राष्ट्रीय

मुस्लिम बहुल इलाके में शराब को हां, बीफ को ना..लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को हटाने की मांग

लक्षद्वीप समूह में वहां के प्रशासक प्रफुल्ल खोडा पटेल के कुछ फैसलों के बाद राजनीति गरमा गई है। प्रफुल्ल पटेल के कदमों को जनविरोधी करार देते हुए केंद्र शासित प्रदेश और पड़ोसी राज्य केरल की विपक्षी पार्टियों ने उन्हें वापस बुलाए जाने की मांग की है।

 

दरअसल, खबरों के मुताबिक पटेल ने मुस्लिम बहुल द्वीपों से शराब के सेवन पर रोक हटा दी है। इसके अलावा पशु संरक्षण का हवाला देते हुए बीफ उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। यहां अधिकांश आबादी मछली पालन पर निर्भर है लेकिन विपक्षियों का आरोप है कि पटेल ने तट रक्षक अधिनियम के उल्लंघन के आधार पर तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़ों को तोड़ने का आदेश दिया है। लक्षद्वीप के राकांपा सांसद मोहम्मद फैजल और पड़ोसी राज्य केरल के उनके सहकर्मी-टी एन प्रतापन (कांग्रेस), एलामारन करीम (माकपा) और ईटी मोहम्मद बशीर (मुस्लिम लीग) ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोडा पटेल को वापस बुलाएं।

 

वहीं, पटेल का बचाव करते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एपी अब्दुल्लाकुट्टी ने आरोप लगाया कि विपक्षी सांसद पटेल के खिलाफ इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने द्वीपसमूह में नेताओं के भ्रष्ट चलन को खत्म करने के लिए कुछ खास कदम उठाए हैं। अब्दुल्लाकुट्टी लक्षद्वीप में पार्टी के प्रभारी हैं।

 

बीजेपी नेता प्रफुल्ल पटेल को दिसंबर 2020 में लक्षद्वीप का प्रशासक नियुक्त किया गया था। केरल के विधायक हिबी ईदेन ने केंद्र को चिट्ठी लिखकर यह दावा किया है कि यहां कॉन्ट्रैक्ट पर टूरिजम सेक्टर में काम करने वाले कई सरकारी कर्मचारियों को भी बिना वजह नौकरी से हटा दिया गया है। उन्होंने कहा है, ‘द्वीप पर 70 हजार लोग मछली पालन पर निर्भर हैं लेकिन यहां मछुआरों की झोपड़ियां तोड़ दी गई हैं।’

 

सोमवार को कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को वापस बुलाने की मांग की है। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रपति से यह भी कहा है कि प्रफुल्ल पटेल के कार्यकाल में लिए गए फैसलों को रद्द किया जाए।