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खुल गए कानून के दरवाजे!

SG  नई दिल्ली    कानूनी पेशे को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है। शीर्ष संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने विदेशी वकीलों और कानूनी फर्म को हिंदुस्थान में प्रैक्टिस करने की इजाजत दे दी है। इस फैसला के मुताबिक विदेशी वकील कोर्ट में पेश नहीं हो सकते हैं, वे केवल कॉर्पोरेट लेनदेन से जुड़े हुए कामकाज या विदेशी कानून पर अपने क्लाइंट को सलाह देने का काम कर सकते हैं।

क्या है बीसीआई का फैसला?
गत १३ मार्च को, बीसीआई ने आधिकारिक सूचना दी थी। सूचना में कहा गया था कि इससे हिंदुस्थानी और विदेशी दोनों वकीलों को फायदा होगा। विदेशी वकील और लॉ फर्म हिंदुस्थान में काम कर सकेंगे। इसके लिए विदेशी विधि पंजीकरण और नियमन-२०२२ के लिए नियम बनाया गया है। बीसीआई ने साफ कहा है कि कुछ पाबंदियों के साथ इस पैâसले से सुनिश्चित किया जाएगा कि यह हिंदुस्थान और विदेशी वकीलों के हित में हो। बीसीआई अधिवक्ता अधिनियम, १९६१ के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है, और यह देश में कानूनी प्रैक्टिस और कानूनी शिक्षा की देखरेख करती है।
वकीलों के पेशे में क्या बदलने वाला है?
बार काउंसिल देश में विदेशी वकीलों की एंट्री के किसी भी प्रस्ताव का विरोध करता आया है। २०१८ में सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी बात पर सहमति जताई थी कि मौजूदा कानून के तहत हिंदुस्थान में विदेशी वकीलों को प्रैक्टिस करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। अब नए फैसला से देश में विदेशी वकीलों की एंट्री में ज्यादा पेशेवराना रवैया देखने को मिलेगा। विदेशी वकीलों के लिए सीमित दायरे में भी बड़ा मार्किट उपलब्ध होगा क्योंकि देश में बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियां काम कर रही हैं और आगे कई कंपनियां निवेश करने वाली हैं।
नए नियम के मुताबिक, विदेशी वकील और कानून फर्मों को यहां अभ्यास करने के लिए बीसीआई के साथ पंजीकरण कराने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा विदेशी वकीलों या विदेशी लॉ फर्मों को किसी भी अदालत, न्यायाधिकरण या किसी भी वैधानिक या नियामक प्राधिकरणों के समक्ष पेश होने की अनुमति नहीं दी जाएगी, वे सिर्फ अपने विदेशी क्लांइट का केस देखेंगी, समझेंगी और उन्हें कानूनी सलाह मुहैया करा सकती हैं।

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