देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर में ‘ऑपरेशन क्लीन’ की शुरुआत की है। इस अभियान का उद्देश्य राज्य को नशा मुक्त उत्तराखंड बनाना और स्प्यूरियस (नकली) दवाओं के खिलाफ कार्रवाई करना है।

स्वास्थ्य सचिव डा. आर. राजेश कुमार ने बताया कि अभियान के तहत नकली, मानकविरुद्ध, मिसब्रांडेड और मादक औषधियों के निर्माण, भंडारण व विक्रय पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। राज्य में आठ सदस्यीय क्विक रिस्पान्स टीम (क्यूआरटी) का गठन किया गया है, जो सहायक औषधि नियंत्रक हेमंत सिंह नेगी के नेतृत्व में काम कर रही है।

जिनमें सहायक औषधि नियंत्रक डॉक्टर सुधीर कुमार, वरिष्ठ औषधि निरीक्षक नीरज कुमार, मिनाक्षी बिष्ट, सीपी नेगी, अनिता भारती, मानवेन्द्र सिंह राणा, निशा रावत एवं गौरी कुकरेती आदि शामिल हैं। यह दल प्रदेश के विभिन्न जिलों में जाकर औषधि निर्माण इकाइयों की जांच करेगा और संदिग्ध औषधियों के नमूने एकत्र कर विश्लेषण को भेजेगा।

जनपदों में वर्गीकरण कर चरणबद्ध कार्रवाई

प्रदेश के जनपदों को श्रेणी ‘क’ (जहां दो या अधिक औषधि निरीक्षक तैनात हैं) तथा श्रेणी ‘ख’ (जहां केवल एक निरीक्षक कार्यरत है) में विभाजित किया गया है। श्रेणी ””क”” में देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल एवं पौड़ी सम्मिलित हैं, जबकि अन्य जिलों में सीमित संसाधनों के अनुरूप कार्रवाई की जा रही है।

सीमा क्षेत्रों पर विशेष चौकसी

भारत-नेपाल सीमा पर स्थित धारचूला, झूलाघाट, टनकपुर, बनबसा और खटीमा सहित अन्य प्रवेश द्वारों पर विशेष निगरानी अभियान चलाया जा रहा है। सीमा क्षेत्रों पर औषधि प्रवाह की जांच को लेकर चौकसी बढ़ा दी गई है। औषधि निर्माता फर्मों, थोक व फुटकर विक्रेताओं और कच्चा माल आपूर्तिकर्ताओं की विस्तृत जांच की जा रही है। स्थानीय पुलिस व प्रशासन के सहयोग से संयुक्त छापेमारी की जा रही है। सभी जिलों में साप्ताहिक निरीक्षण व सैंपलिंग की व्यवस्था की गई है।

जन जागरूकता और शिकायत के लिए हेल्पलाइन

जनता को अभियान से जोड़ने के लिए रेडियो, टीवी, इंटरने मीडिया और पोस्टर के माध्यम से प्रचार किया जा रहा है। एनजीओ और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भी सक्रिय भागीदारी के लिए जोड़ा गया है। नकली या नशीली दवाओं से संबंधित शिकायतें टोल फ्री नंबर 18001804246 पर की जा सकती हैं।

स्कूलों और दवा की दुकानों की भी निगरानी

औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि प्रदेशभर के स्कूलों में नशा मुक्ति शिक्षा का आयोजन किया जा रहा है, जबकि दवा की दुकानों पर बिकने वाली दवाओं की वैधता की जांच की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल औषधि नियंत्रण नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा की दिशा में की गई पहल है। इस अभियान में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जांच प्रयोगशालाओं में प्राथमिकता के आधार पर परीक्षण

एकत्र किए गए औषधि नमूनों का परीक्षण औषधि विश्लेषण प्रयोगशालाओं में प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। विश्लेषण रिपोर्ट प्राप्त होने के पश्चात दोषी पाए जाने वालों के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। प्रयोगशालाओं को प्रत्येक सप्ताह परीक्षण रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।