देहरादून
देश में जबरन धर्मांतरण का मुद्दा केंद्र सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी चर्चा में है और इसे रोकने के लिए कड़ा कानून बनाने की बात भी की जा रही है। इन सबके बीच उत्तराखंड सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। उत्तराखंड में अब अगर कोई भी व्यक्ति धर्मांतरण करवाता पकड़ा जाता है, तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है। इस बात की जानकारी खुद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दी है। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण बहुत प्रकार से बहुत जगह चल रहा था और ये हमारे लिए गंभीर विषय बनता जा रहा था। इसलिए हमें कानून को सख्त बनाना पड़ा है। धामी ने यह भी कहा कि उत्तराखंड देव भूमि है और यहां जबरन धर्मांतरण जैसी चीजें हमारे लिए खतरनाक हो सकती हैं।
इसलिए हमने धर्मांतरण विरोधी कानून को सख्त बनाने का फैसला किया है। उत्तराखंड में 2018 में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून लाया गया था। पहले इसमें एक से पांच साल की कैद तथा एससी-एसटी के मामले में दो से साल साल की कैद की सजा थी। हालांकि अब सजा को बढ़ा दिया गया है। जबरन धर्मांतरण को लेकर ओडिशा, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश में पहले से ही कानून मौजूद है। जबरन धर्मांतरण पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसे रोकने के खिलाफ कोई समग्र कानून नहीं है।