मैं तुझमे तू मुझमें , फिर संशय कैसा
रोम-रोम मे दिल की हर धड़कन में एक-दूजे का वास है फिर संचय कैसा, मंदाग्नि की ज्वालाओं-सा ह्रदय में भरे जज़्बात मेरे फिर विचलन कैसा , मेरी आशा बनकर तू ह्रदय में मेरे घुलकर तू मेरी पतवार बना बैठा फिर परिणय कैसा तेरा दामन छू कर जब कोई हवा...