Wednesday, November 27, 2024

राज्य

20 जिलों में 47 वर्षों से नहीं हुआ जमीन सर्वे

रांची  (दिव्य प्रभात)  एकीकृत बिहार के समय जमीन का सर्वे और बंदोबस्त का काम शुरू हुआ था। रांची, खूंटी, सिमडेगा, गुमला में 1975 में शुरू हुआ सर्वे 47 वर्ष में भी पूरा नहीं हुआ। वहीं धनबाद-बोकारो में 1981, पलामू, गढ़वा, साहिबगंज, दुमका, पाकुड़, जामताड़ा, गोड्डा व देवघर में 1976-77 से शुरू हुआ सर्वे आज तक पूरा नहीं हुआ है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सरकारी दस्तावेज के मुताबिक झारखंड के लोहरदगा, लातेहार, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम में भूमि बंदोबस्ती और सर्वेक्षण का काम पूरा हो चुका है। यहां अंतिम प्रकाशन (फाइनल पब्लिकेशन) भी हो गया है, लेकिन कई जिलों में विवाद के कारण प्रक्रिया रुकी हुई है।

खतियान ही जमीन मालिक की पहचान बताता है 

झारखंड में 1932 के खतियान को स्थानीयता की पहचान का आधार बनाया गया है। खतियान जमीन का ऐसा दस्तावेज है, जो न सिर्फ जमीन का मालिकाना हक परिभाषित करता है, बल्कि जमीन मालिक (रैयत) की कई पीढ़ियों की पहचान भी बताता है। यह खतियान जमीन के सर्वेक्षण और बंदोबस्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद तैयार होता है। झारखंड के कुछ जिलों में अंतिम बार सर्वे सेटलमेंट 1930 में शुरू हुआ और 1935 में पूरा हुआ। अधिकतर जिलों में 1879,1894,1910, 1915 और 1928 में अंतिम बार सर्वे बंदोबस्त का काम पूरा हुआ। भूमि बंदोबस्त और सर्वेक्षण का काम अंतिम रूप से पूरा होने के बाद ही खतियान तैयार हुए, जो आज सबसे अहम सरकारी दस्तावेज साबित हो रहा है।

छह बंदोबस्त कार्यालयों में बंटा है राज्य

– जमीन के सर्वे और बंदोबस्त कार्यों के लिए राज्य के 24 जिलों को छह बंदोबस्त कार्यालयों में बांटा गया है- रांची, दुमका, पलामू, धनबाद, हजारीबाग और सिंहभूम।
– रांची के अधीन गुमला, रांची, खूंटी, लोहरदगा और सिमडेगा जिले आते हैं।
– दुमका कार्यालय में देवघर, गोड्डा, जामताड़ा, दुमका, पाकुड़ और साहिबगंज
– पलामू कार्यालय में गढ़वा, पलामू और लातेहार।
– धनबाद कार्यालय में बोकारो और धनबाद जिला।
– हजारीबाग कार्यालय में चतरा, कोडरमा, गिरिडीह और हजारीबाग जिला।
– सिंहभूम कार्यालय में पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम तथा सरायकेला-खरसांवा।

विभाग कराएगा संकलन

भूमि बंदोबस्ती और सर्वेक्षण का काम पूरे राज्य में चल रहा है। किस जिले में कितना और किस स्टेज पर काम हो रहा है, इसका संकलन कराया जाएगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकृत सूत्रों के अनुसार इसके संकलन के बाद ही अद्यतन रिपोर्ट बताई जा सकती है।