एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में बदलाव : छठवीं से 12वीं तक की किताबों से इस्लाम का उदय जैसे विषयों को हटाया
प्रशांत बख्शी
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) ने तर्कसंगत न होना बताकर छठवीं से बाहरवीं की पाठ्यपुस्तकों से 1,110 मुद्दे हटा दिए हैं। खास करके गुजरात में 2002 में हुए गोधरा कांड के पाठ को 12वीं के पॉलिटिकल साइंस के पाठ्यपुस्तक से बाहर कर दिया है। इसके साथ ही जाने-माने आंदोलन, एक पार्टी के वर्चस्व का सम, इस्लाम का उदय और विकास, शीतयुद्ध, अमुक कवियों की कविताओं को भी बाहर कर दिया गया है।
छठवीं से बारहवीं के विभिन्न विषयों के कोर्स में कटौती
एनसीईआरटी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर घोषणा की है कि कोविड-19 के कारण छात्रों पढ़ाई का बोझ घटाना जरूरी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम करने और रचनात्मक कार्यो पर जोर दिया गया है। जिसके अंतर्गत एनसीईआरटी ने प्रत्येक कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों से कोर्स कम करने की कवायद शुरू की है। इसके तहत गुजरात में सबसे विवादित सांप्रदायिक दंगों के इतिहास और उस समय हुई घटनाओं को पाठ्यक्रम से हटा दिए हैं। पहले चरण में छठवीं से बारहवीं के विभिन्न विषयों के कोर्स में कटौती की गई है। हालांकि कोर्स कटौती में कुछ खास मुद्दों को हटाने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं।
गोधरा कांड में क्या था ?
प्रशांत बख्शी
एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में बदलाव : छठवीं से 12वीं तक की किताबों से गुजरात दंगे, इस्लाम का उदय जैसे विषयों को हटाया
बाहरवीं के पॉलिटिकल साइंस भाग-2 में फरवरी-मार्च-2002 में गुजरात में हुए गोधरा कांड चेप्टर को हटा दिया गया है। इस चेप्टर में गोधरा में हुई घटना और राज्य सरकार के बारे में उल्लेख था। साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की वार्षिक रिपोर्ट 2001-2002 में गोधरा कांड के बारे में पेश रिपोर्ट के अंश थे। इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण गोधरा कांड के समय 4 अप्रैल 2022 के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बयान भी पाठ्य पुस्तक में था। जिसमें उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री (गुजरात) को हमारा संदेश है कि वे राजधर्म का पालन करें। शासक को अपनी प्रजा के बीच जाते, मत अथवा धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए।