
अनुकृति रंगमंडल कानपुर के पुरुष नाटक से हुई फेस्टिवल की शुरुआत, कलाकारों ने शानदार अभिनय से बटोरी तालियां
सिटी रिपोर्टर-शिमला
राजधानी के गेयटी थियेटर में अनुकृति रंगमंडल कानपुर द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से गेयटी थियेटर फेस्टिवल का शुक्रवार को आगाज़ हुआ। फेस्टिवल के पहले दिन पुरुष नाटक का मंचन हुआ। लेखक जयवंत दलवी के इस नाटक का निर्देशन निशा वर्मा ने किया। शाम छह बजे फेस्टिवल की शुरूआत हुई। नाटक की शुरूआत आदर्शवादी शिक्षक अण्णा साहब के घर से होती है, जहां उनके और उनकी पत्नी तारा के बीच वैचारिक मतभेद हैं, लेकिन वह हमेशा उनका साथ देती है। अण्णा की बेटी अंबिका एक स्कूल में पढ़ाती है। उसका एक दोस्त है सिद्धार्थ, जो दलितों के हक की लड़ाई लड़ता है। नाटक के एक मोड़ तब आता है जब बाहुबली गुलाबराव अंबिका से बदला लेने के लिए उसे धोखे से डाक बंगले में बुलाकर बलात्कार करता है। अदालत से भी अंबिका को इंसाफ न मिलने पर अंबिका की मां तारा आत्महत्या कर लेती हैं और मुश्किल समय में सिद्धार्थ भी साथ छोड़ देता है।
जबकि अंबिका की सहेली मथू उसकी मदद करने के साथ ही उसका हौसला भी बढ़ाती है। मथू अंबिका को प्रतिकार के लिए भी प्रेरित करती है। अंत में अंबिका गुलाबराव को जिंदगी भर न भूल पाने वाला सबक सिखाती है और यही नाटक का निर्णायक क्षण बनता है। नाटक में दीपिका सिंह ने अंबिका, संध्या सिंह ने मथू, सुरेश श्रीवास्तव ने अण्णा साहब, आरती शुक्ला ने तारा, महेंद्र धुरिया ने गुलाबराव, ऐश्वर्य दीक्षित ने सिद्धार्थ के अभिनय में अपनी भूमिका बखूबी निभायीं। सम्राट यादव ने बंडा, शिवाद्ध, आकाश शर्मा ने पांडु, आयुष ने इंस्पेक्टर गाडगिल का अभिनय किया। नाट्य रूपांतरण सुधाकर करकरे, प्रस्तुति नियंत्रक, सहायक निर्देशक डा ओमेंद्र कुमार, संगीत विजय भास्कर और प्रकाश परिकल्पना व सलाहकार निर्देशक कृष्णा सक्सेना रहे।