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उत्तराखंड में है उत्तर भारत का सबसे पुराना फॉरेस्ट बंगला, ठहर चुकी हैं कई बड़ी हस्तियां; नजारे बेहद खूबसूरत

 

(देहरादून)। चकराता क्षेत्र के बुधेर में उत्तर भारत का सबसे पुराना फॉरेस्ट बंगला है। इसका निर्माण वर्ष 1868 में हुआ था। समुद्र तल से 2510 मीटर की ऊंचाई पर स्थित देवदार के घने जंगलों के बीच बने इस बंगले की खूबसूरती देखते ही बनती है। इसके अलावा देवघार रेंज के त्यूणी स्थित वन विश्राम गृह का निर्माण वर्ष 1872 में कराया गया था।टोंस व पावर नदी के संगम पर बसे त्यूणी स्थित वन विभाग के इस ब्रिटिश कालीन फॉरेस्ट बंगले में कई बड़ी हस्तियां ठहर चुकी हैं। बंगले में ठहरी देश-विदेश की कई हस्तियों ने विजिटर बुक में जो संदेश लिखें हैं, उसमें इस स्थान के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन मिलता है। ब्रिटिश वायसराय और लेडी वायसराय समेत कई हस्तियां भी इस बंगले की मुरीद थीं।

आश्वगंधा टैबलेट: तनाव और चिंता को कहें अलविदा, पाएं शारीरिक और मानसिक शक्ति

आश्वगंधा (Withania somnifera), जिसे भारतीय जिन्सेंग के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन आयुर्वेदिक हर्ब है जो हजारों वर्षों से शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है। यह एक शक्तिशाली एडैप्टोजन है, जिसका मतलब है कि यह शरीर को शारीरिक और मानसिक तनाव से निपटने में मदद करता है।

तनाव और चिंता से राहत: आजकल की तेज-तर्रार जीवनशैली में मानसिक तनाव और चिंता सामान्य समस्याएं बन गई हैं। आश्वगंधा को तनाव और चिंता से राहत पाने के लिए एक प्रभावी उपाय के रूप में पहचाना जाता है। अध्ययन यह दर्शाते हैं कि यह हर्ब कोर्टिसोल, जिसे ‘तनाव हार्मोन’ कहा जाता है, के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसका नियमित सेवन न केवल तनाव को कम करता है, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है।
ऊर्जा और जीवन शक्ति में वृद्धि: आश्वगंधा शरीर की ऊर्जा स्तर को बढ़ाने में सहायक है। यह शारीरिक कमजोरी को दूर करने, सहनशक्ति बढ़ाने और दैनिक कार्यों को करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है। इसके सेवन से थकान कम होती है और व्यक्ति अधिक सक्रिय महसूस करता है।

हार्मोन संतुलन और नींद में सुधार: आश्वगंधा का एक और महत्वपूर्ण लाभ है कि यह हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। यह विशेष रूप से महिलाओं और पुरुषों दोनों में हार्मोनल असंतुलन को सुधारने में सहायक होता है। इसके अलावा, यह नींद की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए भी जाना जाता है। इसके नियमित सेवन से नींद में सुधार होता है, जिससे शरीर को उचित आराम मिलता है और मानसिक स्थिति भी दुरुस्त रहती है।
अवसाद से राहत: हालिया शोध में यह भी पाया गया है कि आश्वगंधा अवसाद (डिप्रेशन) के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है। यह शरीर के न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे मूड बेहतर होता है और अवसाद के लक्षण कम होते हैं।

