Monday, November 25, 2024

राष्ट्रीय

बिहार बना लड़कियों की तस्करी का सबसे सुगम मार्ग

 

नेपाल और बिहार की सीमा से लगातार विदेशी लड़कियों के साथ मानव तस्कर पकड़े जा रहे हैं। इस धंधे में कश्मीरी मुसलमानों के साथ—साथ बांग्लादेशी घुसपैठिए और बिहार के कुछ जिहादी तत्व शामिल हैं।

बिहार आतंकवादी गतिविधियों को संचालित करने का सबसे सुरक्षित स्थान तो था ही अब यह मानव तस्करों के लिए भी सबसे सुरक्षित मार्ग बनता जा रहा है। गत कुछ महीनों में दर्जनों ऐसी घटनाएं प्रकाश में आयी हैं जिनमें मानव तस्करों ने बिहार का मार्ग तस्करी के लिए चुना है। इसके अलावा पूर्वोत्तर के लव जिहाद की शिकार लड़कियों को यहां देह व्यापार के दलदल में धकेल दिया गया है। 17 नवंबर को बिहार-नेपाल सीमा एक बार फिर चर्चा में आया है। 17 नवंबर की देर रात पांच नेपाली लड़कियों को मानव तस्कर कश्मीर के लड़कों से शादी के लिए तस्करी कर ले जा रहे थे। इनकी गिरफ्तारी एसएसबी के जवानों ने सुपौल जिले के किशनपुर प्रखंड अन्तर्गत रानीगंज सीमा चौकी से की है। जिला मुख्यालय सुपौल से इस स्थान की दूरी 19 किमी है।
पता चला है कि नेपाल के उदयपुर जिले के हदिया गांव से दो मानव तस्कर पांच नेपाली लड़कियों को तस्करी के लिए बिहार के रास्ते ले जा रहे थे। गुप्त सूचना पर एसएसबी की 45वीं बटालियन की रानीगंज सीमा चौकी के जवानों ने 17 नवंबर की देर रात सात लोगों को गिरफ्तार किया। एसएसबी के सहायक कमाडेंट आलोक कुमार को सूचना मिली थी कि कश्मीर से कुछ लोग नेपाल की लड़कियों को कश्मीरी युवक से शादी कराने के लिए तस्करी कर ले जाने वाले हैं। इस सूचना पर असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर विधानचंद राय के नेतृत्व में एसएसबी की टीम पिलर संख्या 210/5 के पास पहुंची। वहां कुछ संदिग्ध लोग दिखे। गश्ती दल के जवानों ने जब उनसे पूछताछ की तो पता चला कि उनमें कश्मीर के बारामूला जिले का शमीन अहमद तांतरे और बांदीपुरा का मोहम्मद असरफ भी हैं। इनकी पहचान मानव तस्कर के रूप में है। इनके साथ एक नाबालिग लड़की सहित पांच नेपाली नागरिक भी थे। सभी नेपाली लड़कियां उदयपुर जिले के हदिया गांव की रहने वाली हैं।

इससे पहले उज्बेकिस्तान की कई लड़कियां नेपाल के सीमावर्त्ती क्षेत्र से पकड़ी गई हैं। 27 अक्टूबर की रात को उज्बेकिस्तान के काशकाडारिया क्षेत्र की रहने वाली तीन युवतियों को अररिया के दो युवकों के साथ गिरफ्तार किया गया था। सीमा सुरक्षा बल की 56वीं वाहिनी के पथरदेवा बॉर्डर ओपी के जवानों ने इन पांच संदिग्ध व्यक्तियों को पकड़ा था। जोगबनी सीमा के समीप पकड़ी गईं उज्बेकिस्तान की तीन लड़कियों की आयु 22 वर्ष, 20 वर्ष और 18 वर्ष थी। गिरफ्तार युवक अररिया के नरपतगंज प्रखंड के बसमतिया गांव के रहने वाले थे। उस समय भी यह बात सामने आई थी कि उज्बेकिस्तान की लड़कियों को बिहार के रास्ते दिल्ली देह व्यापार के लिए लाया जा रहा था। इस वर्ष मार्च माह में भी अररिया जिले के जोगबनी बॉर्डर के समीप एक उज्बेकिस्तान की महिला पकड़ी गई थी। पिलर संख्या 180 के नेपाल भाग में हुलास चौक से उज्बेकिस्तान की महिला के साथ इसी बसमतिया के मोहम्मद अनवर और मोहम्मद सईद भी थे। उज्बेकिस्तान की ही एक 28 वर्षीय युवती को एसएसबी 56वीं बटालियन के जवानों ने संदेहास्पद स्थिति में पकड़कर वीरपुर पुलिस को सुपुर्द किया था। यह महिला भी अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड के बसमतिया निवासी के माध्यम से खुली सीमा का फायदा उठाकर भारतीय सीमा के अंदर आई थी। अक्तूबर माह में ही 11 अफगानी नागरिकों ने बिहार के रास्ते नेपाल में प्रवेश किया था। ये अफगानी भारत में लंबे समय से रह रहे थे। ऐसी कई घटनाएं हैं जिनमें भारत-नेपाल खुली सीमा का फायदा उठाकर मानव तस्कर अपनी अवैध गतिविधियों को अंजाम देते हैं।