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चीन में बने ये सीसीटीवी कैमरे सुरक्षा की दृष्टि से हैं खतरनाक
• इंटरनेट से जुड़ते ही डेटा पहुंच सकता है चीन
मुंबई
विस्तारवादी देश चीन की नापाक नजर हमेशा से हिंदुस्थान पर रही है। उन्नत तकनीक के इस युग में खतरा काफी बढ़ गया है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार देश भर में इस समय ड्रैगन के १० लाख जासूस फैले हुए हैं। ये जासूस मानव न होकर मशीनें हैं। असल में इस वक्त देश के सरकारी विभागों में चीन के बने १० लाख सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। अब तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि इन कैमरों के इंटरनेट से जुड़ते ही सारी सूचनाएं आसानी से चीन पहुंच जा सकती हैं।
बदनाम है यह चीनी कंपनी
एक रिपोर्ट के अनुसार चीन की हिकविजन कंपनी बदनाम है। इस कंपनी के कैमरों पर अमेरिका में प्रतिबंध लगाया जा चुका है। ब्रिटेन में भी इस कंपनी के कैमरों पर सवाल उठाए गए हैं। हिकविजन कंपनी की मालिक कोई और नहीं, बल्कि खुद चीनी सरकार है। ये जानकारी कंपनी की सालाना रिपोर्ट की जांच में सामने आई है। कंपनी के कंट्रोलिंग शेयरहोल्डर्स के रूप में चीन सरकार का नाम सामने आया है।
देश की सुरक्षा में सेंध!
–चीन से आयात किए गए हैं ९० फीसदी सीसीटीवी
ड्रैगन के खतरनाक पंजों से बचने के लिए जूझनेवाला ताइवान अकेला देश नहीं है, बल्कि चीन के सभी पड़ोसी देश, उसकी विवादित विस्तारवादी नीति से परेशान हैं। दुनिया के नक्शे में चीन सबसे ज्यादा १४ देशों के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है और सबसे उसका सीमा विवाद है। इस विवाद के चलते चीन और हिंदुस्थान के बीच कई बार झड़प हो चुकी है और उन्हें मुंह की खानी पड़ी है। इस बीच अब चीन ने एक नई चाल चली है। चीन से आयातित सीसीटीवी (क्लोज सर्किट टेलीविजन) कैमरे से जासूसी करवाने का खुलासा हुआ है। दरअसल, हिंदुस्थान की सुरक्षा के मद्देनजर देश में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इनमें अधिकांश कैमरे चीन से आयात किए गए हैं, जो अब देश की सुरक्षा में सेंध लगा रहे हैं। हाल ही में रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस मामले में चिंता भी प्रकट की थी।
देश में २० लाख कैमरे
देश की सुरक्षा में तकरीबन २० लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसमें से ९० फीसदी से ज्यादा उन चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए हैं, जिनमें चीन सरकार की दखल है। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि उनमें करीब आधे कैमरे सरकारी विभागों में लगे हैं। दरअसल, इन सीसीटीवी कैमरों का सर्वर चीन में होने की वजह से कैमरे से जुटाई गई सारी जानकारी चीन पहुंच रही है। यह कितना खतरनाक हो सकता है उसे आप इस संदर्भ में समझें कि अभी सीमा पर तनाव के मद्देनजर कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो जाए तो इन कैमरों की मदद से चीन हमारी सेना की सारी गतिविधियों पर नजर रख सकता है और वह उस हिसाब से अपनी रणनीति बदल सकता है।
सरकार ने की पुष्टि
हाल ही में केंद्र सरकार के कुछ विभागों पर साइबर अटैक हुआ था। यह हमला चीनी हैकरों ने किया था। हालांकि, सरकार ने इन साइबर हमलों की पुष्टि अप्रैल २०२२ तक नहीं की थी। बाद में जब अमेरिका स्थित साइबर सुरक्षा फर्म रिकॉर्डेड फ्यूचर ने हमले के ब्यौरे जाहिर किए तब मोदी सरकार ने इनकी पुष्टि की थी। अमेरिकी फर्म ने अंदेशा जताया कि चीनियों की इस कार्रवाई से अक्सर सीसीटीवी नेटवर्कों में इस्तेमाल किए जानेवाले इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) कैमरे और इंटरनेट से संचालित डिजिटल वीडियो रिकॉर्डिंग (डीवीआर) उपकरण खतरे में पड़ जाते हैं। संचार और आईटी राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने मार्च २०२१ में लोकसभा में सरकारी संस्थाओं में करीब १० लाख चीन-निर्मित कैमरे होने की पुष्टि की थी। इस दौरान धोत्रे ने चिंता जाहिर करते हुए कहा, ‘सीसीटीवी वैâमरों के जरिए हासिल किए गए वीडियो डेटा को विदेश स्थित सर्वरों को ट्रांसफर किए जाने की संभावनाएं अधिक हैं।’
रक्षा विभाग में खतरे की घंटी
यह खुलासा होने के बाद कि देश के तमाम नौसेना के दफ्तरों में ये वैâमरे लगे हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) और रक्षा गुप्तचर एजेंसी (डीआईए) की चिंताएं बढ़ गई हैं। दक्षिणी नौसेना कमान की इकाइयों और प्रतिष्ठानों पर सुरक्षा की दृष्टि से लगे करीब १,५०० निगरानी कैमरे चीनी हैं। पूर्वी-पश्चिमी आदि सभी कमानों को मिला दिया जाए तो इन कैमरों की संख्या ५ हजार तक पहुंच जाएगी। कोच्चि मुख्यालय में दक्षिणी नौसेना कमान भारतीय नौसेना प्रशिक्षण कमान है। उसके गुजरात, आंध्र प्रदेश, गोवा, ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल और लक्षद्वीप जैसे राज्यों में कई नौसेना प्रतिष्ठान हैं।