दीपावली पर चीन से आने वाली मूर्तियों, दीयों और झालरों पर निर्भरता कम करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक्शन प्लान पर काम शुरू हो गया है। कुम्हारों को मूर्तियां और दीपक बनाने के लिए उपकरण फ्री दिए जाएंगे। सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह सुविधा गोरखपुर, वाराणसी और लखनऊ के कलाकारों को दी जाएगी। शुक्रवार को तीनों जिलों के कलाकारों और खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारियों की लखनऊ में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।
लखनऊ में आयोजित बैठक में गोरखपुर से जिला खादी एवं ग्रामोद्योग अधिकारी एनपी मौर्या और कुम्हारों के प्रतिनिधि के तौर पर जाफरा बाजार से अरविंद प्रजापति, तिवारीपुर से सिब्बन लाल प्रजापति, छोटे काजीपुर से लालमन प्रजापति और जंगल एकला से हरिओम आजाद ने शिरकत की। बैठक में तय हुआ कि चीन से आने वाले दीपक, लक्ष्मी, गौरी और गणेश की प्रतिमाओं पर निर्भरता कम करने के लिए जून के आखिर से अगस्त तक ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
चीन की मूर्तियों और उत्पादों से प्रतिस्पर्धा के लिए माटी कला बोर्ड से जुड़े कलाकारों को प्रशिक्षण के साथ नि:शुल्क अत्याधुनिक डाई, फर्नीशिंग मशीन और आवश्यक मटेरियल उपलब्ध कराया जाएगा। कारीगरों की मांग पर नि:शुल्क पग मिल, इलेक्ट्रिक चॉक, दीपक बनाने वाली मशीन और मार्डन डिजाइन की डाई उपलब्ध कराने का निर्णय भी लिया गया। निर्मित उत्पाद, मिट्टी की उपलब्धता और परिवहन संबंधी दिक्कतों का जिला स्तर पर निदान कराने का प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग डॉ नवनीत सहगल ने आश्वासन दिया।
जिला ग्रामोद्योग अधिकारी एनपी मौर्या ने कहा कि प्रमुख सचिव ने आह्वान किया कि अत्यधिक संख्या में दीये और मूर्तियों का निर्माण करें। ताकि विदेशों से आयात होने वाली मूर्तियों पर निर्भरता कम हो। कुम्हारों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। दीये बनाने की मशीन और आकर्षक डिजाइन की डाई गुजरात से मंगाई जाएगी। यह मशीन तीनों जिलों में दो-दो कुम्हारों को उपलब्ध कराई जाएगी। इसी तरह 10-10 कारीगरों को एल्युमिनियम की डाई पश्चिम बंगाल से मंगा कर नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार की कोशिश है कि स्थानीय स्तर पर मिट्टी कलाकारों का व्यवसाय भी बढ़े। जिन जिलों में कुम्हारों और मिट्टी कला से जुड़े कारीगरों के लिए सुविधा केंद्र का अभाव है, वहां तत्काल सुविधा केंद्र खोले जाने के प्रस्ताव भी मांगे गए।