निष्कर्ष : आश्वगंधा एक प्राकृतिक और प्रभावी हर्ब है जो तनाव, चिंता, नींद की समस्या, ऊर्जा की कमी, और हार्मोनल असंतुलन को सुधारने में मदद करता है। यदि आप भी अपनी सेहत को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो myUpchar आश्वगंधा टैबलेट का उपयोग कर सकते हैं। यह उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद है जो आपको आश्वगंधा के सभी लाभ प्रदान करता है और आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

myUpchar आश्वगंधा टैबलेट के नियमित सेवन से आप मानसिक शांति, शारीरिक ऊर्जा और बेहतर नींद का अनुभव कर सकते हैं। इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करके आप आयुर्वेदिक उपचार के लाभों का पूरा फायदा उठा सकते हैं।

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अपनी प्राकृतिक सुंदरता एवं भव्यता के लिए मशहूर जौनसार बावर के कई रमणीक एवं पर्यटन स्थल देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। ब्रिटिश काल में देहरादून से चकराता तक ही सड़क थी। इससे आगे सड़क सुविधा न होने से लोगों को जंगल के रास्ते मीलों दूर पैदल चलना पड़ता था।

अंग्रेज गर्मी के मौसम में अधिकांश समय पहाड़ की इन खूबसूरत वादियों में ही गुजारते थे। तब लोग चकराता से त्यूणी तक डेढ़ सौ किमी दूर जंगल के रास्ते पैदल व घोड़े खच्चरों से ही आते-जाते थे।ब्रिटिश काल में सीमित संसाधनों के बावजूद अंग्रेजों ने जंगल की खूबसूरत वादियों के बीच चकराता, बुधेर, कनासर, मुंडाली व त्यूणी में फोरेस्ट बंगलों का निर्माण कराया।

चकराता वन प्रभाग के कनासर रेंज में उत्तर भारत का सबसे पुराना फॉरेस्ट बंगला वन विभाग की शोभा बढ़ा रहा है। ब्रिटिश काल में बने फॉरेस्ट बंगलों का वन विभाग ने कुछ समय पहले रेनिवेशन किया है।

 

समुद्र तल से 912 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ब्रिटिश कालीन त्यूणी बंगले में वर्ष 1924 से लेकर 1952 के बीच देश-विदेश की कई बड़ी हस्तियां ठहर चुकी है, जिसका उल्लेख वन विभाग के विजिटर बुक में दर्ज है।

 

फॉरेस्ट बंगले में ठहरने वाले सबसे खास मेहमानों में अप्रैल 1928 में ब्रिटिश वायसराय, अक्तूबर 1930 में लेडी वायसराय विक्टोरिया इरविन, वर्ष 1928 में ब्रिटिश शासन के कमांडर इन चीफ, वर्ष 1937 में टिहरी रियासत के दीवान चक्रधर जुयाल और 1952 में ए ह्यूबर एफएओ एक्सपर्ट शामिल हैं।

 

पूर्व में क्षेत्र भ्रमण पर आए तत्कालीन मंत्री केदार सिंह फोनिया ने विजिटर बुक में दर्ज इन महान हस्तियों के संदेश को सुरक्षित रखने की सलाह दी। कहा कि वन विभाग को ऐतिहासिक महत्व के पुराने रिकार्ड एवं अभिलेखों को संजोकर रखना चाहिए, ताकि जनजातीय क्षेत्र की विशेषता के बारे में पर्यटकों को पता चल सके।

 

ब्रिटिश कालीन फॉरेस्ट बंगलों को पर्यटकों की सुविधा के अनुरूप किया गया है रेनोवेट

डीएफओ अभिमन्यु का कहना है कि बुधेर में स्थित उत्तर भारत का सबसे पुराना फॉरेस्ट बंगला बेहद खूबसूरत है। विभाग ने ऐतिहासिक महत्व के ब्रिटिश कालीन पुराने फॉरेस्ट बंगलों को पर्यटकों की सुविधा के अनुरूप रेनोवेट किया गया है। मुंडाली व देववन में जर्जर हो चुके पुराने वन विश्राम गृह का निर्माण कार्य जल्द शुरू कराया जाएगा। फॉरेस्ट बंगलों को सुविधा संपन्न बनाने की दिशा में कवायद चल रही है।