Saturday, November 23, 2024

राज्यस्पेशल

अब भीख मांगने से रेलवे को नहीं होगा एतराज : रेलवे परिसरों में भीख मांगना नहीं होगा अपराध!

SG   मुंबई

ट्रेन में आपने लोगों को भीख मांगते जरूर देखा होगा। ट्रेन के डिब्बों में यात्रियों के पास आकर छोटे बच्चे भी भीख मांगते नजर आ जाते हैं। यात्रियों को कई बार इससे असुविधा भी होती है। रेलवे एक्ट के अनुसार, इसे अपराध माना जाता था। रेलवे सुरक्षा फोर्स (आरपीएफ) ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी करती थी। लेकिन अब रेल परिसर और ट्रेन के डिब्बों में भीख मांगना अपराध नहीं होगा। ऐसे लोगों से अब रेलवे को कोई एतराज नहीं होगा। केंद्र सरकार ने इन प्रावधानों के तहत मिलनेवाली सजा खत्म करने का पैâसला किया है।
सूत्रों की मानें तो जनविश्वास बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति- जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम चरण में हैं। जनविश्वास बिल के जरिए ४२ केंद्रीय कानूनों में १८३ अपराधों को गैर अपराध बनाया जा रहा है। जेपीसी ने ४२ केंद्रीय कानूनों में सुधार के लिए अलग-अलग १९ मंत्रालयों से सलाह-मशविरा किया जा रहा है। पहले इन कानूनों के तहत प्लेटफॉर्म पर भीख मांगना भी अपराध की श्रेणी में आता था। प्लेटफॉर्म पर यदि कोई भीख मांगता पकड़ा जाता तो उसे ६ महीने तक की जेल हो सकती थी। हालांकि, अब इसमें कथित रूप से बदलाव किया जा रहा है और प्लेटफॉर्म पर भीख मांगना अपराध की श्रेणी से बाहर किया जा सकता है।
६ महीने की सजा का है प्रावधान
बता दें कि कानून के तहत प्लेटफॉर्म पर भीख मांगना भी अपराध की श्रेणी में आता था। प्लेटफॉर्म पर यदि कोई भीख मांगता पकड़ा जाता तो उसे ६ महीने तक की जेल हो सकती थी। हालांकि, अब इसमें बदलाव हो सकता है और प्लेटफॉर्म पर भीख मांगना अपराध की श्रेणी से बाहर आ सकता है।

ईडी कर रही है विरोध
बता दें इन ४२ केंद्रीय कानूनों में एक सुधार पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) में भी है, जिसका ईडी विरोध कर रही है। पीएमएलए के प्रावधानों को डिक्रिमिनेलाइज करने का प्रस्ताव है। हालांकि,ईडी ने यह कहकर विरोध किया कि इससे जांच एजेंसी की ताकत कम होगी। जनविश्वास बिल में कई अपराधों में सजा की बजाय जुर्माने का प्रावधान किया गया है। डिक्रिमिनेलाइज करने से अदालतों का बोझ भी कम होगा और जेलों में भीड़ कम करने में भी मदद मिलेगी। जिन कानूनों में प्रावधानों को डिक्रिमिनेलाइज किया जा रहा है उनमें पर्यावरण संरक्षण कानून, आईटी एक्ट, मोटर व्हीकल ऐक्ट, प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट शामिल हैं।