एक तरफ मोदी विरोधी किसान आंदोलन के नाम दिल्ली मुख्यमंत्री के समर्थन से दिल्ली को ही बंधक बनाकर भारतीय जनता पार्टी को किसान और जन विरोधी सिद्ध करने में व्यस्त हैं, तो दूसरी तरफ वही भाजपा आंदोलन के दौरान हो रहे चुनावों में अपना प्रभुत्व जमा रही है। जो इस बात को भी सिद्ध करता है कि मोदी विरोधी ही जन विरोधी हैं, अन्यथा चुनावों में भाजपा उम्मीद से ज्यादा सीटें नहीं पाती।
भारतीय जनता पार्टी ने (BJP) अरुणाचल प्रदेश में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में कमाल का प्रदर्शन किया है। भाजपा ने न सिर्फ कॉन्ग्रेस, बल्कि उत्तर-पूर्व की स्थानीय राजनीतिक दलों को भी पटखनी देकर इतिहास रच दिया। पंचायत और जिला परिषद स्तर पर भाजपा को मिली बड़ी सफलता 2019 की याद दिला गई। तब राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने 60 में से 41 सीटें और 50.86% वोट शेयर पाकर सरकार बनाई थी।
पासीघाट म्युनिसिपल काउंसिल की बात करें तो यहाँ BJP ने 8 में से 6 सीटें जीतीं और कॉन्ग्रेस मात्र 2 पर सिमट कर रह गई। वहीं ईटानगर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में भाजपा ने 20 में से 10 सीटें जीत ली और दूसरे नंबर पर 9 सीटों के साथ जदयू रही। कोर्नाड संगमा की NPP को 1 सीट मिली, जो मेघालय में भाजपा की सहयोगी पार्टी है। पासीघाट और ईटानगर में भाजपा की जीत से अरुणाचल के बड़े शहरों में उसकी पैठ का पता चलता है।
वहीं अगर ग्रामीण इलाकों की बात करें तो जिला परिषद की 237 सीटों में से भाजपा ने 187 सीटें जीतीं। भाजपा ने जिला परिषद की 78.9% सीटें जीत लीं। दूसरी पार्टियों का प्रदर्शन इतना बुरा रहा कि 22 सीटों के साथ निर्दलीय ने ये स्थान काबिज किया। जदयू को जिला परिषद में 10 और कॉन्ग्रेस को 9 सीटों पर कामयाबी मिली। वहीं NPP ने भी 6 सीटें जीती। कुल मिला कर भाजपा का यहाँ एकतरफा दबदबा रहा।
जहाँ तक ग्राम पंचायत की बात है, उसमें भाजपा को जिला परिषद से भी बड़ी सफलता मिली। भाजपा ने ग्राम पंचायत सदस्यों की 79.48% सीटों को अपने नाम किया। भाजपा ने 8125 कुल सीटों में से 6458 को जीत कर इतिहास रच दिया। ग्राम पंचायत में भी 974 सीटों के साथ निर्दलीय दूसरे स्थान पर रहे। कॉन्ग्रेस को 328 तो NPP को 238 सीटें प्राप्त हुईं। जदयू ने भी 121 सीटें जीत कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
कुल मिला कर देखें तो पूरे स्थानीय निकाय चुनावों में अरुणाचल प्रदेश में भाजपा ने कुल 8390 सीटों में से 6661 को जीत कर एकतरफा दबदबा कायम किया और राज्य में अपनी स्थिति पूरी तरह मजबूत कर ली। 79.39% सीटों पर जीत को मुख्यमंत्री पेमा खांडू के परफॉरमेंस पर जनता के मुहर के रूप में भी देखा जा रहा है। सीएम खांडू ने इसे मोदी सरकार के कामकाज का नतीजा बताया है और जनता का धन्यवाद किया है।
अब अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा में भी जदयू के 6 विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी के विधायकों की संख्या 48 हो गई है। इसके 1 दिन बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ दिया और उनकी जगह उनके ही विश्वस्त आरसीपी सिंह को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का नया अध्यक्ष चुना गया। अरुणाचल की राजनीति का असर बिहार में भी देखने को मिल रहा है।
साभार आरबीएल निगम