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चमगादड़’ वायरस की काट चिंपैंजी!

 

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चीन से ही निकलकर कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला है। कई रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र किया जा चुका है कि वहां यह वायरस चमगादड़ से निकलकर इंसानों में फैला है। अब इस वायरस की काट बना है चिंपैंजी। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जो वैक्सीन तैयार की है, उसमें चिंपैंजी से निकाले गए वायरस का इस्तेमाल किया गया है।

ऑक्सफोर्ड में कोरोना वैक्सीन बनाने में चिंपैंजी के एडीनो वायरस यानी सर्दी जुकाम करनेवाले वायरस का इस्तेमाल किया गया है। यह इंसानों को नुकसान इसलिए नहीं करेगा क्योंकि इसको काफी कमजोर कर दिया गया है। इसमें वाहक को चिंपैंजी के एडीनो वायरस से लिया गया है। जब यह किसी व्यक्ति के शरीर में जाएगा तो एक खास तरह का प्रोटीन बनाएगा और इसके बाद मानव शरीर में कोरोना से लड़ने वाली ऐंटीबॉडीज पैदा हो जाएंगी।

दुनियाभर में कोरोना अब तक ६ लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। ऐसे में ऑक्सफर्ड वैक्सीन भी आशा की एक किरण है। इस समय भारत समेत दुनियाभर में कई वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। चीन भी वैक्सीन बनाने की कोशिश में है। लेकिन ऑक्सफर्ड वैक्सीन की अपनी खासियत है। लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों पर भी वैक्सीन का ट्रायल किया गया उन पर सकारात्मक असर पड़ा है। देखा गया कि एक डोज देने के बाद ही शरीर में एंटीबॉडीज बनने लगीं और टी-शेल भी बन गर्इं। दरअसल टी-शेल लंबे समय तक काम करती हैं और दोबारा इन्फेक्शन होने पर फिर से वायरस से लड़ने को तैयार हो जाती हैं। पहले चरण में कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन का जेनेटिक कोड पहचाना गया। दूसरे चरण में चिंपैंजी के एडीनो वायरस को जेनेटिकली मोडिफाइ करके स्पाइक प्रोटीन बनाए जाते हैं। शरीर में जाने के बाद यह प्रोटीन कोरोना की एंटीबॉडी बनाने लगती है। वैक्सीन के ट्रायल के बाद लोगों पर कुछ साइड इफेक्ट देखने को मिले जैसे बुखार, सिरदर्द, और इंजेक्शन वाली जगह पर रिऐक्शन आदि। हालांकि इसका असर ज्यादा नहीं था और खुद ही ठीक हो गईं।