जागरूक रहो…चुनाव की तैयारियों में जुट जाओ: ये आखिरी चुनौती है… मात देना ही होगा!- उद्धव ठाकरे का शिवसैनिकों से किया आह्वान
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तुमने नाम चुराया, तुमने धनुष-बाण चुराया। लेकिन ठाकरे वैâसे चुराओगे? ठाकरे मतलब मैं अकेला नहीं। यह एक विचार है। इस विचार को जिन्होंने आत्मसात किया वे सभी ठाकरे हैं।
मुंबई
जागरूक रहें, चुनाव की तैयारी में लगें। हम सभी के सामने यह बड़ा मौका चलकर आया है। यह अपने राजनीतिक जीवन में अंतिम चुनौती है, ऐसा समझें। इस चुनौती को मात देना ही होगा। इन शब्दों में कल शिवसैनिकों से आह्वान करते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि इस चुनौती को एक बार अपने पक्ष में किया तो पूरे देश में शिवसेना को चुनौती देनेवाला कोई और नहीं बचेगा… नड्डा भी नहीं।
देश में भाजपा सिवाय दूसरा कोई पक्ष नहीं रहेगा, ऐसा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बयान दिया था। उसका जोरदार उत्तर देते हुए उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर उनकी खबर ली। उन्होंने कहा कि नड्डा जी चुनाव मैदान में आइए। आपके और हमारे मन में इतनी आग है कि आप भी नहीं बचेंगे। ऐसी चुनौती देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि अब अपनी जो लड़ाई होगी, वह न्यायालय में होनेवाली है इसलिए आप सभी तैयार रहो। मुंबई के बिरला मातोश्री सभागृह में स्थानीय लोकाधिकार समिति महासंघ की ओर से मराठी भाषा दिवस के अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे बोल रहे थे। इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने ‘मिंधे’ सरकार और भाजपा पर जमकर हमला बोला। उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमें क्या होनेवाला है और क्या होगा। इसकी चिंता मुझे कभी नहीं थी। यहां सब कट्टर शिवसैनिक आज भी मेरे साथ हैं। शिवसैनिकों की निष्ठा निभाने की परंपरा है। वे कहीं भी खंडित नहीं हुए हैं। इन शब्दों में उद्धव ठाकरे ने एकनिष्ठ शिवसैनिकों की पीठ थपथपाई।
जिसके पास संस्कार नहीं होता, उसे सब चोरी का माल लगता है! -उद्धव ठाकरे
मातृभाषा ही मां की भाषा है। मां केवल भाषा नहीं सिखाती है। वह संस्कार भी सिखाती है। आपका कुछ भी चोरी हो सकता है लेकिन संस्कार कोई नहीं चुरा सकता। इसलिए जिसके पास संस्कार नहीं होता है, उसे सब चोरी का माल लगता है। फिल्म दीवार में ‘मेरा बाप चोर है’ ऐसा अमिताभ बच्चन के हाथ पर लिखा गया था। उसी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यहां जो चोर और गद्दार हैं, उन्हें खुद के हाथ से खुद के सिर पर लिखना चाहिए कि मेरा पूरा खानदान चोर है। चुनाव आयोग फर्जी है। यह चुनाव आयोग नहीं है। चूना लगाने वाला आयोग है। हमारा उस पर से विश्वास उठ गया है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी होते हुए चुनाव आयोग को इस तरह का फैसला देने की शेखी बघारने की जरूरत नहीं थी। मुंबई के बिरला मातोश्री सभागृह में स्थानीय लोकाधिकार समिति महासंघ की ओर से मराठी भाषा दिवस के अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में शिवसेना (शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे बोल रहे थे।
सभा को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि आज के परजवियों को ऐसा लगता है कि वे ही बरगद के पेड़ बन गए हैं। लेकिन उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि अगर उनकी जड़ें कट जाएंगी तो वे गिर जाएंगे। अन्याय को जलाना है तो मशाल जलानी होगी। मैं चुनौती देता हूं, तुम धनुष लाओ, मैं मशाल लेकर आता हूं और देखते हैं कि लोग किसके साथ हैं! उद्धव ठाकरे ने यह भी चुनौती दी कि हम दूध का दूध, पानी का पानी करेंगे और तुम्हारा गोमूत्र कैसा है यह भी बताएंगे।
शिवसेना की जड़ मजबूत है। हमारी मूल जड़ें जमी हुई हैं। इसलिए तुम ऊपर की डालियां और टहनियां उड़ा दो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। किसी ने सोचा होगा कि इन फूलों को तोड़ लिया इसका मतलब यह कि अब पेड़ मर जाएगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। कई बार परजवी छांटे जाते हैं क्योंकि उन परजवियों की छंटाई करनी ही पड़ती है। वह अपने आप गिर रहा होगा तो हमें खुशी है।
‘कई बार परजीवी पेड़ इतना बढ़ जाता है कि उसको लगता है कि वह खुद ही एक वृक्ष बन गया है। लेकिन वृक्ष के लिए रस-अवशोषित करनेवाली जो मोटी जड़ें होती हैं, उन्हें जमीन में गहराई तक जाना पड़ता है। शाखाओं पर जो परजवियों की जड़ें होती हैं, शाखाएं कट जाने पर वे मर जाती हैं। शिवसेना का निर्माण एक वृक्ष की तरह हुआ है। शिवसेना की शाखाएं हर क्षेत्र में अन्याय पर प्रहार करने का काम कर रही हैं। मुझे उस पर गर्व है।’
शिवसैनिकों के मन में जो ज्वलंत विचार हैं, वही असली शिवसेना है। शिवसेना सिर्फ एक नाम या चिह्न नहीं। सिर्फ धनुष-बाण मतलब शिवसेना नहीं। शिवसेना हमारी ही है। उसे कोई चुरा नहीं सकता। हालांकि, शिवसेनाप्रमुख ने जो कुछ बोया है, उसे आप हमसे कैसे ले सकते हैं? हमारी रग-रग में जो शिवसेना समाई हुई है, उसे तुम हमसे कैसे दूर कर सकते हो, इस शिवसेना को कोई नहीं ले सकता, भले ही मोगांबो की पीढ़ियां आ जाएं, तो भी शिवसेना को खत्म करना संभव नहीं है।’