CM योगी के अभियान ने पकड़ी रफ्तार, धार्मिक स्थलों से हटाए गए 17,000 से ज्यादा लाउडस्पीकर
भले ही लाउडस्पीकर को लेकर विवाद महाराष्ट्र में शुरू हुआ। लेकिन उसका असर देश के अन्य हिस्सों में भी देखने को मिल रहा है। इन सबके बीच लाउडस्पीकर को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने जो सख्ती दिखाई है उसका परिणाम भी अब देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में अब तक 17000 लाउडस्पीकर को धार्मिक स्थलों से हटाया गया है जबकि 39,000 लाउडस्पीकरों की आवाज को नियंत्रित कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि लगभग 39,000 लाउडस्पीकरों की आवाज़ कम कर दी गई है और लगभग 17,000 लाउडस्पीकर धार्मिक स्थलों से हटा दिए गए हैं। हमें सभी समुदायों के लोगों का समर्थन मिला है। हम राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सब कुछ कर रहे हैं।
वहीं प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि अब तक 40,000 ऐसे प्रकरण हैं जिसमें लाउडस्पीकर की ध्वनि को कम किया गया है, 18,000 लाउडस्पीकर हटाए जा चुके हैं। इसमें सबसे बड़ी बात है कि लोगों ने अपनी मर्जी से ये किया है। सभी धर्म गुरुओं ने भी इस आदेश का स्वागत किया है। कार्रवाई के बारे में बताते हुए, कुमार ने कहा, जो लाउडस्पीकर हटाए जा रहे हैं वे अनधिकृत हैं। वे लाउडस्पीकर जो जिला प्रशासन से उचित अनुमति के बिना लगाए गए हैं या जिन्हें अनुमति संख्या से अधिक लगाया गया हैं, उन्हें ‘अनधिकृत’ श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि लाउडस्पीकरों के संबंध में उच्च न्यायालय के आदेशों को भी ध्यान में रखा जा रहा हैं।
आपको बता दें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पिछले हफ्ते वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक के दौरान दिए गए दिशा निर्देशों के आधार पर यह कार्रवाई की जा रही है। योगी ने कहा था कि हर किसी को अपनी-अपनी धार्मिक आस्था के हिसाब से पूजा और इबादत करने की आजादी है, लेकिन लाउडस्पीकर की आवाज परिसर के बाहर नहीं जानी चाहिए ताकि दूसरे लोगों को कोई परेशानी न हो। प्रदेश के गृह विभाग ने ‘अवैध’ रूप से लगाए गए लाउडस्पीकर को हटाने की कार्रवाई की स्थिति रिपोर्ट आगामी 30 अप्रैल को मांगी है। पुलिस विभाग द्वारा बुधवार को उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, लखनऊ जोन के जिलों में सबसे ज्यादा 2,395 लाउडस्पीकर हटाए गए, इसके बाद गोरखपुर (1,788), वाराणसी (1,366) और मेरठ (1204) जोन में हटाये गये हैं।