उत्तर प्रदेश में इस बार किसानों ने 9.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की बुआई की है. पिछले वर्ष की तुलना में सरसों की बुआई के रकबे में 35 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. करीब 25 वर्षो बाद किसान, लक्ष्य से अधिक भूमि पर सरसों की खेती कर रहे हैं.
कृषि विभागके आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 7.80 लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों की खेती का लक्ष्य रखा गया था. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों ने गांव -गांव जाकर किसानों को सरसों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया. किसानों को बेहतर उपज और फसल के सम सामयिक देखरेख के बारे में जानकारी दी गई. इस बार करीब 20 लाख से अधिक किसानों ने सरसों की खेती को प्राथमिकता दी.
किसानों के ऐसे प्रयास से राज्य में 9.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की फसल तैयार हो रही है. इस बार अनुमान है कि उत्तर प्रदेश, सरसों के उत्पादन में नंबर वन राज्य बन सकता है. गत वर्ष प्रदेश में 7 लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों की खेती की गई थी और 10.07 लाख मीट्रिक टन सरसों का उत्पादन हुआ था. इस बार सरसों के रिकार्ड उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है.
- 7.80 लाख हेक्टेयर भूमि पर इस वर्ष सरसों की खेती का लक्ष्य रखा गया
- 7 लाख हेक्टेयर भूमिपर सरसों की खेती की गई थी
- 9.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की फसल तैयार हो रही है
- 10.07 लाख मीट्रिक टन सरसों का उत्पादन हुआ
मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश तिलहन उत्पादन में दूसरे नंबर पर है. देश में कुल उत्पादन का 16 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश का है. मध्य प्रदेश में 24 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 14 प्रतिशत, राजस्थान में छह प्रतिशत, आंध्र प्रदेश 10 प्रतिशत और कर्नाटक में सात प्रतिशत तिलहन का उत्पादन होता है. गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा और झारखंड सहित अन्य राज्यों में 23 प्रतिशत उत्पादन होता है. तिलहन में रबी और खरीफ दोनों ही फसलें आती हैं. कुल उत्पादन का लगभग 64 प्रतिशत रबी , 30 प्रतिशत खरीफ और छह प्रतिशत जायद की फसल में उत्पादन होता है.
सरसों अनुसंधान निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार 25 वर्ष पहले सरसों उत्पादन में उत्तर प्रदेश का पहला स्थान था लेकिन ज्यादा उत्पादन वाली गेहूं की नई किस्मों के आने से गेहूं का क्षेत्रफल बढ़ता गया. वर्ष 1981-82 में सरसों का क्षेत्रफल 22.76 लाख हेक्टेयर था. यह क्षेत्रफल पूरे देश की सरसों की खेती के क्षेत्रफल का 50 प्रतिशत था.