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नए जिलों के गठन को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बयान के बाद प्रदेश में फिर से सियासत गरम हो गई है। 2011 में तत्कालीन भाजपा सरकार डीडीहाट, यमुनोत्री, कोटद्वार और रानीखेत को जिला बनाने का शासनादेश तक जारी कर चुकी है।
कांग्रेस की सरकार में भी नए जिलों के गठन का मामला उठा था। 2022 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने बाकायदा इसे घोषणापत्र में शामिल किया था। हालांकि 21 साल बाद भी आज तक एक नया जिला नहीं बन पाया। वर्तमान में उत्तराखंड दो मंडल, 13, जिले, 110 तहसीलें और 18 उप तहसीलें हैं।
रानीखेत : रानीखेत जिले की मांग 1955 से उठ रही है। रानीखेत को ब्रिटिश शासक ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाना चाहते थे। यहां नगर पालिका भी नहीं है। 1,39,686 हेक्टेयर क्षेत्रफल और करीब साढ़े तीन लाख की आबादी पर जिला बनना था, जिसमें रानीखेत, सल्ट भिकियासैंण, द्वाराहाट, चौखुटिया और स्याल्दे शामिल होने थे।
डीडीहाट : डीडीहाट जिले की मांग वर्ष 1960 से उठ रही है। वर्ष 2005 में आंदोलन हुआ। पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक और हरीश रावत अपने मुख्यमंत्रित्व काल में घोषणा भी कर चुके हैं। 81304 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर करीब पौने दो लाख आबादी पर जिला बनाया जाना था। इसमें डीडीहाट, धारचूला, मुनस्यारी, थल, बंगापानी को शामिल करने का प्रस्ताव था।
हम चूक गए, धामी के पास सिकंदर बनने का मौका : हरीश
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी नए जिलों के गठन को लेकर वाकई गंभीर हैं तो बधाई के पात्र हैं, नहीं तो यह भर्ती घोटाले से लोगों का ध्यान हटाने के लिए एक शिगूफा है। रावत ने कहा कि हमारी सरकार ने 11 जिलों के प्रस्ताव बनाकर रखे हैं। तहसीलों और पटवारी हलकों के प्रस्ताव भी तैयार हैं। हम चूक गए, लेकिन धामी के सामने सिकंदर बनने का मौका है।