Saturday, November 2, 2024

अंतरराष्ट्रीय

‘हमारे वतन ने हमें मरने को छोड़ दिया, भारत ने की मदद और पहुंचाई राहत’, खारकीव से निकले एक पाकिस्तानी छात्र ने बयां किया दर्द

अरशद कहता है कि पाकिस्तानी दूतावास ने मदद करने के नाम पर हाथ खड़े कर दिए, पाकिस्तान के दर—दर भटकते छात्रों की कोई सुध नहीं ली गई

विश्व के तमाम बड़े नेताओं के सुलह—सफाई के प्रयासों के बावजूद यूक्रेन और रूस के बीच लड़ाई जारी है, बल्कि यह और गहराती जा रही है। इन परिस्थितियों में जहां भारत ने आपरेशन गंगा के तहत अपने यहां के अधिकांश छात्रों और नागरिकों को सुरक्षित निकाला है वहीं पड़ोसी पाकिस्तान के छात्र अपने वतन की अनदेखी से खिन्न हैं। उनका कहना है कि पाकिस्‍तान ने अपने यहां के लोगों को बिल्कुल अनदेखा छोड़ दिया।

रूस के जबरदस्त हमलों के बीच स्‍थानीय निवासी अपने जीवन के सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन काट रहे हैं। यूक्रेन से जो जान बचाकर निकल सकते हैं वे लगातार निकल ही रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान के छात्र इस सांसत में हैं कि वे जाएं तो जाएं कहां। उनके दूतावास ने उनसे कन्नी काटी हुई है। दूतावास के अधिकारियों का कथित कहना है कि उनके पास पैसे की कमी है इसलिए छात्रों की मदद के लिए कुछ भी नहीं कर सकते। जबकि दूसरी तरफ भारतीय दूतावास दिन—रात वहां बसे अपने आम नागरिकों और पढ़ने गए छात्रों की चिंता कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निगरानी में आपरेशन गंगा के सफल संचालन से अभी तक करीब 13,300 छात्रों व अन्य को वहां से सुरक्षित भारत लाया जा चुका है। जो किसी वजह से वहीं रह रहे हैं उनका भी भारत का दूतावास ख्याल रख रहा है।

पाकिस्तान के छात्र भारत की इस तत्परता और अपनों की चिंता देख हैरान हैं। उन्हें दुख है कि लंबी—चौड़ी बातें करने वाली उनकी सरकार उनकी सुध भी नहीं ले रही है। पाकिस्‍तान के कुछ छात्रों ने अपने वतन की सरकार से बार—बार गुहार की कि उन्‍हें वहां से निकाला जाए, लेकिन उनकी सुनने वाला पाकिस्तान में कोई नहीं है। यूनिवर्सिटी वर्ल्‍ड न्‍यूज का कहना है कि यूक्रेन में पढ़ने वाले लगभग 76 हजार विदेशी छात्रों में लगभग 25 प्रतिशत भारतीय हैं। उनके अलावा वहां मोरक्‍को, तुर्कमेनिस्‍तान, चीन, नाइजीरिया तथा पाकिस्‍तान के छात्र पढ़ रहे हैं।

 

पाकिस्तान के छात्र भारत की इस तत्परता और अपनों की चिंता देख हैरान हैं। उन्हें दुख है कि लंबी—चौड़ी बातें करने वाली उनकी सरकार उनकी सुध भी नहीं ले रही है। पाकिस्‍तान के कुछ छात्रों ने अपने वतन की सरकार से बार—बार गुहार की कि उन्‍हें वहां से निकाला जाए, लेकिन उनकी सुनने वाला पाकिस्तान में कोई नहीं है।

 

लेकिन रूस के आक्रामक हमलों के बीच फंसे पाकिस्‍तान के छात्रों का हौसला टूटता जा रहा है। कुछ ऐसा ही महसूस कर रहा है मिशा अरशद, जो वहां पढ़ने गया था, लेकिन युद्धग्रस्त क्षेत्र में फंस गया है। उसका कहना है कि यूक्रेन में वे इसलिए पढ़ने आए हैं क्योंकि दूसरे देशों की तुलना में यहां पढ़ने और रहने—खाने में कम पैसा लगता है। अरशद नेशनल एयरोस्‍पेस यूनिवर्सिटी का छात्र है। हालांकि अब वह खारकीव से किसी तरह बच निकलने में कामयाब हो गया है।

मिशा अरशद कहता है कि उसे अपने वतन की सरकार पर बहुत गुस्सा आ रहा है, क्योंकि पाकिस्तानी दूतावास ने मदद करने के नाम पर हाथ खड़े कर दिए, पाकिस्तान के दर—दर भटकते छात्रों की कोई सुध नहीं ली गई। वहां से बाहर निकलने में इमरान सरकार ने कोई मदद नहीं की। अरशद यह देखकर हैरान है कि ऐसे बुरे वक्त में उनकी सरकार उनसे ऐसा व्‍यवहार कर रही है।

खारकीव में अपनी मुश्किलों के बारे में उसने आगे बताया कि उन्‍हें वहां से निकलने में मदद मिली तो भारतीय दूतावास से जिसकी लाई गई बस में उसे जगह मिली और वह सुरक्षित निकल पाया। भारतीय दूतावास की उस बस में सिर्फ वही पाकिस्‍तानी छात्र था जबकि बाकी सब भारतीय छात्र थे। अरशद ने पाकिस्‍तान के पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के इस दावे की भी कलई खोलकर रख दी कि उन्‍होंने 1,476 पाकिस्‍तानी नागरिकों को सु​रक्षित बाहर निकाला है। और तो और, लेविव स्थित पाकिस्‍तानी दूूतावास तो यह झूठ भी फैला रहा था कि दूतावास ने भारत के छात्रों की भी मदद की है। अरशद ने कह कि पाकिस्‍तानी विदेश मंत्रालय को​री बकवास कर रहा है, एकदम झूठ बोल रहा है।