मुस्लिम कैदियों के हिजाब के नाम पर मांगे डोनेशन से मोदी घृणा, कश्मीर पर दुष्प्रचार और भी बहुत कुछ
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इसे संयोग कहे या नियोग या परमपिता परमेश्वर की कृपा कि 2002 से जितना अधिक नरेंद्र मोदी विरोधियों द्वारा विरोध किया जा रहा है, उतनी ही तेजी से विरोधी भंवर में फंस रहे हैं। कुछ समय के लिए तो जनता इनके मकड़जाल में फंस जाती है, लेकिन अगले ही पल उनका षड़यंत्र बेनकाब हो रहा है। अभी रामलीला मैदान, नई दिल्ली में भी नमूना देखा कि किस तरह सनातन को अपमानित करने में इस्लाम की ही नई परिभाषा लिख दी, मदनी की ॐ ही अल्लाह वाली बात पर, कुछ को छोड़कर, किसी भी मुस्लिम विद्वान, मौलवी, इमाम आदि ने गंभीरता से नहीं लिया। अगर यही बात किसी हिन्दू ने बोल दी होती, आग लग लगाई, थी, ‘सर तन से जुदा’ गैंग सडकों पर आ गया होता। जिन्होंने गंभीरता से लिया वह मुस्लिम ज्ञानी चीख-चीखकर बोल रहे हैं, लेकिन मदनी के समर्थक बात की गहराई को नहीं समझ रहे, जो भविष्य में इस्लाम के विरुद्ध जा सकती है। भारत ही नहीं, विश्व में मोदी और हिन्दू विरोधी सक्रिय हैं।
क्या आपने फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (instagram) या किसी अन्य सोशल मीडिया (Social Media) प्लेटफॉर्म पर एक विज्ञापन देखा है, जहाँ एक संगठन अमेरिका में मुस्लिम कैदियों के लिए डोनेशन माँग रहा है? हमारी टीम के एक सदस्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह विज्ञापन देखा और हमने यह जाँच करने का फैसला किया कि इसके पीछे आखिर है कौन।टीम के सदस्य भारतीय अदालतों में लंबित मामलों पर जानकारी सर्च कर रहे थे, जिसके बाद उनके सामने इस तरह का विज्ञापन आने लगे। टीम के सदस्य द्वारा सर्च की गई और हाल के कंटेंट का अमेरिका में जेल में बंद अपराधियों या अमेरिका में या भारत के बाहर कहीं भी जेल में बंद मुस्लिमों से कोई लेना-देना नहीं था।
‘इस्लामिक सर्कल ऑफ नॉर्थ अमेरिका (ICNA) काउंसिल फॉर सोशल जस्टिस’ खुद को संयुक्त राज्य अमेरिका से बाहर स्थित एक सामाजिक न्याय/मानवाधिकार संगठन के रूप में पेश करता है। विज्ञापन ने हमारा ध्यान आकर्षित किया, जहाँ उसने अमेरिकी जेलों में बंद मुस्लिम कैदियों के लिए हिजाब खरीदने के लिए पैसे माँगे। यह वह विज्ञापन है जो हमारे सामने आया था।
साभार: फेसबुकग्राफिक्स में लिखा था, “सलाखों के पीछे मुस्लिम महिलाएँ अपने बालों को ढकने के लिए हिजाब माँग रही हैं। इसमें आगे लिखा था, “यह एक मुस्लिम महिला के रूप में अपनी पहचान को मजबूत करने का एक तरीका है। हमारी मदद करें, उनकी मदद करें।”
जब हमने विज्ञापन पर क्लिक किया, तो यह हमें संगठन के डोनेशन पेज पर ले गया, जिसमें दावा किया गया है कि अमेरिका में जेल की 10 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। संगठन अमेरिका में सलाखों के पीछे मुस्लिमों को ‘मुफ्त धार्मिक सामग्री वितरित करने’ के लिए एक मुस्लिम कैदी सहायता परियोजना (MPSP) चलाता है। वे ‘कुरान, इस्लामी साहित्य, हिजाब, प्रार्थना मैट को जेलों में वितरित करते हैं।’ दिलचस्प बात यह है कि डोनेशन पेज पर वीडियो में एक कैदी ने खुद को ‘नया मुस्लिम’ बताया।
यह संभव है कि संगठन अमेरिकी जेलों में एक धर्मांतरण कार्यक्रम चला रहा हो और दान के माध्यम से एकत्रित धन का इस्तेमाल करके कैदियों को इस्लाम में परिवर्तित कर रहा हो।
डोनेशन कैदियों को इस्लाम-केंद्रित सामग्री देने का आह्वान करता है
इसका उद्देश्य मुस्लिम कैदियों को और धार्मिक बनाने पर है। कुल मिलाकर अकेले Facebook विज्ञापन लाइब्रेरी में संगठन के 800+ विज्ञापन थे। संगठन ने बिना ज्यादा स्पष्टीकरण के मुसलमानों के जन्मदिन मनाने के लिए धन इकट्ठा करने वाले कार्यक्रम भी चलाए हैं।
कई फंडरेजर इसके फेसबुक पेज पर जन्मदिन मनाने के लिए थे (साभार: फेसबुक)
संगठन का मोदी विरोधी अभियान
संगठन वर्षों से कश्मीर के बारे में दुष्प्रचार कैसे कर रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह अपने सोशल मीडिया पोस्ट के लिए स्टॉक इमेज का उपयोग कर रहा है, जिसका कश्मीर या भारत से कोई लेना-देना नहीं है। इस पोस्ट पर एक नज़र डालें। इस पोस्ट में एक इमेज है जिसे istockphoto.com से लिया गया है। यह फोटोग्राफर एड्रियन हिलमैन द्वारा क्लिक किया गया 2011 का शॉट है।
आईसीएनए ने भारत के खिलाफ प्रचार करने के लिए स्टॉक इमेज का इस्तेमाल किया (स्रोत: आईसीएनए का ट्विटर/आईस्टॉकफोटोज)
इसकी वेबसाइटों पर पोस्ट भारत-विरोधी और हिंदू-विरोधी बयानों से भरे हुए हैं। उदाहरण के लिए एक पोस्ट में, उन्होंने दंगाइयों के घरों के विध्वंस के बारे में बात की और दावा किया कि यह एक मुस्लिम विरोधी अभियान था। इसने मुस्लिम विरोधी नैरेटिव बनाने के लिए हिंदुओं और हिंदुत्व को दोषी ठहराया।
आईसीएनए ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में पीएम मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार किया (स्रोत: ट्विटर)