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ताकि यात्रियों को पड़े कुलियों की जरूरत
• कमाई के लिए पोर्टरों की नई तिकड़म
मुंबई
बुजुर्गो, महिलाओं और थके यात्रियों के लिए रेलवे की तरफ से स्टेशनों पर एस्केलेटर बनाए गए हैं लेकिन अधिकतर समय ये एस्केलेटर बंद या खराब पाए जाते हैं। मध्य रेलवे के कुछ अधिकारियों ने इसके लिए सारी दुनिया का बोझ उठाने वाले कुलियों को जिम्मेदार ठहराया है। कुली कमाई के लिए नई तिकड़म अपनाते हुए एस्केलेटर को बंद कर देते हैं, ताकि यात्रियों को कुलियों की जरूरत पड़े।
मध्य रेलवे के अधिकारियों का दावा है कि जिन स्टेशनों पर लंबी दूरी की ट्रेनें आती हैं, ऐसे स्टेशनों पर ट्रेन आने से ठीक पहले कुलियों द्वारा एस्केलेटर बंद कर दिए जाते हैं। मध्य रेलवे रेलवे के अधिकारियो के अनुसार, मध्य, हार्बर और ट्रांस-हार्बर लाइनों पर कुल ७९ स्टेशनों में १११ एस्केलेटर लगाए गए हैं, जहां उपनगरीय ट्रेनें संचालित होती हैं। इन एस्केलेटरों को प्रत्येक दिन लगभग १५०-२०० बार फिर से चालू करना पड़ता है। लोकमान्य तिलक टर्मिनस, ठाणे और कल्याण जैसे स्टेशनों पर जहां लंबी दूरी की ट्रेनें रुकती हैं, यहां अधिकतर इस तरह बंद किया जाता है। इसके लिए कुली ही जिम्मेदार पाए गए हैं, जबकि स्थानीय यात्री वडाला, कुर्ला, घाटकोपर, और ठाणे में मजाक उड़ाते हैं।
वैâमरों के फुटेज में पाया गया
मध्य रेलवे अधिकारियोें का दावा है कि इनमें से प्रत्येक एस्केलेटर पर सीसीटीवी वैâमरे हैं। इन वैâमरों के फुटेज में पाया गया है कि लंबी दूरी की ट्रेनों के आने से ठीक पहले एस्केलेटर बंद हो जाते हैं, ऐसे में साफ है कि रेलवे स्टेशनों पर कुली स्टॉप बटन दबा देते होंगे। अधिकारियो का मानना है कि एस्केलेटर के होने से यात्रियों के लिए भारी सामान ले जाने की चुनौती समाप्त हो गई है, जिसके कारण कुलियों के कारोबार पर असर पड़ रहा है, इसी के कारण कुली उनके साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। एस्केलेटर चालू होने से यात्री कुलियों का सहारा नहीं लेते हैं, इससे उनका व्यवसाय प्रभावित होता है।
कुलियों ने किया आरोपों का खंडन
हालांकि, कुलियों ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि इसके लिए कुछ बदमाश लोग जिम्मेदार हैं, जो मनोरंजन के लिए अक्सर इमरजेंसी लाल `स्टॉप’ बटन दबाते हैं। अधिकारियों ने बताया कि औसतन एक एस्केलेटर का दिन में कम से कम तीन से पांच बार किसी भी कारण से काम करना बंद हो सकता है लेकिन दिन भर में लगभग १५० बार बंद होना यह संभव नहीं है। एक बार एस्केलेटर बंद हो जाने पर इसे रीसेट करने में कम से कम १०-१५ मिनट लगते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि किसी को इसकी शिकायत करनी पड़ती है। इसके बारे में सूचित करने पर स्टेशन प्रभारी अधिकारी सीसीटीवी फुटेज की दोबारा जांच करते हैं और बंद एस्केलेटर का निरीक्षण करने के लिए साइट पर रेल कर्मचारियों को भेजते हैं। मध्य रेलवे के डीआरएम रजनीश कुमार गोयल ने बताया कि हम एक `इन-हाउस’ तकनीक पर काम कर रहे हैं, जो एस्केलेटर की खराबी के मामलों को कम करेगी। चप्पल, चाबियां और कपड़ों के टुकड़े जानबूझकर मशीन में डाले जाते हैं। फिलहाल, इस पर काम कर रहे हैं, उम्मीद है कि जल्द ही सुधार कर लिया जाएगा।