अडानी की कंपनी ने बनाया लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम, खुद नेविगेट और ग्लाइड करते हुए मौजूद टारगेट्स को कर देगा ध्वस्त

भारतीय वायुसेना के पास दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना होने का रुतबा है। भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ‘नभ: स्पृशं दीप्तम’ है। जिसका शाब्दिक अर्थ है गौरव के साथ आकाश को छूना। ये गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। सालों के कई युद्धकालीन और शीतकालीन अभियानों में भारतीय वायुसेना ने अपनी क्षमता और शक्ति साबित की है। लेकिन भारतीय वायुसेना को बहुत दिनों से एक ऐसी मारक क्षमता यानी बम की आवश्यकता थी जो खुद ही अपना पथपर्दशक बनकर संचालित हो और दुश्मन को टारगेट कर नेस्तोनाबूद कर दे। भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ की तरफ से दो किस्म के ग्लाइड बन का डिजाइन तैयार किया गया।
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों द्वारा इस बम के डिजाइन को तैयार करने के बाद बारी थी बम को बनाए जाने की और इस काम का जिम्मा बिजनेसमैन गौतम अडानी की कंपनी अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस से ली और दो किस्म के बमों का निर्माण भी कर डाला। लॉन्ग रेज ग्लाइड बम और बिना विंग वाला बम, जिसे गौरव और गौथम नाम दिया गया। हाल ही में एमएमओ इंडिया 2022 में थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे को अडानी डिफेंस स्टॉल पर 100 किलोमीटर की रेंज के साथ 1 टन लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम (LRGB) गौरव की जाँच करते हुए देखा गया।
बता दें कि गौरव देश का पहला स्वदेशी रूप से विकसित लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम (LRGB) है जिसका परीक्षण 2021 में पहली बार ओडिशा के बालासोर में सुखोई -30 फाइटर जेट से किया गया था। डीआरडीओ ने गौथम नामक एक गैर-पंख वाला 500 किग्रा संस्करण भी विकसित किया है, जिसकी सीमा 30 किमी है और 2019 में पहली बार इसका परीक्षण भी किया गया था। गौरव और गौथम दोनों ही बमों में सीएल-20 यानी फ्रैगमेंटेशन और क्लस्टर म्यूनिशन लगते हैं। ये टार्गेट से कॉन्टैक्ट करते ही प्रॉक्जिमिटी फ्यूज़ कर देता है। विस्फोटक फट जाता है।