाराणसी नगर निगम ने नदी किनारे रख-रखाव संरक्षण एवं नियंत्रण उपविधि २०२० की घोषणा कर दी है। तत्काल प्रभाव से ये कर लागू हो गया है। नगर निगम के राजस्व एवं तहसीलदार विनय राय का कहना है कि घाटों की साफ -सफाई और उनके संरक्षण के लिए शुल्क की व्यवस्था की गई है। घाटों पर पूजा-पाठ कराने वाले पुरोहित, गंगा आरती के आयोजकों और अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए अब शुल्क निर्धारित किया गया है। नगर निगम नदी रखरखाव संरक्षण एवं नियंत्रण उपविधि २०२० के मुताबिक अब घाटों पर पूजा-पाठ करानेवाले पुरोहितों को १०० रुपए और गंगा आरती कराने वाले आयोजकों को ५०० रुपए वार्षिक शुल्क देना पड़ेगा। इसके साथ ही घाटों पर सांस्कृतिक आयोजन के लिए ४००० रुपए, धार्मिक आयोजन के लिए ५०० और सामाजिक आयोजन के लिए २०० रुपए का कर निर्धारित किया गया है। घाटों पर धार्मिक आयोजनों के लिए लगाए गए शुल्क का विरोध भी शुरू हो गया है। काशी तीर्थ पुरोहित संघ के इसका विरोध किया है। संघ के अध्यक्ष कन्हैया त्रिपाठी ने बताया कि घाट किनारे पूजा-पाठ कराने वाले पुरोहितों से टैक्स लेने का पैâसला पूरी तरह से अनुचित है। वाराणसी नगर निगम को अपना ये पैâसला वापस लेना चाहिए। काशी तीर्थ पुरोहित संघ के अलावा समाजवादी पार्टी भी इसका विरोध कर रही है।