Tuesday, November 26, 2024

राज्य

यूपी के 28 जिलों में एक प्रतिशत भी गेहूं खरीद नहीं, सिर्फ चार जिलों में लक्ष्य के सापेक्ष 10 प्रतिशत ज्यादा खरीद

Wheat is not procured even one percent in 28 districts of UP, only four districts buy 10 percent more than the target

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद पिछले साल की तुलना में इस वर्ष अप्रैल में गेहूं की सरकारी खरीद लगभग 12 प्रतिशत ही रही है। पिछले साल 30 अप्रैल तक प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर जहां 11,30,771.34 टन गेहूं खरीदा गया था, वहीं इस साल अप्रैल माह में सिर्फ 1,37,633.46 टन खरीद हो सकी है। प्रदेश के 28 जिले ऐसे हैं जहां लक्ष्य के सापेक्ष एक प्रतिशत भी गेहूं खरीद नहीं हो सकी है।
रबी विपणन वर्ष 2022-23 में उत्तर प्रदेश में पहली अप्रैल से एमएसपी पर गेहूं की सरकारी खरीद जारी है। सरकार ने इस साल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। साथ ही, इस वर्ष प्रदेश में 60 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया है।
प्रदेश के सभी जिलों के लिए भी गेहूं खरीद का लक्ष्य तय किया गया है। लक्ष्य के सापेक्ष गेहूं खरीद में आगरा फिसड्डी है। आगरा में इस साल 48000 टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके सापेक्ष 30 अप्रैल तक 19.3 टन यानी 0.04 प्रतिशत गेहूं खरीद ही हो सकी थी।
औरैया में लक्ष्य के सापेक्ष 0.05 प्रतिशत गेहूं खरीदा जा सका है। यहां 51000 टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य है जबकि खरीद हुई है 23.75 टन। बदायूं में 0.07 प्रतिशत गेहूं खरीद हुई है। यहां 1,25,000 टन खरीद के लक्ष्य के सापेक्ष 30 अप्रैल तक 83.8 टन गेहूं खरीदा गया था। फिरोजाबाद के लिए गेहूं खरीद का लक्ष्य 67000 टन तय किया गया है लेकिन अप्रैल अंत तक यहां सिर्फ 54.2 टन यानी 0.08 प्रतिशत ही खरीद हो पाई है।
वहीं मथुरा में लक्ष्य के सापेक्ष 0.09 प्रतिशत खरीद हो सकी है। प्रदेश के सिर्फ चार जिले ऐसे हैं जिनमें लक्ष्य के सापेक्ष 10 प्रतिशत से ज्यादा खरीद हुई है। जिलावार लक्ष्य के सापेक्ष 30 अप्रैल तक वाराणसी में 15.05 प्रतिशत, मऊ में 12.82 प्रतिशत, मिर्जापुर में 12.38 प्रतिशत और सोनभद्र में 11.74 प्रतिशत गेहूं खरीदा गया था।
इस साल एमएसपी पर गेहूं की खरीद सुस्त है क्योंकि विभिन्न जिलों में गेहूं का बाजार भाव एमएसपी से ज्यादा है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कई देशों में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। विश्व में गेहूं के कुल आयात में रूस और यूक्रेन की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत है।
जिन देशों को रूस और यूक्रेन गेहूं निर्यात करते थे, वहां गेहूं की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इसलिए निर्यातक इन देशों को निर्यात करने के लिए आढ़तियों और बड़े व्यापारियों से गेहूं खरीद रहे हैं। इससे बाजार भाव एमएसपी से ज्यादा है। गेहूं खरीद में तेजी लाने के लिए सरकार ने सचल क्रय केंद्रों के माध्यम से गांवों में जाकर किसानों से सीधे गेहूं खरीदने का भी फैसला किया है।