
कड़छम (किन्नौर)
कर्ज में डूबे हुए हिमाचल प्रदेश के ऊर्जा उत्पादकों को सरकार बड़ी राहत प्रदान करेगी। जिन ऊर्जा उत्पादकों के प्रोजेक्ट 50 फीसदी से ज्यादा बन चुके हैं, उनको लेकर सरकार विस्तृत अध्ययन करेगी और जल्दी ही बड़े फैसले लिए जाएंगे। यह ऐलान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने किन्नौर दौरे के दौरान किया। मुख्यमंत्री सोमवार को किन्नौर जिला में निर्माणाधीन 450 मेगावाट की शौंगटौंग बिजली परियोजना के काम को देखने के लिए पहुंचे थे। सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार ने दिसंबर 2026 तक इस प्रोजेक्ट को बनाने का लक्ष्य रखा है। यह प्रोजेक्ट हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। यहां से 1000 करोड़ करोड़ रुपए की बिजली पैदा होगी। उन्होंने परियोजना का दौरा करने के बाद ‘दिव्य हिमाचल’ से विशेष बातचीत में कहा कि हिमाचल प्रदेश के छोटे ऊर्जा उत्पादकों को राहत देने के लिए सरकार जल्दी ही कैबिनेट सब कमेटी की सिफारिश को अमल में लाएगी। मुख्यमंत्री ने यहां एक और ऐलान करते हुए कहा कि कांगड़ा जिला में 200 मेगावाट क्षमता का सोलर प्रोजेक्ट लगाया जाएगा। यह हिमाचल की सबसे बड़ी सोलर परियोजना होगी, जिसका काम हिमाचल पावर कारपोरेशन को दिया जा रहा है। इसके साथ हिमाचल प्रदेश जियो थर्मल परियोजनाओं की तरफ भी ध्यान दे रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा का दोहन किया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि 32 मेगावाट की पेखूबेला परियोजना के अलावा अघलार व भंजाल परियोजनाएं भी तैयार की जा रही हैं, जिससे सर्दियों के दिनों में राज्य को दूसरे प्रदेशों से बिजली नहीं खरीदनी पड़ेगी। एक अन्य सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश सरकार ने 58000 करोड़ रुपए का बजट पारित किया, लेकिन उसमें से भी 52000 करोड़ रुपए वास्तविक रूप में सरकार के पास हैं, जबकि 6000 करोड़ रुपए का बड़ा होल अर्थव्यवस्था में सामने आ रहा है।
एक तरफ हिमाचल का कुल बजट ही 58000 करोड़ है, वहीं हिमाचल की संपदा का दोहन कर रहे सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड का वार्षिक बजट 67000 करोड़ रुपए का है। जब सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा हिमाचल प्रदेश की अमूल्य संपदा का दोहन किया जा रहा है, तो फिर हिमाचल सरकार की अपनी कंपनी पावर कारपोरेशन क्यों नहीं कर सकती। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने पावर कारपोरेशन को कई और परियोजनाएं देने का निर्णय लिया है, जिन पर लगातार काम चल रहा है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने एक बार फिर साफ शब्दों में कहा है कि हिमाचल प्रदेश की संपदा को लूटने नहीं दिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश सरकार के अधिकारियों में काम करने की बड़ी क्षमता है, मगर बार-बार अफसरशाही की क्षमता पर सवाल खड़े किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य बिजली बोर्ड और पावर कारपोरेशन बड़ी परियोजनाएं तैयार करने में सक्षम हैं और सरकार इनके माध्यम से हिमाचल कि इस संपदा का भरपूर दोहन करेगी। पावर कॉरपोरेशन की शौंगटौंग परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग 20 साल से यह परियोजना बनकर तैयार नहीं हो सकी, क्योंकि पूर्व की सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। यह एक ऐसी परियोजना है, जो हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देगी। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर राज्य बनाने के लिए जो भी करना होगा, वह किया जाएगा। सर्दियों में हिमाचल प्रदेश को दूसरे राज्यों से महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ती है, लेकिन जब हिमाचल के अपने सोलर प्रोजेक्ट तैयार हो जाएंगे, उनसे इतनी बिजली होगी कि सर्दियों में दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। ऊर्जा क्षेत्र में सरकार और भी कई बड़े कम आने वाले समय में उठाने जा रही है।
अब हिमाचल सरकार अपनी शर्तों पर ही देगी परियोजनाएं
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पूर्व की जयराम सरकार ने हिमाचल प्रदेश की अमूल्य संपदा को लुटाया है। सतलुज जल विद्युत निगम को धौलासिद्ध, लुहरी और सुन्नी परियोजनाएं बिना शर्तों के दे दी गईं, जिनमें हिमाचल को 12 फीसदी मुफ्त रायल्टी भी हासिल नहीं होगी। ऐसे में प्रदेश सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए तय किया है कि वह इन परियोजनाओं को टेकओवर कर लेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर सतलुज जल विद्युत निगम को हिमाचल से बिजली परियोजनाएं चाहिएं, तो राज्य सरकार की शर्तों पर ही मिलेंगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले में नेगोसिएशन करने के लिए एक पत्र आया है, जबकि प्रदेश सरकार ने इन तीनों परियोजनाओं में अब तक खर्च हुई धनराशि का मूल्यांकन करने की तैयारी कर ली है।