SG सनातन हिंदू धर्म में ‘अपवाद धर्म’ का भी उल्लेख है, जिसे इस नाम से कम ही लोग जानते हैं। लेकिन इससे भली-भांति परिचित अवश्य हैं। इस धर्म का वैसे तो आर्यावर्त कहे जानेवाले हिंदुस्थान में हुए सभी भीषण युद्धों में वर्णन है, लेकिन महाभारत में इसे एक आदर्श रूप में चित्रित किया गया है। हम जानते हैं कि सूरज डूबने के साथ ही अनुशासन में बंधे कौरव और पांडवों के सैनिक और सेनापति एक-दूसरे से गले मिलते थे और शत्रु-शिविरों में भी आते-जाते थे। भीष्म पितामह से परामर्श और आशीर्वाद दोनों ही सेनाओं के लोग लेते थे। लेकिन मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव निकट आ रहा है, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के प्रमुख नेताओं के बोल इस हद तक बिगड़ने लगे हैं कि वे मर्यादा की सभी सीमाओं के उल्लंघन के साथ उद्दंड अहंकार की परिणति में बदलते दिखाई दे रहे हैं। लोकतांत्रिक राजनीति में कटुता के ऐसे संवाद कतई उचित नहीं कहे जा सकते हैं। प्रदेश की सात करोड़ जनता का जीवन सरल और समरस बनाने के नीतिगत उपाय की बात नेता करें तो बात समझ में आती है, लेकिन गाड़ने और ठिकाने लगाने की धमकियां भाषण का पर्याय बन जाएं तो गांधी के देश में ऐसे कथन हिंसा की क्रूरता दर्शाने वाले ही कहे जाएंगे। हालांकि, एकमात्र कमलनाथ ऐसे नेता हैं, जो अहंकार से परे रहते हुए शालीनता से सरकार बनी तो जनता के नीतिगत उपायों से जीवन को सरल और समृद्ध बनाने की बात कर रहे हैं।
विधानसभा चुनाव के लगभग छह माह शेष हैं। ऐसे में प्रदेश के दोनों प्रमुख दलों के नेताओं ने जुबानी जंग तेज कर दी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में पहुंचकर तीखे तेवर दिखाए। उन्होंने भाजपा कार्यकताओं में जोश भरने के लिहाज से कहा कि छिंदवाड़ा भले ही कांग्रेस का गढ़ हो, लेकिन यहीं आकर हम कांग्रेस को गड्ढा खोदकर गाड़ेंगे और कांग्रेस का राजनीतिक अंत छिंदवाड़ा में ही करेंगे। इस पर पलटवार करते हुए कमलनाथ ने इस बयान पर कहा कि शिवराज किसको खत्म करेंगे, इस पर मैं नहीं जाता। लेकिन मैं मध्य प्रदेश से महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी का अस्तित्व खत्म कर उसे जमीन में गाड़ दूंगा। कमलनाथ ने यह बात शिकारपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही थी। कमलनाथ ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह घोषणाओं के नशे में हैं, किसान खाद नहीं मिलने से परेशान हैं, नरसिंहपुर में किसानों को फसलों का उचित दाम तक नहीं मिल रहा है। मालवा-निमाड़ में तो लहसुन, प्याज और टमाटर के उचित भाव तक नहीं मिले हैं। लाड़ली बहना योजना को लेकर चुटकी लेते हुए कमलनाथ ने कहा कि शिवराज बहनों को एक हजार रुपए देने की बात कर रहे हैं, लेकिन आवेदन में शर्तें इतनी जटिल हैं कि ज्यादातर गरीब इस योजना के लाभ से वंचित हो गए हैं और वे इसे बाद में वापिस भी ले लेंगे। लेकिन हमारी सरकार आई तो हम बहनों को १,५०० रुपए प्रतिमाह देंगे और गैस-सिलिंडर मात्र ५०० रुपए में देंगे। दरअसल, छिंदवाड़ा में यह कवायद इसलिए इतनी तेज दिखाई दे रही है, क्योंकि यहां २५ मार्च को केंद्रीय गृहमंत्री एक बड़ी सभा को संबोधित करेंगे। इससे लगता है, छिंदवाड़ा विधानसभा चुनाव का सबसे बड़ा रणक्षेत्र बनने जा रहा है। दरअसल, छिंदवाड़ा के प्रभाव में पूरा विंध्य और आदिवासी क्षेत्र आता है, जो कमलनाथ के व्यक्तिगत प्रभाव से प्रभावित है। इसी बीच कांग्रेस प्रवक्ता के. के. मिश्रा ने एक ट्वीट करके जानकारी दी कि २३ मार्च से लगातार एक सप्ताह तक भाजपा के काले कारनामों का काला-चिट्ठा खोलते रहेंगे।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा भी छिंदवाड़ा विवाद में कूद पड़े हैं। वैसे भी इस चुनाव में मिशन-२०२४ को कामयाबी के अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उन्हीं पर है। इसलिए वे इस प्रबंध में लगे हैं कि किसी तरह कमलनाथ के गढ़ में सेंधमारी करने में सफलता मिल जाए। अतएव शिवराज के बयान पर गरमाई राजनीति में उन्होंने हाथ सेंकते हुए कहा है कि छिंदवाड़ा किसी का गढ़ नहीं है। यह भ्रम किसी को है तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव में इसे तोड़ देंगे। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के राजनीतिक अंत की बात कही है तो इसमें गलत क्या है? शर्मा ने यह बात छिंदवाड़ा में ही कही। दरअसल, छिंदवाड़ा दुर्ग को ढहाने के चौतरफा प्रयास इसलिए किए जा रहे हैं कि यदि विधानसभा चुनाव में यहां सफलता मिल जाती है तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को छिंदवाड़ा से हराना आसान होगा। इसी तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए छिंदवाड़ा में भाजपा के संगठनात्मक ढांचे में भी कुछ समय पहले ही ठेठ भाजपा नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिससे विश्वासघात की आशंकाएं पूरी तरह निर्मूल हो जाएं। क्योंकि सिंधिया की बगावत के बाद जो भी कांग्रेसी भाजपा में आए हैं, उन्हें शीर्ष भाजपा नेतृत्व शंका की दृष्टि से देखता है।
