ममता सरकार ने दुर्गा पूजा का पंडाल जूतों से सजवाया ,आप भी देखिए फोटोज
सरकार, पुलिस, हिन्दू स्वयंसेवी संस्थाओं और आर्मी के भरोसे अकड़ने वाला हिन्दू कभी होश में नहीं आएगा। बंगाल में जब से ममता सरकार आयी है, क्या हिन्दू सुरक्षित है? उसके बावजूद ममता बनर्जी के हाथ सत्ता देना, हिन्दुओं की मूर्खता नहीं तो और क्या है? जिस तरह ममता राज में हिन्दू मंदिरों और घरों पर प्रहार हुए हैं, अगर यही हाल मुस्लिम समाज के साथ होता, ममता सरकार को घुटनों के बल बैठकर उनकी सुरक्षा की गारंटी देने के साथ-साथ अपराधियों को सख्त कार्यवाही हो गयी होती। उप-चुनाव में ममता को सत्ता से बाहर रखने का भगवान ने मौका दिया, लेकिन जयचन्दों ने वापसी करवा दी।
कोलकाता के दमदम इलाके के एक दुर्गा पूजा पंडाल की सजावट जूतों-चप्पलों से की गई है। पंडाल की इस सजावट को लेकर बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद ने कड़ा ऐतराज जताया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने राज्य के मुख्य सचिव से मामले में दखल देने व इसे हटवाने का आग्रह किया है।
शुभेंदु अधिकारी ने आपत्ति जताते हुए इसे हिंदू आस्था का अपमान कहा और राज्य के मुख्य और गृह सचिव से मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर षष्ठी से पहले जूता-चप्पल को हटाने की माँग की। उन्होंने पंडाल में सजाई गई जूता और चप्पल की तस्वीर अक्टूबर 9, 2021 को ट्विटर पर डाली थी।
ट्वीट में लिखा है, “दमदम पार्क में पूजा पंडाल को जूतों से सजाया गया है। ‘कलात्मक स्वतंत्रता’ के नाम पर माँ दुर्गा का अपमान करने का यह जघन्य कृत्य बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मैं मुख्य और गृह सचिव से आग्रह करता हूँ कि वे हस्तक्षेप करें और आयोजकों को षष्ठी से पहले जूते हटाने के लिए विवश करें।”
शुभेंदु अधिकारी की तरह ही मेघालय के पूर्व राज्यपाल व वरिष्ठ भाजपा नेता तथागत रॉय ने पत्रकारों से कहा है कि कला की आजादी के नाम पर सब कुछ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह देवी दुर्गा का अपमान और हमारी धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला है।
वहीं, विश्व हिंदू परिषद ने भी बंगाल के गृह सचिव को पत्र लिख पंडाल से जूते हटवाने की माँग की है। वीएचपी ने लिखा, “हम आपसे आग्रह करते हैं कि तुरंत पंडाल से जूते हटवाने के लिए उचित कदम उठाएँ। जब तक पूजा स्थल से इन आपत्तिजनक जूतों को नहीं हटाया जाता, तब तक बंगाली हिंदुओं की धार्मिक भावनाएँ शांत नहीं होंगी। मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि सांप्रदायिक सद्भाव खत्म करने और बंगाली हिंदुओं का अपमान करने वाले इन उपद्रवियों के खिलाफ मजबूती से कदम उठाएँ।”
इधर दमदम पार्क भारत चक्र समिति के एक पदाधिकारी ने अपनी ओर से स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि जूते पंडाल से दूर लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, “इस साल हमारी थीम किसान आंदोलन है। इसके अनुसार, पंडाल जाने के रास्ते पर जूते लगाए गए हैं जो आंदोलनरत किसानों पर पुलिस के लाठीचार्ज के एक दृश्य का प्रतीक हैं।”
इसके अलावा दमदम पार्क भारत चक्र क्लब पूजा के आयोजकों ने पंडाल के रास्ते में ट्रैक्टर की प्रतिकृति रखकर ‘किसानों के आंदोलन’ को दर्शाया है। ट्रैक्टर के दो हिस्से हैं, जिन पर आंदोलन में मारे गए किसानों के नाम लिखे हैं। इसके साथ ही एक पोस्टर में अंग्रेजी में लिखा है, “हम किसान हैं। आतंकवादी नहीं। किसान अन्न सैनिक हैं।” क्लब के सचिव प्रतीक चौधरी ने कहा कि उनकी थीम किसानों की दुर्दशा और उन संघर्षों के इर्द-गिर्द है, जिनका सामना उन्होंने 1946 में अविभाजित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा आयोजित ऐतिहासिक आंदोलन तेभागा के बाद से किया है। उउनका कहना है कि इस पंडाल में उन्होंने लखीमपुर खीरी हिंसा की कहानी भी दिखाने की कोशिश की है।
साभार आर एल बी निगम