Friday, November 22, 2024

राजनीतिराज्य

देश में बालासाहेब की हवा कायम : कुर्सियां आती, जाती हैं… मुझे लोगों के हृदय में स्थान चाहिए!-उद्धव ठाकरे

SG

भायंदर
राजनीति, कुर्सियां हड़पने का हथियार बन गई है। लेकिन मुझे केवल आसन नहीं चाहिए। मुझे आपके मन में स्थान चाहिए। हृदय का स्थान महत्वपूर्ण होता है। कुर्सियां आती और जाती हैं। मुझे कुर्सी की आवश्यकता नहीं है। यह लड़ाई हम जनता के विश्वास के बल पर जीतेंगे ही, ऐसा विश्वास शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे पास पहले पिता चुरानेवाले लोग थे। अब गुरु चुरानेवाली टोली भी तैयार हो गई है। आप हमारे पिता अथवा गुरु को चुरा सकते हो लेकिन हमारे मन में संजोए उनके संस्कार चुराकर नहीं ले जा सकते क्योंकि वो जन्मजात हैं, ऐसा उद्धव ठाकरे ने दृढ़ता से कहा।
भगवान विमलनाथ जैन मंदिर के जीर्णोद्धार के उपलक्ष्य में अंजन शलाका महोत्सव का आयोजन किया गया है। इस महोत्सव में प्रमुख अतिथि के तौर पर उद्धव ठाकरे उपस्थित थे।

पिता के बाद अब गुरु चुरानेवाली टोली
हमारे पास पहले पिता चुरानेवाले लोग थे। अब गुरु चुरानेवाली टोली भी तैयार हो गई है। आप हमारे पिता अथवा गुरु को चुरा सकते हो लेकिन हमारे मन में संजोए उनके विचार और संस्कार चुराकर नहीं ले जा सकते क्योंकि वो जन्मजात हैं। शत्रु शक्तिशाली होगा तब भी लड़ाई हम ही जीतेंगे। मैं संकट को कभी भी संकट नहीं मानता। मैं संकट में अवसर तलाशनेवाला व्यक्ति होने के साथ ही शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे का पुत्र हूं। इसलिए कितना भी संकट आए मैं बिल्कुल नहीं डरूंगा। शत्रु शक्तिशाली होगा तब भी यह लड़ाई हम हर हाल में जीतेंगे ही, ऐसा दृढ़ विश्वास कल शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कल व्यक्त किया। वे कल भायंदर में भगवान विमल नाथ जैन मंदिर के जीर्णोद्धार के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित थे। इस दौरान जैन मुनिवर आचार्य भगवंत यशोवर्म सुरीश्वरजी महाराज का उद्धव ठाकरे ने आशीर्वाद लिया। इसके बाद जैन समाज ने उद्धव ठाकरे का सत्कार किया।

हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे १९९१ में दादर स्थित जैन मंदिर में दर्शन के लिए गए थे। इस दौरान वहां पंखे की व्यवस्था नहीं थी। उसी बात को याद करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि आपने बालासाहेब की याद दिला दी। लेकिन मेरे पिता को पैâन की कभी भी जरूरत नहीं पड़ी। वे जहां जाते, वहां उनके पैâन ही पैâन होते थे। तभी से उनकी देशभर में हवा है और वो आज भी कायम है।