दूसरी तरफ प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बोल भी उनके अपने गृहनगर में बिगड़ गए। हालांकि, सिंह ही अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में बने रहते हैं, इसलिए उनका बयान खासा महत्व नहीं रखता। फिर भी इस बयान को रेखांकित किया जाना जरूरी है। उन्होंने गुना में प्रदेश सरकार में पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया पर तीखा जुबानी हमला बोला है। सिसोदिया गुना जिले के ही बमोरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। दिग्विजय ने बमोरी में ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि ‘तू न सुधरा तो, कांग्रेस की सरकार आने पर तुझे छोडेंगे नहीं।’ सिंह ने आगे अधिकारी-कर्मचारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि ‘निर्दोष लोगों को पकड़ोगे तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। हुकूमत जनता की है न कि दलालों और लुटेरों की। एक बार फिर अधिकारी-कर्मचारियों से कह रहा हूं कि देश में सरकार संविधान, नियम और कानून से चलती है और जो इनका पालन नहीं करेगा हम उसे देख लेंगे। छोटी से बड़ी अदालत और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे।’
दिग्विजय सिंह के इस कथन पर सिसोदिया ने पलटवार करते हुए कहा कि पता नहीं कि दिग्विजय सिंह किस बात के लिए मुझे धमकी दे रहे हैं। जबकि वे स्वयं और बमोरी की जनता अच्छी तरह से जानती है कि मैं बुरा किसी का नहीं करता हूं। यदि बदले की भावना से कार्रवाई करना होता तो आधे से ज्यादा कांग्रेसी बमोरी खाली कर चुके होते। मैं जीवन में सिर्फ ईश्वर के अलावा अपने नेता से डरा हूं और किसी से नहीं। याद रहे सिसोदिया नागरिक एवं पर्यटन उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नुमाइंदे हैं और उनके निष्ठावान अनुयायी रहते हुए ही शिवपुरी और गुना में अपना परचम फहराए हुए हैं। सिंधिया की कृपा से वे शिवपुरी जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं, परंतु अनर्गल बयानों के लिए हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। कोलारस में तो कार्यकर्ताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया था कि जिस तरह से आप लोग मंदिर में भगवान की प्रतिमा पर इच्छापूर्ति के लिए भेंट चढ़ाते हैं, उसी तरह अधिकारियों को अपने काम के लिए भेंट पूजा करने में कोई एतराज नहीं होना चाहिए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया कमलनाथ और प्रदेश सरकार को भाजपा में आने के बाद से ही खूब ललकारते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन शायद पहली बार उन्होंने ग्वालियर में गांधी परिवार पर सीधे टिप्पणी की है। सिंधिया ने आक्रामक रुख अपनाते हुए राहुल गांधी द्वारा विदेश में दिए बयान पर देश से माफी मांगने की मांग की है। राहुल के बयान को सिंधिया ने भारत माता के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला बताया है। सिंधिया ने १८ और १९ मार्च को ग्वालियर में एक मतदान केंद्र पर भाजपा कार्यकर्ताओं से बात करते हुए यह बात कही है। सिंधिया ने कहा कि यदि कोई भी नागरिक भारत माता की आन-बान-शान को ठेस पहुंचाता है, वह भी विदेशी धरती पर विदेशी संसद और विदेशी कार्यक्रम में तो उसे देश लौटने पर देश के प्रति अपनी आस्था जताते हुए माफी मांगने की जरूरत है। हालांकि, उनके इस बयान पर कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन सिंधिया की यह आक्रामकता जताती है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रंग में वे पूरी तरह रंगते जा रहे हैं। इस समय उनकी जुगलबंदी और बोल मुख्यमंत्री शिवराज से मेल खाते दिख रहे हैं। उनके और शिवराज के संबंधों को लेकर दावा किया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में यदि भाजपा बहुमत में आती है तो सिंधिया मुख्यमंत्री बनेंगे और शिवराज केंद्र का रुख कर लेंगे।