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• खाद्यान्न से लेकर कपड़े व दवा तक में मिलावट
मुंबई
आज बाजारों में असली और नकली सामान इतना ज्यादा मिक्स हो चुका है कि इसका फर्क कर पाना बहुत ही मुश्किल हो चुका है। हालात ऐसे हो गए हैं कि बाजार में उपभोक्ता सामान व खाद्य पदार्थों पर नक्कालों ने एक तरह से कब्जा जमा लिया है। ऐसे में बाजार में सामान की खरीददारी करते वक्त लोगों को काफी सावधान रहने की जरूरत है। बता दें कि देश में नकली सामान की घुसपैठ लगातार बढ़ती जा रही है। हाल ही में सरकार ने गोल्ड और मोबाइल की तस्करी रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। लेकिन नकली सामान को रोकने के लिए अभी तक कोई असरदार योजना अमल में नहीं आई है। ये खतरा कितना बड़ा है, इसका अनुमान ‘क्रिसिल’ और ‘ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन प्रोवाइडर्स एसोसिएशन’ की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। इनके मुताबिक देश में बेचे जानेवाले सभी उत्पादों में से २५ से ३० फीसदी नकली होते हैं। २०१९-२० में नकली सामान का बाजार २.६ लाख करोड़ रुपए का था और ये लगातार बढ़ता जा रहा है।
कपड़ा है नंबर वन
नकली सामान की सबसे ज्यादा समस्या कपड़ों और एफएमसीजी के क्षेत्र में है। इसके बाद फार्मा, आटोमोटिव और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में भी नकली सामान की समस्या है। अगर अलग-अलग क्षेत्रों की बात करें तो ३१ फीसदी के साथ नकली उत्पादों के मामले में कपड़ा पहले नंबर पर आता है। इसके बाद २८ फीसदी के साथ एफएमसीजी और २५ फीसदी के साथ ऑटोमोटिव का नंबर आता है, जहां ग्राहकों को खरीदारी करते समय नकली उत्पाद मिल जाते हैं।
२० फीसदी दवा नकली
कपड़ा व एफएमसीजी के अलावा भी कई ऐसे सेगमेंट्स हैं, जहां पर नकली प्रोडक्ट्स की समस्या सब पर भारी पड़ती है। इनमें दवा (फार्मास्यूटिकल्स) २० फीसदी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स १७ परसेंट और एग्रोकेमिकल्स १६ फीसदी नकली सामान के साथ शामिल हैं। एक समस्या यहां पर जागरुकता की भी है। रिपोर्ट के मुताबिक कम-से-कम २७ फीसदी ग्राहक इस बात से अनजान हैं कि जो प्रोडक्ट्स वे खरीद रहे हैं, वो असल में नकली है। हालांकि, ३१ फीसदी लोग जानते हुए या फिर परख करते हुए नकली सामान खरीद लेते हैं। इस रिपोर्ट में जिन १२ शहरों को शामिल किया गया है, उनमें मुंबई, दिल्ली, आगरा, जालंधर, अमदाबाद, जयपुर, इंदौर, कोलकाता, पटना, चेन्नई, बंगलुरु और हैदराबाद शामिल हैं। क्रिसिल मार्वेâट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के मुताबिक नकली सामान केवल लग्जरी प्रोडक्ट्स तक सीमित नहीं हैं। हर घर की रसोई में रोजाना इस्तेमाल होनेवाले जीरे से लेकर खाना पकाने के तेल और बच्चों की देखभाल के सामान से लेकर दवाओं तक नकली सामान की घुसपैठ लगातार बढ़ती जा रही है।