Sunday, November 24, 2024

राज्यवायरल न्यूज़

एक किलो चावल तैयार होने में खर्च होता है 3000 लीटर पानी, छोड़ दीजिए धान की खेती वरना…

Prashant bakshi

Mera Pani Meri Virasat Scheme: हरियाणा सरकार किसानों से 2 लाख एकड़ में छुड़वाएगी धान की खेती. पानी के लिहाज से डार्क जोन में पहुंच गए 85 ब्लॉक, जहां पर 100 मीटर से भी नीचे चला गया है पानी.जल संकट से जूझ रहे हरियाणा में पानी बचाने के लिए शुरू की गई मेरा पानी मेरी विरासत स्कीम (Mera Pani Meri Virasat Scheme) का असर दिखाई देने लगा है. किसानों ने धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों को उगाना शुरू कर दिया है. एक कार्यक्रम में सीएम मनोहरलाल ने बताया कि इस स्कीम के जरिए पिछले साल किसानों ने 98 हजार एकड़ में धान के स्थान पर कम पानी वाली फसलों की खेती की थी. इस बार यह लक्ष्य 2 लाख एकड़ का रखा गया है. उन्होंने कहा कि धान, कपास व गन्ना में अधिक पानी लगता है. कृषि वैज्ञानिक भी कहते हैं कि एक किलो चावल तैयार होने में लगभग 3000 लीटर पानी की जरूरत होती है. बता दें कि राज्य सरकार धान की खेती (Paddy Farming) छोड़ने वाले किसानों को प्रति एकड़ 7000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दे रही है.

 

पंचकूला से 7500 सूक्ष्म सिंचाई (Micro Irrigation) प्रदर्शनी योजनाओं का लोकार्पण करते हुए मनोहरलाल ने कहा कि भावी पीढ़ी के लिए पानी बचाना बहुत जरूरी है. जल ही जीवन है और हमें भावी पीढ़ी के लिए इसे बचाकर रखना होगा. पानी ही नहीं होगा तो आने वाले दिनों में कैसे खेती होगी. इसलिए अब वक्त कम पानी वाली फसलों पर फोकस करने का है. प्रदेश के 142 ब्लॉकों में से 85 डार्क जोन में चले गए हैं. जहां पर पानी 100 मीटर से भी नीचे चला गया है. हम करीब 85 प्रतिशत पानी का उपयोग खुली सिंचाई में करते हैं.टपका और फव्वारा विधि से बचा सकते हैं पानी

सीएम ने कहा कि आज तकनीक के युग में सिंचाई के लिए में नए-नए प्रयोग शुरू हो गए हैं. सूक्ष्म सिंचाई में टपका और फव्वारा ऐसी व्यवस्था है, जिससे हम अधिक से अधिक पानी को बचा सकते हैं. साथ ही अच्छी पैदावार ले सकते हैं. पानी के दो पक्ष हैं. एक पीने का पानी और दूसरा सिंचाई के लिए पानी. पीने के पानी की तो हम बचत नहीं कर सकते. कई बार डॉक्टर भी हमें अधिक पानी पीने की सलाह देते हैं. लेकिन सिंचाई में अधिक पानी लगता है इसलिए हमें इसका उपयोग सूक्ष्म सिंचाई के जरिए कम करना होगा.

 

पानी से कीमती कोई चीज नहीं

मनोहरलाल ने कहा कि 1960 के दशक में जब देश में खाद्यान्नों की कमी थी उस समय हरित क्रांति का नारा दिया गया था. पंजाब व हरियाणा के किसानों ने हरित क्रांति (Green Revolution) में सबसे बड़ा योगदान दिया और देश को खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर बनाया. इस प्रक्रिया में पानी का खूब दोहन हुआ और रासायनिक खादों का इस्तेमाल. लेकिन अब वक्त बदल गया है. हमें सिंचाई के ऐसे विकल्पों की ओर रुख करना है जिसमें पानी की कम खपत होती है. क्योंकि पानी से कीमती कोई चीज नहीं है.पानी बचाने के लिए इजराइल से सीखने की जरूरत

सीएम ने बताया कि प्रदेश में लगभग 200 जल शोधन संयंत्र संचालित हैं. लगभग 50 प्रतिशत से अधिक शोधित पानी का दोबारा प्रयोग सिंचाई व अन्य कार्यों में किया जा रहा है. हम नया पानी नहीं पैदा कर सकते. जो पानी उपलब्ध है उसी का प्रयोग हमें सावधानीपूर्वक करना होगा. उन्होंने इजराइल का उदाहरण देते हुए कहा कि वो विश्व का ऐसा देश है, जहां पानी की बहुत किल्लत है और पूरी खेती टपका सिंचाई से की जाती है. हरियाणा सरकार ने भी इजराइल के साथ जल संरक्षण एवं फल-सब्जी उत्कृष्ट केंद्र के कई समझौते किए हैं.