Sunday, November 24, 2024

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CM पुष्कर धामी के तेवर सख्त, उत्तराखंड में नहीं चलने देंगे मजार जिहाद…

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सीएम पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उत्तराखंड में मजार जिहाद नहीं चलेगा। वह देवभूमि के सनातन स्वरूप को बिगड़ने नहीं देंगे और मजार जिहाद के खिलाफ सख्त कार्यवाही सरकार करेगी।

रश्मि खत्री, देहरादून: उत्तराखंड में मजारों के जरिए सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन भी बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उत्तराखंड में मजार जेहाद नहीं चलेगा। वह देवभूमि के सनातन स्वरूप को बिगड़ने नहीं देंगे और मजार जेहाद के खिलाफ सख्त कार्यवाही सरकार करेगी। पिछले दिनों देहरादून के पछवादून में भी अवैध मजारों पर बुलडोजर चला कर धामी सरकार मजार जेहाद चलाने वालों को चेतावनी भी दे चुकी है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों पछवादून में वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाई गई अवैध मजारों पर बुलडोजर की कार्रवाई हुई। लेकिन कुछ समय के लिए यह कार्रवाई रूकी तो इसके खिलाफ आवाज उठी थी। हालांकि तीन चरणों में कार्रवाई कर टास्क फोर्स ने कई मजारों को ध्वस्त भी कर दिया। जबकि अभी और अवैध मजारों पर कार्रवाई होनी है।

 

देखा जाए तो उत्तराखंड में मजार जेहाद एक षड्यंत्र के तहत चलाया जा रहा है। देहरादून के पछवादून क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पर्वतीय क्षेत्रों में भी समुदाय विशेष द्वारा जगह-जगह मजारें बनाकर सरकारी जमीनों पर कब्जे किए जा रहे हैं। वन विभाग के सर्वे में यह बात सामने आई थी कि वन्य भूमि पर एक हजार से भी ज्यादा अवैध मजारें बनाकर कब्जे किए गए हैं जिसके बाद सरकार ने वन विभाग को इन मजारों को हटाने के लिए निर्देशित भी किया था।

यहां आरएसएस के मुखपत्र ‘पांचजन्य’ को दिए एक साक्षात्कार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि सरकार यह जांच करा रही है कि किस अधिकारी के कार्यकाल में वन्यभूमि में आरक्षित जंगल के अंदर जाकर मजारें बनाई गई हैं। उनका कहना है कि वन विभाग के सर्वे में यह बात सामने आई थी कि वन भूमि पर एक हजार से ज्यादा अवैध मजारें बना दी गई हैं।

 

सीएम का कहना है कि यह कोई पीर-बाबाओं की मजारें नहीं है बल्कि मजार जेहाद का एक हिस्सा है और असामाजिक तत्व यहां पर बस जाते हैं। यहां पर हैरानी वाली बात यह है कि जिस रिजर्व फॉरेस्ट में मानव प्रवेश पर पाबंदी है वहां पर मजार बन रही हैं और वन विभाग को इसकी खबर तक नहीं है।

सीएम धामी ने कहा कि सरकारी जमीन को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के उन्होंने निर्देश दिए हैं। पिछले दिनों चलाए गए अभियान के तहत सौ से ज्यादा मजारें वन विभाग ने ध्वस्त कर दी हैं जबकि अन्य मजारों के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही भी जल्द होगी। सड़क के किनारे लोक निर्माण विभाग और राजस्व विभाग की जमीनों पर बने मजारों को हटाने के लिए भी सरकार द्वारा कार्रवाई की जा रही है।

 

एक सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि सड़क किनारें और सरकारी जमीनों पर ज्यादातर मजारें कांग्रेस के शासनकाल में वर्ष 2004 के आसपास बनी। फिर जब साल 2012 में कांग्रेस की सरकार आई तो यहां फिर से मजार जेहाद चला। जबकि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश था कि 2004 के बाद कोई भी धार्मिक स्थल नहीं बनाया जा सकता।

यदि कोई धार्मिक स्थल का निर्माण करता है या मरम्मत भी करवाई जाती है तो उसके लिए डीएम से अनुमति लेनी जरूरी है लेकिन यहां कोई अनुमति नहीं ली गई और मजारें बना दी गई। यह कोई मजार या दरगाह नहीं है बल्कि सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हैं जिनको सरकार द्वारा जल्द ही हटाया जाएगा।

 

उत्तर प्रदेश सीमांत जिलों के लोग उत्तराखंड में आ कर मजार जेहाद चला रहे हैं और यहीं बस रहे हैं। इस तरह से जनसंख्या असंतुलन भी बढ़ रहा है। इनकी जांच पड़ताल कर सरकार द्वारा टास्क फोर्स बना कर की जा रही है। इस टास्क फोर्स में वन विभाग, पीडब्ल्यूडी और राजस्व विभाग के अधिकारी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों को चिन्हित कर रहे हैं।

सीएम धामी का कहना है कि सरकार ने विकासनगर परगना क्षेत्र में करीब नौ किलोमीटर क्षेत्र से अवैध कब्जे हटवाए हैं। यहां अतिक्रमण पर बुलडोजर चलवा कर सरकारी जमीनों को खाली करवाया गया है। सरकार का यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक सरकारी जमीनों को अवैध कब्जों से पूरी तरह खाली नहीं करा लिया जाता है। मजार जेहाद को रोकने के लिए सरकार किसी भी तरह का राजनीतिक दबाव सहन नहीं करेगी।

 

उन्होंने सख्त लहजे में चेतावनी भी दी है कि उत्तराखंड देवभूमि है, कोई सराय नहीं कि जो चाहे यहां आए और आकर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर यहीं बस जाए। उन्होंने ऐसे लोगों पर भूमाफिया की श्रेणी में रख कर उन पर गैंगस्टर, रासुका जैसे कानून लगाने की चेतावनी भी दी है।

सीएम धामी ने यह भी कहा है कि देश में सबसे सख्त धर्मांतरण सुधार कानून उत्तराखंड में आया है क्योंकि उन्हें देवभूमि के सनातन स्वरूप की चिंता है। यहां पर मिशनरियों के मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जाएगा जो प्रलोभन देकर धर्मांतरण करा रहे हैं। साथ ही लव जिहाद जैसे मामलों को रोकना सरकार का दायित्व है। इसीलिए सरकार ने सख्त धर्मांतरण सुधार कानून बनाया है।