तालिबान ने भले ही आश्वासन दिया हो कि वो महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार करेगा, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। तालिबान ने महिलाओं को ‘इस्लाम के हिसाब से शिक्षा का अधिकार’ देने व उनका सम्मान करने की बात कही है। लेकिन, अफगानिस्तान की ही एक पूर्व महिला जज ने तालिबान की करतूतों का खुलासा करते हुए बताया कि मुल्क के महिलाओं की तालिबानियों द्वारा हत्या की जा रही है।
कुछ अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों ने अफगानिस्तान की महिलाओं से बात कर के जाना है कि उनके साथ वहाँ किस तरह का व्यवहार किया जा रहा है। अफगानिस्तान की एक महिला वकील ने बताया कि उत्तरी अफगानिस्तान में एक महिला को सिर्फ इसीलिए आग में जला डाला गया क्योंकि तालिबानियों को उसका बनाया भोजन पसंद नहीं आया था। उस पर खराब खाना पकाने का आरोप लगा कर ये ‘सज़ा’ दी गई।
तालिबानी स्थानीय परिवारों पर दबाव बना रहे हैं कि वो उनके लिए स्वादिष्ट भोजन पकाएँ और खिलाएँ। साथ ही ताबूतों में भर कर कई युवतियों को पड़ोसी मुल्कों में भेजा गया है, ताकि उनका इस्तेमाल सेक्स स्लेव के रूप में किया जा सके। साथ ही परिवारों पर अपने घर की युवतियों और बच्चियों तक की शादी तालिबानियों से करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। महिला वकील ने कहा कि तालिबान ने जो दुनिया को आश्वासन दिया है, वो जमीन पर कहीं मिल नहीं रहा।
उक्त वकील ने अफगानिस्तान छोड़ दिया है, क्योंकि महिला अधिकार की बातें करने पर उनकी जान पर खतरा बन आया था और अब भी तालिबानी उन्हें खोज रहे हैं। उन्होंने बताया कि काबुल पर तालिबान के कब्जे से एक दिन पहले तक वो एक ‘शक्तिशाली स्थिति’ में थीं, लेकिन उसके बाद वो समाज में कुछ भी नहीं रह गईं। किराने की दुकान पर भी जाने के लिए उन्हें अपने पड़ोसी के एक 4 साल के बच्चे को साथ लेना पड़ता था, क्योंकि यही शरिया का नियम है।
कुछ ही दिनों पहले अफगानिस्तान के सरकारी टीवी चैनल की एंकर खादिजा अमीन को उनके महिला होने के कारण बर्खास्त कर दिया गया था और उनकी जगह पुरुष तालिबानी एंकर को बैठने को कहा गया था। 28 साल की खादिजा अमीन ने बताया था, “मैं एक पत्रकार हूँ और मुझे काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। अब मैं आगे क्या करूँगी। अगली पीढ़ी के लिए कुछ भी नहीं है। हमने पिछले 20 साल में जो कुछ भी हासिल किया है, वह सब खत्म हो गया। तालिबान तालिबान हैं, उनके अंदर कोई बदलाव नहीं आया है।”
तालिबान ने महिलाओं पर लागू किए ये 10 घिनौने नियम
तालिबानी राज (Taliban Rule) में महिलाओं के लिए ऐसे कठिन नियम-कानून (talibani rules for girls) बनाए जाते हैं, जो मानवाधिकारों का भी सीधा हनन है। शरिया कानून के मुताबिक महिलाओं के तमाम अधिकार छीन लिए जाते हैं। साल 2001 में जब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था, महिलाओं (Afghan women) ने बहुत कुछ सहा है। एक बार फिर रोज़मर्रा की ज़िंदगी में महिलाओं और लड़कियों को उन्हीं नियमों के मुताबिक रहना होगा।
महिलाएं सड़कों पर किसी भी करीबी रिश्तेदार के बगैर नहीं निकल सकती।
महिलाओं को घर के बाहर निकलने पर बुर्का पहनना ही होगा।
पुरुषों को महिलाओं के आने की आहट न सुनाई दे, इसलिए हाई हील्स नहीं पहनी जा सकती।
सार्वजनिक जगह पर अजनबियों के सामने महिला की आवाज़ सुनाई नहीं देनी चाहिए।
ग्राउंड फ्लोर के घरों में खिड़कियां पेंट होनी चाहिए, ताकि बाहर से घर के अंदर की महिलाएं दिखाई न दें।
महिलाएं तस्वीर नहीं खिंचवा सकती हैं, न ही उनकी तस्वीरें अखबारों, किताबों और घर में लगी हुई दिखनी चाहिए।
महिला शब्द को किसी भी जगह के नाम से हटा दिया जाए।
महिलाएं घर की बालकनी या खिड़की पर दिखाई नहीं देनी चाहिए।
महिलाएं किसी भी सार्वजनिक एकत्रीकरण का हिस्सा नहीं होनी चाहिए।
महिलाएं नेल पेंट नहीं लगा सकती हैं, न ही वे मर्जी से शादी करने का सोच सकती हैं।
अगर नहीं माने नियम, तो खौफनाक सज़ा (Talibani Punishment)
तालिबान अपनी खौफनाक सज़ाओं के लिए भी काफी कुख्यात है। महिलाओं के लिए बनाए गए नियम कायदे को अगर किसी ने तोड़ा तो उसे क्रूर सज़ा का सामना करना पड़ता है। तालिबान राज के दौरान वहां महिलाओं को सार्वजनिक तौर पर बेइज्ज़त किया जाना और पीट-पीटकर मार दिया जाना आम सज़ा थी। अडल्ट्री या अवैध संबंधों के लिए महिलाओं को सार्वजनिक तौर पर मार दिया जाता है। कसे कपड़े पहनने पर भी यही सज़ा दी जाती है। कोई लड़की अगर अरेंज मैरिज से भागने की कोशिश करती है तो उसकी नाक और कान काटकर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। अगर महिलाएं नेल पेंट कर लें तो उनकी उंगलियां काट देने तक की क्रूर सज़ा दी जाती है।
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