Friday, November 22, 2024

राष्ट्रीय

मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट का झटका… अब ‘मेरी मर्जी’ नहीं चलेगी … चुनाव आयुक्त की नियुक्ति ‘समिति’ करेगी

SG

समिति में शामिल होंगे प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष व मुख्य न्यायाधीश
 नई दिल्ली
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया की आड़ में चुनाव आयोग को नियंत्रित करनेवाली केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा झटका दिया है। इसके बाद से प्रधानमंत्री सहित लोकसभा में विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश की समिति अब देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति से उनके नामों की सिफारिश करेगी। इस पर राष्ट्रपति निर्णय लेंगे। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक खंडपीठ ने गुरुवार को ऐतिहासिक पैâसला देते हुए कहा कि नियुक्ति कानून बनने तक यही प्रक्रिया लागू रहेगी। लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को स्वतंत्र रहना जरूरी है। ऐसा स्पष्ट मत भी न्यायालय ने व्यक्त किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कल फैसला देते हुए कहा कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति एक समिति करेगी, जिसमें प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे। इससे पहले केंद्र सरकार मनमानी तरीके से चुनाव आयुक्तों का चयन कर रही थी। इस पर पिछले कुछ वर्षों से जमकर आलोचना हो रही थी। चुनाव आयोग में नियुक्ति प्रक्रिया पर केंद्रीय नियंत्रण को हटाकर नियुक्तियों के लिए एक स्वायत्त प्रणाली की मांग जोर पकड़ रही थी। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अनेक याचिकाएं दायर की गई थीं। इन याचिकाओं पर लंबी सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच संवैधानिक सदस्यीय पीठ ने गुरुवार को यह ऐतिहासिक पैâसला सुनाया। इस संवैधानिक खंडपीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार का समावेश था। देश में फिलहाल मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं है। नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया केंद्र सरकार के हाथों में थी। इसलिए सरकार पर पक्षपातपूर्ण नियुक्तियां करने का आरोप समय-समय पर लगता आया है। इसे गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की नियुक्तियों पर केंद्र के नियंत्रण को जोरदार झटका दिया है। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के संदर्भ में एक विशेष समिति राष्ट्रपति को अपनी सिफारिशें देगी, यह ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने संसद को इस संबंध में एक नया कानून बनाने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में भी सुप्रीम कोर्ट के ‘कॉलेजियम’ जैसी व्यवस्था होनी चाहिए, ऐसा मुद्दा उठाया गया था। इस पर याचिकाकर्ताओं और सरकार की ओर से जोरदार दलीलें दी गई थीं। इसके बाद से संवैधानिक खंडपीठ ने अपना पैâसला सुरक्षित रखा था।