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एजेंसी / काठमांडू
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल प्रचंड की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। पहले ही वह सरकार बचाने के मोर्चे पर जूझ रहे हैं। अब उनके खिलाफ नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है, जिसमें उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की गई है। बता दें कि यह याचिका उनके एक पुराने बयान के मामले में दर्ज की गई है, जिसमें दहल ने स्वीकार किया था कि देश में उग्रवाद के दौरान पांच हजार लोगों की मौत हुई थी। गौरतलब है कि प्रचंड के बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ही प्रशासन को उनके खिलाफ रिट याचिका दायर करने का आदेश दिया था। बता दें कि नेपाल में विद्रोह १३ फरवरी १९९६ में हुआ था और २१ नवंबर २००६ को सरकार के साथ व्यापक शांति समझौते के साथ खत्म हो गया था। १५ जनवरी २०२० को काठमांडू में एक कार्यक्रम के दौरान प्रचंड ने कहा था कि मुझ पर १७ हजार लोगों की हत्या का आरोप लगाया जाता है लेकिन यह सच नहीं है। हालांकि मैं संघर्ष के दौरान पांच हजार लोगों की हत्या की जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि विद्रोह १३ फरवरी १९९६ में शुरू हुआ था और २१ नवंबर २००६ को सरकार के साथ व्यापक शांति समझौता होने के बाद आधिकारिक तौर पर खत्म हो गया था। इस विद्रोह के दौरान हजारों लोग मारे गए थे। उस वक्त माओवादी नेपाल की सत्ता पर काबिज होना चाहते थे और उनकी कमान प्रचंड के ही हाथ में थी। प्रचंड के आदेश पर ही हमले किए गए थे और हजारों लोगों की मौत हो गई थी।