साहित्य के माध्यम से लोगों में उम्मीद की किरणें विखरने में लगा है। अबतक एक हजार से अधिक लोगों का ऑनलाइन काव्यपाठ सम्पन्न। सैकड़ों रचनाकार हुए सम्मानित। सोशल मीडिया पर पहला अनोखा कवि सम्मेलन शो –
*साहित्योदय साहित्य संग्राम* प्रारम्भ। हर रविवार शाम 5 बजे।
वैश्विक महामारी कोरोना के खौफ़ में जहाँ पूरा विश्व ठहर गया है और लोग घरों में कैद रहने को विवश हैं। लोगों में व्याप्त निराशा के अंधकार में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य-कला संगम *साहित्योदय* उम्मीद का सूरज बनकर निकला है। *कोरोना से जंग, साहित्योदय के संग* अभियान के तगत गत 24 मार्च से लगातार जारी, ऑनलाइन ऑडियो/वीडियो कवि सम्मेलन, लाइव कवि सम्मेलन और फेसबुक एकल लाइव के जरिए दुनियाभर के साहित्यकारों को इस मुहिम में को जोड़ने की अनूठी पहल की गई है। दुनियाभर के नवोदित और लब्धप्रतिष्ठ कवि -कवयित्रियों का अबतक एक हजार से अधिक काव्यपाठ हो चुका है और अभी भी अनवरत जारी है। फेसबुक लाइव का 4 सीजन और 150 एपिसोड पूर्ण हो चुका है। जिसमें डॉ मानसी द्विवेदी, दमदार बनारसी, बेबाक जौनपुरी, अजय अंजाम, दिनेश रघुवंशी और डॉ बुद्धिनाथ मिश्र सहित सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मूर्धन्य साहित्यकार अपनी प्रस्तुति दी चुके हैं। इसके साथ ही हर रविवार शाम 4 बजे से मोबाइल पर पहला अनूठा कवि सम्मेलन का शो *साहित्योदय साहित्य संग्राम* प्रारम्भ हो चुका है जिसका पहला एपिसोड ही हजारों दर्शकों तक अपनी पहुंच बना चुका है और *साहित्योदय* पेज को *दुनियाभर के सवा लाख से अधिक लोग देख रहे हैं।* साहित्योदय में रचनाकारों के सन्देश जिला प्रशासन द्वारा भी जनजागरूकता में उपयोग में लिया जा रहा है। लॉकडॉन के कारण बाहर कोई आयोजन होना सम्भव नहीं है। इसलिए सोशल मीडिया को माध्यम बनाकर साहित्योदय ने साहित्य जगत में क्रांति का एक बीज बोने का काम किया हैं। साहित्योदय की इस पहल के बाद पूरे देश मे इस तरह के आयोजन शुरू हो गए हैं। साहित्योदय पिछले कई वर्षों से साहित्य की साधना में जुटा है और अबतक कई आयोजन और सम्मान करवा चुका है। कवि सम्मेलन कराने के साथ साथ उन्हें सम्मानित भी किया जा रहा है।कई नवांकुर व स्थापित रचनाकारों का साहित्योदय उपनाम संस्कार किया गया। साहित्योदय कलम सारथी सम्मान दिया गया। काव्यपाठ में कोरोना की रोकथाम, बचाव के उपाय, कोरोना वारियर्स के लिए धन्यवाद और कोरोना पीड़ितों के लिए हौसला बढ़ानेवाली एक से बढ़कर एक रचनाएँ आ रही है। जिसका उपयोग जनजागरूकता अभियान में भी किया जा रहा है। साहित्योदय की कविताओं को प्रशासन जनजागरण में उपयोग कर रही है। जागरूकता रथों में लगातार साहित्योदय के कवियों के सन्देश बज रहे हैं।
साहित्योदय के संस्थापक अध्यक्ष कवि पंकज प्रियम ने बताया कि साहित्योदय परिवार इस संकट की घड़ी में राष्ट्र के साथ मुस्तैदी के साथ खड़ा है। साहित्योदय के सारे रचनाकार अपनी रचनाओं से जनजागरण कर रहे हैं। लोग बाहर नहीं निकल पा रहे हैं इसलिए ऑनलाइन कवि सम्मेलन की शुरुआत की गयी है। इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन का उद्देश्य लोगों की निराशा को दूर करना है। वैसे लोगों की हौसला आफजाई करना है जो इस विकट परिस्थितियों में भी देश की सेवा में जुटे हैं। इस बीमारी के खौफ़ से जो टूट चुके हैं उन्हें सम्बल प्रदान करना और लोगों को सतर्क करना है। कवि सम्मेलन को सफल बनाने में सचिव अनिता सिध्दि, प्रबन्ध निदेश संजय करुणेश, मार्गदर्शक जयप्रकाश ओझा, डिजिटल मीडिया प्रभारी सुदेष्णा सामन्त, सीनियर प्रोड्यूसर राकेश तिवारी, व्यवस्थापक किशोरी, संगठन मंत्री सुरेंद्र मंटू इत्यादि महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
*कवि पंकज प्रियम*
साहित्योदय के संस्थापक अध्यक्ष कवि पंकज प्रियम देश के जाने माने कवि और लेखक हैं जिनकी अबतक सैकड़ों रचनाएँ देश विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकशित हो चुकी है और उनकी 16 साझा व एकल पुस्तकें आ चुकी हैं। साहित्य भूषण, हिन्द गौरव, काव्य गौरव, हिंदी साहित्य अकादमी सहित सैकड़ों सम्मान प्राप्त कर चुके पंकज प्रियम ने करीब 15 साल सक्रिय पत्रकारिता भी की है और विगत 7 वर्षों से पेयजल एवं स्वच्छता विभाग देवघर में कार्यरत हैं।