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मुंबई
‘हिंदू वह है, जो चुनौती स्वीकार करता है। है हिम्मत तो चुनाव कराओ। लोकसभा का कराओ। विधान सभा का कराओ। मनपा का कराओ। संभव हो तो तीनों चुनाव एक साथ कराओ। हिम्मत नहीं और खुद को हिंदुओं का नेता कहलवाते हो। जिनमें हिम्मत है, वही इस देश पर राज करेगा।’
‘२५-३० वर्षों से शिवसेना की भाजपा के साथ युति थी। लेकिन हमें क्या मिला? वे जब दिल्ली में जाकर बैठे तब उन्हें बाकियों की आवश्यकता नहीं रही। भाजपा ने साल २०१४ में युति तोड़ दी। युति टूट गई, फिर भी हम हिंदू थे, आज भी हिंदू हैं और कल भी हिंदू रहेंगे। राष्ट्रवाद ही हमारा हिंदुत्व है, ऐसा दृढ़तापूर्वक कहते हुए ‘अब भाजपा का हिंदुत्व क्या है? इसका जवाब हिंदुस्थान को चाहिए’, ऐसा जोरदार हमला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने किया। अपनों की गुलामी नहीं चाहिए, होगा तो एक साथ आना ही पड़ेगा, ऐसी भावुक बातें भी इस दौरान उन्होंने कहीं।
गोरेगांव-पश्चिम के राम मंदिर स्थित नाहर निकेतन में कल आयोजित उत्तर हिंदुस्थानियों के समारोह का उद्धव ठाकरे ने मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे का पुत्र होने के नाते मैं उत्तर हिंदुस्थानियों के साथ रिश्ता मजबूत करने आया हूं। हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा के साथ युति होने की बात याद दिलाते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि ‘साल १९८५ के दौरान शिवसेना और भाजपा दोनों ही राजनीति में अछूतों की तरह थीं। कोई भी हमारा साथ नहीं दे रहा था। हाथ मिलाना तो दूर की बात, बगल में आकर बैठने की भी हिम्मत किसी में नहीं थी। हमें सांप्रदायिक माना जाता था।