हिंदुओं के खिलाफ मुस्लिमों के अपराधों में वृद्धि’: बहुसंख्यकों के खिलाफ चल रही मुहिम : Hate Speech मामले में हिंदू संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में दिया आवेदन
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आज देश में संविधान, बोलने/लिखने की आज़ादी और गंगा-जमुनी तहजीब आदि जैसे भ्रमित नारों की आड़ में चल रहे हिन्दू विरोधी षडयंत्र को बेनकाब करने सुप्रीम कोर्ट में हेटस्पीच (Hate Speech) को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई चल रही है। इस बीच हिंदू संगठन ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ (HFJ) की तरफ से शीर्ष अदालत में हस्तक्षेप आवेदन (Intervention application) दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि देश में मुस्लिम और ईसाई मिशनरियों द्वारा हिंदुओं को धर्मांतरित करने के लिए मुहिम चलाई जा रही है।
बता दें पत्रकार कुर्बान अली द्वारा 17 दिसंबर 2021 को हरिद्वार में नरसिंहानंद द्वारा आयोजित धर्म संसद में और 19 दिसंबर 2021 को दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रमों में दिए गए भाषणों के खिलाफ कार्रवाई माँग को लेकर दायर याचिका की गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। अब इस मामले में हिंदू संगठन ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की है।
अधिवक्ता हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन के द्वारा दी गई याचिका में कहा गया है कि कई मौकों पर मुस्लिम भीड़ ने ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाए। एक तरह से सरेआम सिर काटने की बात कही जा रही थी। उसके बाद देश के कई हिस्सों में सिर काटने व सिर काटने की कोशिश जैसी घटनाएँ सामने आईं।
आवेदन में कुछ ऐसे उदाहरण भी दिए गए हैं, जिनमें स्टैंडअप कॉमेडियन हिंदू धर्म व देवी-देवताओं पर भद्दे और अपमानजनक चुटकुले बनाते नजर आए। इसमें मुनव्वर फारूकी का जिक्र है, जिसने कुछ दिन पहले भगवान राम और माता सीता के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। अर्जी में कई उदाहरण दिए गए हैं, जहाँ हिंदुओं के खिलाफ हेट स्पीच के बाद अपराधिक घटनाएँ घटित हुईं।
याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं के खिलाफ मुस्लिमों के अपराधों में लगातार वृद्धि हुई है। मुस्लिमों में हिंदुओं के प्रति घृणा की भावना तेजी के साथ बढ़ी है, लेकिन पुलिस राजनीतिक कारणों और मुस्लिम भीड़तंत्र के डर से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में हिचकिचाती है।
याचिका में आगे कहा गया है कि बेहद खास और मजबूर करने वाली परिस्थितियों में ही पुलिस द्वारा FIR दर्ज की गई, लेकिन हिंदुओं के खिलाफ घृणा को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।। मुस्लिमों के एक वर्ग में बढ़ रहे हिंदू घृणा को रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया जा रहा है।
आवेदन में आगे कहा गया है कि भारत के विभिन्न हिस्सों में ईसाई मिशनरी सक्रिय हैं। ये गरीबों को प्रलोभन देकर उनका धर्म बदलने के काम में लगे हुए हैं। इनमें ज्यादातर एससी/एसटी हिंदुओं को अनैतिक रूप से ईसाई धर्म में परिवर्तित किया जा रहा है। आवेदन में मेघालय, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और भारत के अन्य स्थानों में ईसाई मिशनरियों द्वारा लोगों की आर्थिक स्थिति का लाभ उठाकर उनके धर्मांतरण की कोशिश का जिक्र है।
तत्कालीन चीफ जस्टीस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कुर्बान अली द्वारा दायर जनहित याचिका में नोटिस जारी किया था। इसमें हरिद्वार और दिल्ली में दिए गए कथित घृणास्पद भाषणों में न्यायालय के हस्तक्षेप की माँग की गई थी।
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