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2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से तथाकथित देशप्रेमी नेता और पार्टियां धर्म-निरपेक्षता और संविधान की दुहाई देकर जनमानस को भ्रमित करते आ रहे हैं। वर्तमान में विदेशी हिंडनबर्ग की रपट से देश को लाभान्वित करने वाले गौतम अडानी के विरुद्ध खुले मोर्चे को तो देख ही रहे हैं, इससे पूर्व देश नागरिक संशोधक कानून के विरोध में जगह-जगह बने शाहीन बागों को भी देखा। ये शाहीन बाग बने थे अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या, बांग्लादेशी और पाकिस्तानियों को संरक्षण देने के लिए। उत्तर प्रदेश के आगरा में बांग्लादेशी घुसपैठियों की एक बस्ती मिली है। पुलिस ने 28 घुसपैठियों को गिरफ्तार किया है। एक खाली जमीन पर झुग्गी बनाकर ये बस गए थे। इनके पास से फर्जी आधार, पैन कार्ड और वीजा भी मिला है। पूछताछ में बताया है कि बॉर्डर पार करने के लिए 15 से 20 हजार रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब उन्होंने हालिम को दिए थे।
आगरा पुलिस ने 5 फरवरी 2023 को इस बस्ती का पर्दाफाश किया। आगरा सिटी के DCP विकास कुमार ने बताया कि फर्जी दस्तावेज बनाने वालों की भी तलाश की जा रही है। हालिम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वह आगरा में 12 साल से स्वीपर बनकर रह रहा है। उसके बैंक अकाउंट में पैसों का अच्छा-खासा लेन-देन भी हुआ है। ये पैसे हवाला के माध्यम से बांग्लादेश भेजे गए हैं। हालिम के साथ बाकी अन्य आरोपितों के भी बैंक खातों की जाँच करवाई जा रही है।
मामला सिकंदरा थाना क्षेत्र का है। गिरफ्तार हुए सभी 28 बांग्लादेशियों ने आगरा की आवास-विकास कॉलोनी सेक्टर 14 के ग्राउंड को अपना ठिकाना बना लिया था। इनके पास से 35 फर्जी आधार कार्ड और एक फर्जी पैन कार्ड बरामद हुआ है। इन सभी पर IPC की धारा 419, 420, 467, 471 के साथ 14 (C) विदेशी विषयक अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है। DCP विकास के मुताबिक इन सभी के प्रत्यर्पण के लिए भी संबंधित विभाग को पत्र लिखा जाएगा।
कुछ रिपोर्टों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या 32 बताई गई है। समूह में 15 पुरुष, 13 औरतें और 12 साल से ज्यादा उम्र वाले 4 बच्चे बताए जा रहे हैं। 8 ऐसे भी बच्चे हैं जिनकी उम्र 1 से 8 साल के बीच की है। पुलिस ने बताया कि ये घुसपैठिए कूड़ा बीनने का काम करते थे। गिरफ्तार लोगों में अभी तक बबलू, फारुख, रवीउल शेख जैसे नाम सामने आए हैं। इनका कहना है कि इन्हें नदी के रास्ते नाव से पश्चिम बंगाल में बॉर्डर पार करवाया गया था।
पुलिस द्वारा शेयर अख़बारों में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार रास्ते में चेकिंग होने पर ये लोग खुद को मछुआरा बताते हैं। जानकारी के मुताबिक बांग्लादेश की रहने वाली रहीमा इन घुसपैठियों के फर्जी कागजात तैयार करती है।